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SAIL: पे रिवीजन के लिए संसदीय कमेटी की सिपारिशों को नहीं मान रहा प्रबंधन, बीसीएल कर्मचारियों में अपने सांसद के प्रति आक्रोश

SAIL इस्पात की संसदीय समिति में धनबाद लोकसभा के सांसद पीएन सिंह भी शामिल है। पशुपतिनाथ सिंह संसदीय कमेटी में बतौर सदस्य रहते अब तक मसले का समाधान नही करा पाए। इससे संयंत्रकर्मियों में काफी आक्रोश है। अब सबकी नजर 12-13 अगस्त की बैठक पर है।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 11 Aug 2021 09:39 AM (IST)Updated: Wed, 11 Aug 2021 09:39 AM (IST)
SAIL: पे रिवीजन के लिए संसदीय कमेटी की सिपारिशों को नहीं मान रहा प्रबंधन, बीसीएल कर्मचारियों में अपने सांसद के प्रति आक्रोश
सांसद पीएन सिंह और बोकारो स्टील प्लांट ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता,बोकारो। महारत्न कंपनी सेल में कामगारों के वेतन पुनरीक्षण के लिए आहूत आगामी 12-13 अगस्त को होने वाली प्रबंधन व एनजेसीएस की बैठक से पूर्व संसदीय कमेटी के नियमों ने कंपनी प्रबंधन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। ऐसा इसलिए की संयंत्रकर्मियों का अंतिम वेतन समझौता 2012 में होने के बाद साल 2014 में गठित संसदीय कमेटी की ओर से साफ निर्णय लिया गया था की सेल में अगला वेतन समझौता अन्य महारत्न कंपनी की तर्ज पर होगा। लेकिन वर्तमान में सब कुछ इसके विपरीत हो रहा है। इसके लिए सेल प्रबंधन के साथ कमेटी के पदाधिकारी भी जिम्मेवार माने जा रहे है।

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धनबाद के सांसद भी समिति के सदस्य

संसदीय समिति में धनबाद लोकसभा के सांसद पीएन सिंह भी शामिल है। पशुपतिनाथ सिंह संसदीय कमेटी में बतौर सदस्य रहते अब तक मसले का समाधान नही करा पाए। इससे संयंत्रकर्मियों में काफी आक्रोश है। संयंत्रकर्मी पे रिवीजन के मद में 15 फीसद एमजीबी व 35 फीसद पर्क्स से कम लेने को तैयार नही है। साथ ही रिवीजन के मद में साल 2017 से बकाया एरियर की मांग की जिद पर वह अड़े हुए है। उनका साफ कहना है की यदि 12-13 अगस्त की बैठक में इससे कम डिमांड पर यूनियन वार्ता करेगी तो वे 30 जून की हड़ताल को दोबारा कर अपने शक्ति का प्रदर्शन सामूहिक रूप से करेंगे।

आज होगी यूनियन की आंतरिक वार्ता

सेलकर्मियों के पे रिवीजन पर 12-13 अगस्त को होने वाली बैठक से पूर्व एनजेसीएस के पांचों श्रमिक संगठन 11 अगस्त को नई दिल्ली में आंतरिक वार्ता करेंगे। इस दौरान एमजीबी, पर्क्स, बकाया एरियर, पेंशन अंशदान की राशि व रिवीजन की अवधि पर बातचीत करने के बाद 12-13 अगस्त को श्रमिक संगठन अपना प्रस्ताव प्रबंधन को सौंपेगी। यदि प्रबंधन यूनियन के दिए गए प्रस्ताव पर सहमत हो जाती है तो वार्ता आगे भी चलेगी अन्यथा मीटिंग के लिए दोबारा नया डेट दिया जाएगा।

क्या कहती है संसदीय कमेटी की रिपोर्ट

साल 2014 में गठित संसदीय कमेटी की रिपोर्ट में इस्पात मंत्रालय के अधीन संचालित सभी महारत्न कंपनी में एक समान वेतन समझौता एक समय पर करने का निर्देश संबंधित कंपनी को दिया गया था। इनमें गेल, ओएनजसीसी, एनटीपीसी, भेल, कोल, एनएमडीसी आदि महारत्न कंपनी में कामगारों का बेहतर वेतन समझौता समय पर हो गया है। जबकि सेल प्रबंधन अपने वित्तीय संकट का हवाला देकर मामले पर टाल-मटोल की नीति अपनाए हुए है।


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