आइआइटी-आइएसएम में पीएचडी कर रहे छात्र ने की खुदकुशी
बेटे की मौत की सूचना घर के दरवाजे पर लगातार दस्तक दे रही है, जबकि अनहोनी से बेचैन मां ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है। वह बेटे को सिर्फ बीमार मान रही है।
धनबाद, जेएनएन। आइआइटी-आइएसएम में पीएचडी कर रहे छात्र रंजन राठी ने गुरुवार की रात फांसी लगा खुदकशी कर ली। वह मेकेनिकल डिपार्टमेंट में पीएचडी कर रहा था। मुरादाबाद निवासी राठी ने आइएसएम से ही एमटेक की पढ़ाई की। इसके बाद पीएचडी के लिए इसी साल 28 जुलाई को नामांकन कराया। वह जैसपर हॉस्टल के डी ब्लॉक में रहता था। गुरुवार को अपने रूम में अकेले था। उसका रूम पार्टनर रांची गया था।
राठी का रूम पार्टनर गुरुवार रात लगातार मोबाइल पर फोन करता रहा, लेकिन जवाब नहीं मिला। इसके बाद उसने साथियों को यह जानकारी दी कि राठी फोन रिसीव नहीं कर रहा है। शुक्रवार को तड़के चार बजे हॉस्टल के छात्रों ने राठी के रूम का दरवाजा पीटा। कोई जवाब नहीं मिलने के बाद सुरक्षा गार्ड को सूचना दी। गार्ड ने वेंटीलेटर से झांका तो वह कमरे में फांसी के फंदे पर झूल रहा था। पुलिस को सूचना दी गई। इसके बाद शव को फंदे से उतारकर पोस्टमार्टम के लिए पीएमसीएच भेज दिया गया।
राठी ने मुरादाबाद एमआइटी से बीटेक की थी। उसके पिता उदय भान सिंह राठी को घटना की जानकारी दे दी गई है। वह शाम तक धनबाद पहुंचेंगे। इसके बाद शव को लेकर मुरादाबाद जाएंगे। आत्महत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है। यह पता लगाने के लिए पुलिस राठी के साथियों से पूछताछ कर रही है।
मां से कहे कौन कि सदा के लिए छोड़ गया इकलौता लाल
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। मां की ममता और अटल मौत के बीच बीते 24 घंटे से अघोषित जंग जारी है। बेटे की मौत की सूचना घर के दरवाजे पर लगातार दस्तक दे रही है, जबकि अनहोनी से बेचैन मां ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है। वह बेटे को सिर्फ बीमार मान रही है। मां को यकीन है कि लख्तेजिगर वापस उसकी गोद में लौटेगा। गले लगेगा और कहेगा कि मां तेरे सपने अब पूरे होने वाले हैं। दिल को झकझोरने वाला यह मंजर मुरादाबाद के रामगंगा विहार स्थित आशियाना फेज वन एमएमआइजी निवासी पुलिस कर्मी उदय भान सिंह राठी के घर का है। सम्भल के गुन्नौर थाने में तैनात उदयभान का इकलौता बेटा रंजन राठी सदा के लिए दुनिया से चला गया है।
झारखंड के धनबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइएसएम) में मैकेनिकल से पीएचडी कर रहा रंजन जिंदगी की जंग हार चुका है। अवसाद ग्रस्त युवक मौत को गले लगा चुका है। दिल दहलाने वाली यह सूचना शुक्रवार सुबह रंजन के पिता को मिली। उन्होंने पत्नी से सिर्फ इतना कहा कि बेटा बीमार है। धनबाद जाना होगा। बेचैन मां ने घबरा कर कहा कि एक माह से ज्यादा समय बीत गया रंजन को देखे। उसे साथ लेकर जरूर आना। पति ने हामी भी भरी, लेकिन यह कहने की हिम्मत वह नहीं जुटा सके कि उसकी सांसों की डोर टूट चुकी है। अब सिर्फ मरा मुंह ही देखने को मिलेगा। इसके बाद दिल में दर्द का अथाह समंदर लेकर उदयभान घर से रवाना हो गए।
मोबाइल के जरिए घटना की जानकारी उन्होंने रिश्तेदारों को दी। साथ ही, पत्नी पूनम का ख्याल रखने को भी कहा। शुक्रवार शाम घर के इर्द गिर्द रिश्तेदार आए तो जरूर, लेकिन उनमें से किसी के दिल में इतनी हिम्मत नहीं जुटी कि वह रंजन की मां से कह सकें कि तेरा लाल सदा के लिए दुनिया से चल बसा है। हालांकि उनकी आंसुओं से बोझिल आंखें व चेहरे पर पसरी खामोशी पूरी तस्वीर बयां कर रही थीं। फिर भी रिश्तेदार चेहरा छिपाने में जुटे रहे। उन्होंने बताया कि रंजन की छोटी बहन नोएडा में किसी फर्म में कार्यरत हैं।