Move to Jagran APP

काेलकाता हाई काेर्ट में रिट दायर कर JBCCI ।। में प्रतिनिधित्व की मांग की

राष्ट्रीय काेलियरी मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि इंटक से संबद्ध इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन ने काेलकाता हाई काेर्ट में रिट दायर कर जेबीसीसीआइ-११ में प्रतिनिधित्व की मांग की है। इससे पहले जबलपुर में भी रिट दायर किया जा चुका है।

By Atul SinghEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 11:56 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 01:03 PM (IST)
काेलकाता हाई काेर्ट में रिट दायर कर JBCCI ।। में प्रतिनिधित्व की मांग की
काेलकाता हाई काेर्ट में रिट दायर कर जेबीसीसीआइ-११ में प्रतिनिधित्व की मांग की है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

धनबाद, जेएनएन: राष्ट्रीय काेलियरी मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि इंटक से संबद्ध इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन ने काेलकाता हाई काेर्ट में रिट दायर कर जेबीसीसीआइ-११ में प्रतिनिधित्व की मांग की है। काेल इंडिया चेयरमैन, काेयला सचिव व काेल इंडिया के कार्मिक निदेशक, श्रमशक्ति व औद्याेगिक संबंध महाप्रबंधक के खिलाफ रिट दायर किया गया है। इससे पहले जबलपुर में भी रिट दायर किया जा चुका है। सिंह ने कहा कि रिट में हमने कहा है कि जाे भी दूसरे लाेग अपने काे इंटक अध्यक्ष-महामंत्री कहते हैं वे गलत कह रहे हैं। काेयला क्षेत्र काे छाेड़ दें ताे अन्य कल-कारखानाें में भी इंटक का फेडरेशन काम कर रहा है। वहां रेड्डी के नेतृत्व में ही बैठकाें में ये अलग-अलग गुट के नेता भी भाग लेते रहे हैं। वहां उनका न काेई यूनियन है न ही गुट। ऐसे में काेयला क्षेत्र में उनका अलग इंटक कैसे हाे सकता है।

loksabha election banner

ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि तीन कराेड़ ३० लाख के लगभग मजदूर विभिन्न क्षेत्राें में इंटक से जुड़े हैं। काेयला क्षेत्र में भी इंटक ही ऐसा यूनियन है जाे जेबीसीसीआइ-१ से प्रतिनिधित्व करता रहा है। जेबीसीसीआइ-९ तक इसने नेतृत्वकारी भूमिका निभाई है। ऐसे में उसे जेबीसीसीआइ-१० व ११ से अलग करना केंद्र सरकार की साजिश है। इसमें कुछ अन्य नेता भागीदार बने हैं। दरअसल जेबीसीसीआइ-९ का समझाैता ऐतिहासिक था। इसमें मजदूराें काे सर्वाधिक वेतन वृद्धि व लाभ मिला और इसका एकमात्र श्रेय इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष व इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह काे जाता है। यही वजह है कि सरकार नहीं चाहती कि इस बार उसे फिर से उतना ही खर्च करना पड़े। इसी साजिश के तहत जेबीसीसीआइ-१० में भी अड़ंगा लगाया गया। तब हमने मजदूर हित के लिए चुप रहना बेहतर समझा। परिणाम निकला कि मजदूर ठगे गए। अबकी बार ऐसा नहीं हाेगा। काेल इंडिया काे हमें प्रतिनिधत्व देना ही हाेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.