Weekly News Roundup Dhanbad: आरक्षण शुल्क लगाया, किराया नहीं बढ़ाया; पढ़ें रेलवे के हाथ की सफाई
जनरल कोच को सेकेंड सीटिंग के नाम पर आरक्षित बनाकर रेल किराए में सिर्फ 15 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। लेकिन किराया नहीं बढ़ाने की बात की जा रही है। इसे ही कहते हैं हाथ की सफाई। प्रति टिकट 15 रुपये की वृद्धि।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। यात्रीगण कृपया ध्यान दें...। जनरल कोच को सेकेंड सीटिंग के नाम पर आरक्षित बनाकर रेल किराए में सिर्फ 15 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। रेलवे खुद इस बढ़ोतरी को स्वीकार रही है। बावजूद यह ढिंढोरा भी पीट रही है कि किराया नहीं बढ़ा है। अब तक त्योहारी सीजन में चलने वाली स्पेशल ट्रेनों के लिए जेब पर डाका डाल लेती थी। इस बार सिस्टम थोड़ा बदल दिया। पहले से चलने वाली ट्रेनों को ही स्पेशल का नाम देकर जेब पर कैंची चलाने लगी। अब धनबाद से खुलने वाली गंगा-दामोदर एक्सप्रेस का उदाहरण ही ले लीजिए। उसी ट्रेन को चलाकर यात्रियों पर किराए का बोझ लाद दिया गया। धनबाद से पटना का स्लीपर का किराया 195 से बढ़कर 295 हो गया। अभी-अभी दून एक्सप्रेस पटरी पर लौटी। उसे कुंभ स्पेशल बनाकर किराया आसमान पर पहुंचा दिया। जाने दीजिए, पब्लिक है सब जानती है।
धमाके में गुम हो गई मौत की चीख
वह 11 जनवरी थी। शाम के तकरीबन चार बजे थे। गर्भवती पत्नी को छोड़कर नसीम धनबाद रेलवे स्टेशन से सटे डायमंड क्रॉङ्क्षसग के पास मिट्टी खोदने आया था। उसे कहां पता था कि जिस मिट्टी को वह खोद रहा है, उसी मिट्टी में उसकी मिट्टी मंजिल होगी। एकाएक जोरदार धमाका हुआ और नसीम का नसीब बिगड़ गया। कुछ ही पलों में मौत की आगोश में समा गया। रेलवे के जिस विभाग ने वहां केबल बिछाने के लिए गड्डे खोदने का ठेका दिया था, उसने साफ तौर पर पल्ला झाड़ लिया। इस बात का खुलासा भी हुआ कि जिस ठेकेदार को ठेका दिया गया, उसने काम पेटी कांट्रैक्ट पर दे दिया। काम लेनेवाले ठेकेदार ने रेलवे से अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझा और मनमानी की। इतना सबकुछ होने के बाद भी गरीब कामगार की मौत की चीख धमाके में गुम हो गई।
टाइगर रिजर्व एरिया से रेलवे नाराज
टाइगर रिजर्व एरिया कहे जाने वाले बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से रेलवे नाराज चल रही है। विश्वास न हो तो पूरी कहानी बयां देते हैं। पहले तो पूरे धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग पर ही ट्रेनें बंद हो गई। जन आंदोलन खड़ा हुआ और मामला दिल्ली दरबार तक पहुंचा तो लोकसभा चुनाव से ऐन पहले ही टे्रनों को ग्रीन सिग्नल मिल गया। आंदोलन करने वाले क्षेत्र के वाङ्क्षशदों ने सोचा चलो जीत का परचम लहरा दिया। पर कुछ ही महीनों बाद इस रेल मार्ग के छोटे स्टेशन और हॉल्ट पर टे्रनों का ठहराव छीन लिया गया। तेतुलिया, टुंडू, बुदौड़ा, जमुनी और अंगारपथरा को अलविदा कह दिया। अब जब कोरोना काल के नौ महीने बाद टे्रनों के पहिए घूमे तो कतरासगढ़ जैसे अहम स्टेशन को टे्रनों ने टाटा-बाय-बाय करना शुरू कर दिया। पहले वनांचल, फिर कोलकाता-अजमेर, रांची-दुमका इंटरसिटी और अब रांची इंटरसिटी भी कतरास वालों से रूठ गई।
स्टेशन पर आने-जाने की अब पूरी आजादी
धनबाद रेलवे स्टेशन की व्यवस्था अब बदल गई है। यहां अब न तो थर्मल स्क्रीनिंग के लिए गेट पर ठहरना है और न ही हाथों को सैनिटाइज करना है। यहां तक कि गेट पर आरपीएफ भी अब रोक-टोक से परहेज कर रही है। सामान लेकर सीधे प्लेटफॉर्म तक आसानी से जा सकते हैं। अगर आप अपने रिश्तेदार को छोडऩे जा रहे हैं तो भी अंदर जा सकते हैं। पहले अंदर जाने के लिए प्लेटफॉर्म टिकट खरीदने पड़ते थे। अब उसकी भी जरुरत नहीं। रेलवे अभी प्लेटफॉर्म टिकट जारी करने का शुभ मुहूर्त तलाश रही है। इसलिए बिना किसी झिझक के अंदर चले जाइए और बाहर भी निकल आइए। हां, इतना जरूर ध्यान रहे कि गेट पर टिकट चेकिंग स्टाफ से सामना न हो जाए। वरना वापसी में खातिरदारी भी हो सकती है और इसका खामियाजा बेचारी आपकी जेब को ही भुगतना पड़ जाएगा।