Taliban से आरएसएस की तुलना पर संघ ने दिग्विजय और जावेद की सोच पर कसा तंज, झारखंड प्रांत सह कार्यवाह ने कह दी बड़ी बात
RSS कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और लेखक जावेद अख्तर ने आरएसएस की तुलना तालिबान से की है। इसे लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दोनों की सोच पर सवाल उठाया है। साथ ही कहा है कि आरएसएस की तुलना सिर्फ आरएसएस से ही हो सकती है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। तालिबान से आरएसएस की तुलना कर लेखक जावेद अख्तर और कांग्रेस नेता मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह संघ परिवार के निशाने पर आ गए हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दोनों की सोच को हिंदू और हिंदुत्व के खिलाफ बड़ी साजिश बताते देते हुए आम जनमानस को जागरूक करने में जुट गया है। झारखंड प्रांत सह कार्यवाह राकेश लाल ने कहा है कि आरएसएस से आरएसएस की ही तुलना हो सकती है, किसी और से नहीं। जैसे आकाश की तुलना आकाश से, पृथ्वी की तुलना पृथ्वी से और समुद्र की तुलना समुद्र से उसी तरह आरएसएस की तुलना आरएसएस से हो सकती है।
दिग्विजय सिंह और जावेद अख्तर की सोच
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को ट्वीट कर आरएसएस की तुलना तालिबान से की थी। उन्होंने लिखा था-
RSS और तालिबान की महिलाओं पर समान विचारधारा है। तालिबान का कहना है कि महिलाएं मंत्री बनने के लायक नहीं हैं। मोहन भागवत कहते हैं कि महिलाओं को घर पर रहना चाहिए और घर की देखभाल करनी चाहिए। क्या ये समान विचारधाराएं नहीं हैं? वहीं फिल्म कहानीकार और गीतकार जावेद अख्तर ने एक टीवी शो के दाैरान तालिबान से आरएसएस की तुलना की। कहा-जैसे तालिबान अफगानिस्तान को इस्लामी राष्ट्र बनाना चाहता है उसी तरह आरएसएस भी हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए काम कर रहा है।
जिसकी जैसी भावना उसी अनुरूप सोच
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ झारखंड प्रांत का धनबाद में तीन दिवसीय कार्यकर्ता बैठक चल रही है। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत झारखंड और बिहार के तमाम आला पदाधिकारी माैजूद हैं। कार्यक्रम के दूसरे दिन झारखंड प्रांत सह कार्यवाह राकेश लाल मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने बैठक के उद्देश्यों की जानकारी दी। जब जावेद अख्तर और दिग्विजय सिंह के बयान की तरफ ध्यान दिलाया गया तो उन्होंने कहा-जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन जैसी। दिग्विजय और जावेद की अपनी सोच है। आरएसएस को कुछ नहीं कहना है। क्योंकि संघ की तुलना सिर्फ संघ से ही हो सकती है।
विधानसभा में नमाज कक्ष उचित नहीं
झारखंड विधानसभा में नमाज कक्ष बनाया जाना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दृष्टि में उचित कदम नहीं है। धनबाद के राजकमल विद्या मंदिर में शनिवार को प्रांत सह कार्यवाह राकेश लाल ने कहा कि विधानसभा विधायिका का मंदिर है। यह संघ मानता है और समाज भी। विधानसभा में धर्म विशेष के लोगों के लिए विशेष स्थान का आवंटन करना विशेषाधिकार हो सकता है। इस मसले पर सरकार ने सर्वदलीय समिति बनाई है। सर्वदलीय समिति की अनुशंसा के आधार पर सरकार के अंतिम निर्णय का इंतजार है। सरकार के अंतिम निर्णय के अनुसार संघ इस मसले पर विचार करेगा।
संघ जाति विभेद में नहीं करता विश्वास
प्रांत संघचालक सच्चिदानंद अग्रवाल, प्रांत कार्यवाह संजय कुमार और प्रांत प्रचार प्रमुख धनंजय कुमार सिंह की मौजूदगी में हुए संवाददाता सम्मेलन में राकेश लाल ने कहा कि झारखंड के सभी जिलों से धर्मांतरण की सूचना आयी है। संघ किसी को रोकता नहीं है, न किसी को विरोध करने के लिए प्रेरित करता है। संघ को इस बात की जरूर चिंता है कि हिंदू मजबूती से खड़ा रहे। हिंदू शक्ति बढ़ाने पर काम किया जाएगा। पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के मसले पर उन्होंने कहा कि संघ जाति विभेद में विश्वास नहीं करता। 25 सालों तक शाखाओं में साथ रहने वाले एक-दूसरे की जाति नहीं जानते। इतना अवश्य है कि संघ को मंदिर, श्मशान गृह और पेयजल के मसले पर जातिवाद कतई स्वीकार्य नहीं है। इन स्थानों पर जातिगत बंधन तोडऩे के लिए संघ हरसंभव काम करेगा। राकेश लाल ने कहा कि संघ की तुलना सिर्फ संघ से हो सकती है। तालिबान से तुलना करने पर कुछ नहीं कहना है। यह दिग्विजय सिंह की अपनी सोच है।