नाबालिग को पहले नहीं मिली गर्भपात की इजाजत, अब बेटी को प्यार देने का भी हक नहीं
पिता की ज्यादती की शिकार हुई नाबालिग ने जब अनचाहे गर्भ से मुक्ति की जद्दोजहद की तो उस वक्त भी कानून आड़े आ गया और उसे गर्भपात की अनुमति नहीं मिली थी।
जागरण संवाददाता, धनबाद: पिता की ज्यादती की शिकार हुई नाबालिग ने जब अनचाहे गर्भ से मुक्ति की जद्दोजहद की तो उस वक्त भी कानून आड़े आ गया और उसे गर्भपात की अनुमति नहीं मिली थी। अब जब उसने बिटिया को जन्म दिया है तो एक बार फिर कानूनी बाधा आड़े आ रही हैं।
नाबालिग को अपनी नवजात बच्ची के लालन-पालन की अनुमति नहीं मिलेगी। 60 दिनों बाद उस बच्ची को लीगल फ्री करने की प्रक्रिया शुरू होगी। लीगल फ्री होते ही उसे अडॉप्शन के लिए रांची या हजारीबाग सेंटर के हवाले कर दिया जाएगा। नि:संतान दंपती आवेदन देकर उस बच्ची को गोद ले सकेंगे।
इस बारे में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन अनिल कुमार सिंह व सदस्य शंकर रवानी ने बताया कि पांच माह की गर्भवती नाबालिग को 29 दिसंबर 2017 को रांची के निर्मल हृदय आश्रम में भेजा गया था जहां पिछले माह 22 मार्च को उसने पुत्री को जन्म दिया। जन्म के बाद नवजात को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के निर्देश पर रांची के करुणाश्रम में भेजा गया जहां उसकी देखभाल की जा रही है।
नाबालिग के भविष्य का फैसला भी चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ही लेगी सीडब्ल्यूसी पदाधिकारियों ने बताया कि यौन शोषणा पीड़िता फिलहाल अपने रामकनाली स्थित घर पर मां के साथ रह रही है। मंगलवार को उसे उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था, पर परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने की बात कहकर हाजिर नहीं हुई। नाबालिग का पिता जेल में है, इसलिए उसके भविष्य का फैसला भी चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ही करेगी।
छत्तीसगढ़ की रहने वाली है पीड़िता: पीड़िता छत्तीसगढ़ की रहने वाली है। उसने गर्भपात के लिए पूर्व में दिए गए आवेदन में यह इच्छा भी जताई थी कि उसे इसकी अनुमति दे दी जाए, ताकि वह छत्तीसगढ़ लौटकर वहां नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत कर सके।
क्या है मामला: घटना रामकनाली क्षेत्र से जुड़ा है। पिछले वर्ष रक्षाबंधन से दो दिन पहले दोपहर तकरीबन एक बजे 15 वर्षीय मासूम घर पर अकेली थी। उसी वक्त पिता ने उसके साथ ज्यादती की। बाद में उसे डरा-धमकाकर लगातार ऐसा करता रहा। उसके गर्भवती होने पर मामला खुला और उसके बाद पिता की गिरफ्तारी भी हुई।
फ्लैश बैक
- 11 नवंबर 2017 को कतरास थाना के रामकनाली ओपी में दर्ज हुई प्राथमिकी, पोक्सो एक्ट भी लगा
- 12 नवंबर 2017 को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने लिया मामले में संज्ञान
- 14 नवंबर 2017 को पहली बार रामकनाली ओपी पुलिस के साथ चाइल्ड वेलफेयर कमेटी में पेश की गई पीड़िता
- 20 नवंबर 2017 को नाबालिग ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी से मांगी गर्भपात कराने की अनुमति
- 22 नवंबर 2017 को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने जिला जज, जिला विधिक सेवा प्राधिकार एवं उपायुक्त को गर्भपात की अनुमति को लिखा आग्रह पत्र
- इसी पत्र के आधार पर डीएसपी बाघमारा ने अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसके बाद गर्भपात के लिए मेडिकल टीम का गठन हुआ।
- मेडिकल टीम की रिपोर्ट में गर्भपात कराना खतरनाक बताया गया जिसके बाद 29 दिसंबर 2017 को उसे रांची निर्मल हृदय शेल्टर होम भेजा गया।
बयान दर्ज कराने नहीं आने की वजह से नहीं मिल सकी सहायता राशि: ऐसे मामलों में जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) विक्टिम कंपंसेशन स्कीम के तहत पीड़िता को सहायता राशि प्रदान करता है। बार-बार बुलाने के बाद भी अब तक पीड़िता जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव के समक्ष बयान दर्ज कराने हाजिर नहीं हुई है, जिसके कारण उसे सहायता राशि का भुगतान नहीं किया जा सका है।