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RSS Chief Mohan Bhagwat ने भारत को बताया हिंदू राष्ट्र, बोले-किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं; शाखाओं में मुस्लिमों का किया स्वागत

RSS Chief Mohan Bhagwat ने भारत को एक हिंदू राष्ट्र कहा है। साथ ही जोड़ा है कि इसके लिए किसी के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। यहां के रहने वाले सभी लोगों के पूर्वज हिंदू थे। भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है। सभी का डीएनए एक है।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 08:51 AM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 08:51 AM (IST)
RSS Chief Mohan Bhagwat ने भारत को बताया हिंदू राष्ट्र, बोले-किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं; शाखाओं में मुस्लिमों का किया स्वागत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ( फोटो जागरण)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। भारत हिंदू राष्ट्र है। इसे किसी के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं। यहां रहने वाले सभी सिंह हैं। यहां के मुसलमान अरब से नहीं आए। यहीं के रहने वाले हैं। उनके पूर्वज भी हिंदू ही थे। हम सबका डीएनए एक है। वे संघ कार्य से जुडऩा चाहें तो जरूर जुड़ें। शाखा आएं और हमारे कार्यों को जानें। हमारे विचार को समझें। यह कहना था डा. मोहन मधुकर भागवत का। वे रविवार को धनबाद महानगर के प्रमुख स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। इनमें प्रवासी कार्यकर्ता, महानगर में रहने वाले विभाग व प्रांत के पदाधिकारी शामिल थे। तकरीबन 80 स्वयंसेवकों को उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 100वीं वर्षगांठ तक हर वर्ग को संघ से जोड़कर सर्वस्पर्शी, सर्वसमावेशी संगठन खड़ा करने को कहा।

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दुनिया के मुसलमानों से भारत के मुस्लिमों का संस्कार अलग

सरसंघचालक ने कहा कि संघ से हिंदू समाज का कोई अंग छूटे नहीं, इसका ध्यान रखें। भारत के सभी लोगों का संस्कार एक है। पूजा पद्धति भले अलग हो। उदाहरण देते हुए कहा कि सिर्फ भारत के ही मुसलमान ईद-मिलाद-उन-नबी मनाते हैं। यह पैगंबर साहब के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। विश्व में अन्य कहीं के मुसलमान यह नहीं मनाते। वजह यह कि उनका संस्कार अलग है और भारतीय मुसलमानों का संस्कार पूरी तरह भारतीय है। तभी तो जिस तरह हम अपने महापुरुषों के जन्मदिन और पुण्यतिथि मनाते हैं उसी तरह वे भी मनाते हैं।

100वीं वर्षगांठ तक 90 फीसद काम करने का लक्ष्य

अपने एक घंटे के बौद्धिक में संघ प्रमुख ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों, प्रवासी कार्यकर्ताओं को विभिन्न बस्तियों, मंडलों के प्रवास के दौरान, खास कर उन क्षेत्रों में जहां संघ कार्य फिलहाल नहीं है वहां जाते समय अपने सारे पूर्वाग्रह परे रख कर जाना होगा। हमारा प्रवास एक संत की तरह हो, जहां कोई जाति भेद मन में न रहे। राष्ट्र के प्रति भक्ति से ओतप्रोत हों। तभी हमसे सभी वर्ग के कार्यकर्ता जुटेंगे। उन्होंने कहा कि अभी हमने तीन फीसद कार्य भी नहीं किया है। 100 वीं वर्षगांठ तक कम से कम 90 फीसद कार्य हम पूरा करें यह लक्ष्य बनाकर चलना होगा।

एक-दूसरे से सुख-दुख में शामिल होने पर जोर

दोपहर बाद तीन से चार बजे तक लगातार एक घंटे चले अपने बौद्धिक में डा. भागवत ने कहा कि स्वयंसेवकों व प्रवासी कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होना चाहिए। सिर्फ अपने मतलब की बात नहीं करना चाहिए। एक-दूसरे के घर लगातार आना-जाना रहे। उन्होंने कहा कि जब सरकार के सारे काम चल ही रहे हैं तो अपना भी संघ कार्य चलते रहना चाहिए। अब लाकडाउन जैसी स्थिति नहीं है। जहां तक तीसरी लहर की बात है तो इसके प्रति सचेत रहें और पिछली दो लहरों की तरह तीसरी लहर की आशंका के तहत भी सेवा कार्य की पूरी तैयारी रखें। स्वयंसेवक मास्क, सैनिटाइजर व शारीरिक दूरी का हमेशा ध्यान रखें। जितने भी जगह शाखाएं लगती थीं उन्हें पुन: शुरू करें और नये स्थानों पर भी शाखाएं लगाएं। मिलन केंद्रों का संचालन नियमित हो।


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