Indian Railways: रेल परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण नीति में बदलाव; नाैकरी का प्रावधान नहीं, मिलेगा सिर्फ मुआवजा
रेलवे जिस जमीन का अधिग्रहण कर रही है यदि उसके मालिक एक से ज्यादा हैं तो भी मुआवजे की रकम पांच लाख ही होगी। उस राशि का जमीन के मालिकों के बीच बंटवारा होगा।
धनबाद, जेएनएन। ट्रैक बिछाने के लिए जमीन देकर नौकरी और मोटी रकम पाने का सपना संजोये बैठे किसानों को रेलवे ने बड़ा झटका दिया है। जमीन अधिग्रहण को लेकर रेलवे ने जो नया प्रावधान बनाया है, उसके मुताबिक न तो अब जमीन की बाजार कीमत को दोगुना मुआवजा मिलने वाला है और न ही परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी मिलेगी। रेल मंत्रालय का सबसे हैरान करने वाला फैसला मुआवजा की दर का लेकर है। किसान की जमीन कितनी भी क्यों न हो, उसे महज 5 लाख रुपए ही दिए जाएंगे। इस संबंध में रेलवे बोर्ड के संयुक्त निदेशक भूमि एवं सुधार चंद्रशेखर और संयुक्त निदेशक स्थापना एन (द्वितीय) एमएम राय ने सभी जोन को आदेश जारी कर दिया है।
राज्य सरकार के अफसर से कराना होगा सत्यापनः जमीन के बदले पांच लाख रुपये मुआवजा देने के नियम में भी कई शर्तें शामिल की गई हैं। इसके तहत रेल परियोजना में जमीन देने पर मुआवजा के लिए राज्य सरकार के अफसर से सत्यापित कराना होगा कि जिन्हें मुआवजा भुगतान किया जा रहा है, उन्हें विस्थापित कर दूसरे स्थान पर भेज दिया गया है और उनकी समस्त भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है।
क्षतिपूर्ति का निर्धारण आरएफसीटीएलएआरआर अधिनियम-2013 के तहत होगाः जमीन दाताओं के लिए क्षतिपूर्ति का निर्धारण (आरएफसीटीएलएआरआर) भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम-2013 के तहत होगा। भूमि अधिग्रहण निबटारे से जुड़े तमाम प्राधिकारियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
जमीन के मालिक एक से ज्यादा होने पर पांच लाख में ही होगा बंटवाराः रेलवे जिस जमीन का अधिग्रहण कर रही है, यदि उसके मालिक एक से ज्यादा हैं, तो भी मुआवजे की रकम पांच लाख ही होगी। उस राशि का जमीन के मालिकों के बीच बंटवारा होगा। यानि जमीन दो लागों की है तो ढाई-ढाई लाख और पांच मालिकों की है तो एक-एक लाख रुपये ही मुआवजा के तौर पर मिलेंगे।