World Biodiversity Day: लॉकडाउन में होने लगे दुर्लभ पक्षियों के दीदार, अब इनका संरक्षण हो तो बनेगी कुछ बात Dhanbad News
जीव-जंतुओं के संरक्षण की दिशा में धनबाद में बड़ी पहल हुई है। यह पहला जिला है जहां विलुप्त हो रहे जीव जंतुओं के संरक्षण को जैव विविधता कमेटी का DMC की ओर से गठन किया गया है।
धनबाद [आशीष सिंह ]। World Biodiversity Day इंसानी गतिविधियों के बढऩे और पर्यावरण को पैदा हुए गंभीर खतरे ने कई प्रजातियों को विलुप्त कर दिया तो कई विलुप्त होने के कगार पर हैं। एक समय गौरैया, गिद्ध और कौवा दिखना आम बात थी। अब इनके दर्शन दुर्लभ हो रहे हैं। मोर और साइबेरियन परिंदों को भी बचाना चुनौतीपूर्ण है। लॉकडाउन ने उम्मीद की किरण जरूर जगाई है। दस वर्ष बाद धनबाद में इंडियन व्हाइट आइ पक्षी देखने को मिला। सफेद बाज भी लोगों ने देखा, जो हाल के वर्षों में नहीं देखा गया था। ये संकेत है कि पर्यावरण की सुरक्षा करोगे तभी जैव विविधता बचेगी।
जीव-जंतुओं के संरक्षण की दिशा में धनबाद में बड़ी पहल हुई है। यह पहला जिला है जहां विलुप्त हो रहे जीव जंतुओं के संरक्षण को जैव विविधता कमेटी का धनबाद नगर निगम की ओर से गठन किया गया है।
सात सदस्यीय कमेटी पशु, पक्षी, पेड़, पौधों के बारे में जानकारी एकत्र करेगी। रिपोर्ट वन विभाग और पशुपालन पदाधिकारी से अप्रूवल के बाद राज्य सरकार को भेजी जाएगी। राज्य सरकार यह रिपोर्ट केंद्र को भेजेगी। फिर योजना बनाकर इनके संरक्षण होगा।
कमेटी में शामिल सदस्य
जैव विविधता प्रबंधन कमेटी में सात सदस्य हैं। प्रेमचंद्र अध्यक्ष बनाए गए हैं। अन्य सदस्यों में संतोष श्रीवास्तव, पार्षद जय कुमार, पार्षद निसार आलम, मधुमिता किस्कू, डिंपल कुमारी और तरुण गोस्वामी शामिल हैं। कमेटी ने जमीनी स्तर पर डाटा एकत्र करना शुरू कर दिया है। देखा जा रहा है कि यहां के पर्यावरण में पहले किस प्रजाति के जीव-जंतु थे, किस वजह से लुप्त हो गए, अभी क्या स्थिति है। कौन-कौन सी नई प्रजाति दिख रही है। इस दौरान नई प्रजाति मिलती हैं तो इसकी भी अलग से रिपोर्ट बनेगी। कमेटी ने प्रारंभिक अध्ययन के बाद एक दर्जन परिंदों के संरक्षण को बेहद जरूरी बताया है।
इनका संरक्षण बेहद अहम
- तोता
- रंग-बिरंगी गोरैया
- गिद्ध
- तीतर
- सफेद बाज
- सफेद उल्लू
- साइबेरियन क्रेन
- कौवा
- कठफोड़वा
- मोर
- ब्राह्मणी मैना
- लाल मुनिया
- ऑरिओल
जीव-जंतुओं का बेसिक डाटा एकत्रित कर रहे हैं। लॉकडाउन में स्थितियां बदली हैं। जो पशु-पक्षी 30-40 साल पहले दिखते थे। वो आज दिख रहे हैं। इंडियन व्हाइट आइ पक्षी और सफेद बाज इसका उदाहरण है। ऐसे पक्षी भी दिख रहे हैं जो अमूमन शहरी क्षेत्र में नहीं दिखते हैं। जैव विविधता मैनेजमेंट कमेटी को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी सजग है।
- प्रेमचंद्र, अध्यक्ष जैव विविधता मैनेजमेंट कमेटी
धनबाद देश का पहला जिला है जहां जैव विविधता के संरक्षण को कमेटी बनी है। विलुप्त हो रही प्रजातियों को सहेजने को हर उपाय होंगे।
-चंद्रशेखर अग्रवाल, मेयर धनबाद