योग भगाए रोग... ऑनलाइन धुनी रमा रहीं राफिया नाज, तनाव कम करने में ध्यान लाभकारी
राफिया ने कहा कि ध्यान वैसे तो अपने आप में एक मानसिक अवस्था है लेकिन इसे आम तौर से एक अभ्यास के रूप में भी जाना जाता है। इसके अभ्यास से कोई नुकसान नहीं होता। अगर आप नियमित रूप से अभ्यास करें तो लाभ ही लाभ है।
धनबाद, जेएनएन। झारखंड की चर्चित योग शिक्षिका राफिया नाज हमेशा कट्टरपंथियों के निशाने पर रहती हैं। इन सबकी परवाह न कर वह योग के माध्यम से लोगों को निरोग करने में लगी हैं। इसके लिए वह इन दिनों ऑनलाइन योगा क्लास लगा रही है। राफिया नाज धनबाद के निरसा स्थित महर्षि दयानंद आर्य वैदिक गुरुकुल बैजना की संरक्षिका हैं। उन्होंने मंगलवार को ऑनलाइन क्लास के दाैरान योग के महत्व को बताते हुए कहा कि ध्यान या मैडिटेशन एक ऐसी मानसिक अवस्था है, जिसमें व्यक्ति अपने दिमाग और मन को एकाग्रचित करने की कोशिश करता है। कई धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के रूप में प्राचीन काल से ध्यान करने का अभ्यास किया जा रहा है।
योग से कोई नुकसान नहीं, लाभ की लाभ
राफिया ने कहा कि ध्यान वैसे तो अपने आप में एक मानसिक अवस्था है, लेकिन इसे आम तौर से एक अभ्यास के रूप में भी जाना जाता है। इसके अभ्यास से कोई नुकसान नहीं होता। अगर आप नियमित रूप से अभ्यास करें तो विपरीत परिस्थितियों में भी अपना मानसिक संतुलन बनाए रख सकते हैं। इनके कई अन्य लाभ हासिल कर सकते हैं। ध्यान एक विचारहीन जागरूकता अवस्था है, जो नींद या समाधि नहीं है। इसमें व्यक्ति पूरी तरह से अपने नियंत्रण में होता है, बस वो अपने दिमाग का उपयोग किसी का विश्लेषण करने अर्थात किसी और की बातें करने के लिए नहीं करता है। इस अवस्था में आपके दिमाग में कोई लौकिक विचार नहीं होता, लेकिन आप पूर्ण रूप से सचेत होते हैं। सबसे ज्यादा लोग, तनाव कम करने के लिए ध्यान करने का प्रयास करते हैं। राफिया ने बताया कि एक अध्ययन से पता चला है जिसमें 3500 से अधिक वयस्क भी शामिल थे कि ध्यान करने से उनके तनाव में कमी आयी है।
ध्यान करने वाले के सोच में आता बदलाव
उन्होंने कहा कि एक रिसर्च से यह भी पता चला है कि मेडिटेशन करने से तनाव संबंधित स्थितियों में भी सुधार होता है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार, जो लोग विपस्सना मेडिटेशन करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो नहीं करते हैं, उनके मस्तिष्क की गतिविधियां उनके नियंत्रण में होती है अर्थात उनका अपने दिमाग पर नियंत्रण होता है। जो लोग ध्यान करते थे उनकी सोच में बदलाव दिखाई देता है। वो अब पहले से अधिक सकारात्मक सोचने लगे हैं। मौके पर डॉ. यशवन्त सिंह, हरहर आर्य, अविनाश सिन्हा, प्रह्लाद आर्य, संतोष सिंह, मित्रसेन आर्य, पिंटू कुमार, राजेश कुमार, शंकर कुमार शामिल थे।