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जानें-सड़क हादसे में माैत होने पर कितने लाख रुपये तक के मुआवजे का प्रावधान

एमवी एक्ट की धारा 141 के तहत मुआवजे का प्रावधान है तथा धारा 161 के तहत आश्रितों को लाखों रुपये मिल सकता है। मृतक की उम्र तथा उसकी सालाना आमदनी पर मुआवजा निर्धारित होती है।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 10:29 AM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 06:42 PM (IST)
जानें-सड़क हादसे में माैत होने पर कितने लाख रुपये तक के मुआवजे का प्रावधान
जानें-सड़क हादसे में माैत होने पर कितने लाख रुपये तक के मुआवजे का प्रावधान

धनबाद, जेएनएन। धनबाद समेत राज्य भर में सड़क दुर्घटनाओं का ग्र्राफ तेजी से बढ़ रहा है। हर दिन कहीं न कहीं दुर्घटना में लोग गंभीर रूप से जख्मी हो रहे या फिर उनकी जानें चली जा रही है, पर जागरूकता के अभाव में मृतक के आश्रितों को आर्थिक लाभ से भी वंचित होना पड़ता है। कई बार दुर्घटना के बाद लोगों का हंगामा व सड़क जाम की स्थिति से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन मृतक के आश्रितों को अंतिम संस्कार के लिए दस हजार रुपये देती है, तो कभी गाड़ी मालिक लाख-दो लाख रुपये देकर पिंड छुड़ा लेते हैं। पर, आपको पता है एमवीआइ एक्ट के तहत जिस गाड़ी से दुर्घटना हुई है उस गाड़ी की बीमा पॉलिसी से मृतक के आश्रितों को मोटी रकम मुआवजा के तौर पर मिल सकती है। 

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एमवी एक्ट की धारा 141 के तहत मुआवजे का प्रावधान है तथा धारा 161 के तहत आश्रितों को लाखों रुपये मिल सकता है। मृतक की उम्र तथा उसकी सालाना आमदनी पर मुआवजा निर्धारित होती है। मुआवजा बीमा कंपनी द्वारा ही मिलता है, पर इसे प्राप्त करने के लिए कुछ उपाय हैं, जिसे पुलिस के सहयोग से मृतक के आश्रितों को करना होता है। 

मृतक के आश्रित इस तरह प्राप्त कर सकते हैं मुआवजाः मृतक के आश्रित या पैर दुर्घटना से विकलांग व्यक्ति जिला जज के ट्रिब्यूनल में एक फॉर्म भर याचिका दायर कर सकते हैं। यह फॉर्म न्यायालय परिसर में किसी भी फॉर्म विक्रेता के पास आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। उस फॉर्म के साथ थाना में दर्ज एफआईआर, जख्म रिपोर्ट या पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मोटर वाहन का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, बीमा प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि जो किसी दुर्घटना के बाद आसानी से पुलिस के सहयोग से प्राप्त कर सकते हैं और उपरोक्त प्रमाण पत्र को आवेदन के साथ संलग्न कर जमा करते हैं। किसे कितना मुआवजा मिल सकता है, यह एमवी एक्ट के शिड्यूल दो में वर्णित किया गया है। मृतक की उम्र तथा उसकी वार्षिक आय पर निर्भर करता है। यह लाखों में हो सकता है। अमूमन ऐसे मामले को न्यायालय लोक अदालत भेजती है, जहां समझौते के आधार पर फैसला होता है। यही कारण है कि ऐसे मामले में काफी कम समय में मृतक के आश्रितों को मोटी रकम मुआवजा मिल जाता है और मामले भी तत्काल सलट जाते हैं। 

पुलिसकर्मियों में भी प्रशिक्षण का अभावः सड़क दुर्घटना के दौरान पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने तथा वाहन चालक को जेल भेजने तक अपना दायित्व समझती है, पर पुलिस का दायित्व काफी बड़ा है। खासकर किसी दुर्घटना में केस के अनुसंधानकर्ता को मृतक के आश्रितों को मुआवजा दिलाने के लिए एमवी एक्ट के प्रावधान के अनुसार कागजात तैयार करने में आवेदक को मदद करने का भी कर्तव्य है, पर नियमों की जानकारी व प्रशिक्षण के अभाव में पुलिसकर्मी ऐसा नहीं कर पाते हैं। 

पिछले दो सालों में सबसे अधिक दुर्घटना में मौत जनवरी मेंः पिछले दो वर्षो की तुलना में इस वर्ष जनवरी माह में सड़क दुर्घटना का ग्र्राफ काफी तेजी से बढ़ा है। लगातार सड़क दुर्घटना पर अकुंश लगाने के लिए पुलिस प्रशासन ने काफी प्रयास किया। वाहन चालकों के बीच जागरूकता अभियान चलाए गए, बावजूद इस वर्ष दुर्घटना में मरनेवालों की संख्या अधिक थी। वर्ष 2017 के जनवरी माह में जहां 36 सड़क दुर्घटना हुईं, जिसमें 18 लोगों की मौत तथा 20 जख्मी हो गए। वर्ष 2018 के जनवरी माह में दुर्घटना का ग्र्राफ कम रहा। कुल 23 सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें 18 की मौत तथा 16 जख्मी हुए। इस साल के जनवरी माह में 33 दुर्घटना हुई, जिसमें 30 लोगों की मौत तथा 9 लोग जख्मी हुए हैं।


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