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Jharkhand: सात लाख के इनामी नवीन समेत 16 नक्सलियों पर 13 यूएपी के तहत कसेगा शिकंजा, मुकदमा चलाने की अनुशंसा

गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम कर देश की एकता-अखंडता के लिए यह एक्ट 1967 में बना था।इसका प्रयोग देश के अंदर गैरकानूनी और देशद्रोही गतिविधियों पर पूर्णत अंकुश लगाने के लिए करना है।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 01:40 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 01:40 PM (IST)
Jharkhand: सात लाख के इनामी नवीन समेत 16 नक्सलियों पर 13 यूएपी के तहत कसेगा शिकंजा, मुकदमा चलाने की अनुशंसा

गिरिडीह, जेएनएन। सात लाख रुपये के इनामी रहे जोनल कमांडर नवीन मांझी समेत 16 नक्सलियों के खिलाफ 13 यूएपी एक्ट के तहत आतंकवाद का मामला चलाने की अनुशंसा गिरिडीह के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने की है। कारा एवं आपदा प्रबंधन के अपर मुख्य सचिव को डीसी ने पत्र लिखा है। जिस मामले में 13 यूएपी एक्ट के तहत मामला चलाने की अनुशंसा की गई वह 16 साल पुराना है। निमियाघाट थाना क्षेत्र में माओवादियों के सशस्त्र दस्ते ने चार सितंबर 2004 को घात लगाकर पुलिस बल पर हमला कर हथियार लूटे थे। चार पुलिस कर्मियों जान गई थी। 

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इन माओवादियों के खिलाफ की गई अनुशंसा

सात लाख रुपये के इनामी रहे जोनल कमांडर नवीन मांझी उर्फ नवीन दा के अलावा साहेब राम मांझी, परमेश्वर सिंह,  महुआ मांझी उर्फ बिंदेश्वरी मरांडी उर्फ विजय, शिबू मांझी उर्फ शिवलाल मांझी, खेमलाल महतो उर्फ फौजी, खूबलाल महतो उर्फ खूबलाल मंडल, रामेश्वर मांझी, कानू मांझी उर्फ मंगरू मांझी, राजेंद्र महतो उर्फ राजू, मोहन मांझी, रणविजय महतो, डोडा मांझी उर्फ डोमना उर्फ लखीचंद मांझी, लउवा मांझी उर्फ सिंह, दासो मांझी और महादेव मांझी पर मामला चलाने की अनुशंसा की गई है। इनमें लउवा मांझी, दासो मांझी और महादेव मांझी फरार हैं। पुलिस ने कुर्की की कार्रवाई कर न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया है। अन्य 13 नक्सलियों के खिलाफ 2005 से लेकर 2016 तक आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया था। निमियाघाट थाना के एएसआइ राधेश्याम चौधरी ने दो सितंबर को डीसी को आवेदन दे अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी। डीसी ने राज्य सरकार को प्रतिवेदन भेजा है। सरकार केस डायरी, लोक अभियोजक के मंतव्य के आधार पर स्वीकृति देगी।

यह है 13 यूएपी एक्ट

गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम कर देश की एकता और अखंडता के लिए यह एक्ट 1967 में बना था। इसका प्रयोग देश के अंदर गैरकानूनी और देशद्रोही गतिविधियों पर पूर्णत: अंकुश लगाने के लिए करना है। अधिनियम की परिधि में आनेवालों को आतंकवादी और देशद्रोही  घोषित किया जा सकता है। हालांकि एक्ट के तहत न्यायालय में मामला चलाने के लिए पुलिस को राज्य सरकार से अनुमति लेनी जरूरी होती है। हाल के संशोधन में सिर्फ केंद्रीय जांच एजेंसी एनआइए को विशेषाधिकार दिया गया है। उसे सिर्फ अपने आला अधिकारी की स्वीकृति लेनी होगी। लोक अभियोजक अजय कुमार साहू ने कहा कि सरकार से 13 यूएपी एक्ट की स्वीकृति मिलने पर संज्ञान लेकर न्यायालय चार्ज फ्रेम करेगा। 


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