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निवर्तमान पार्षद के भाई ने फंदे से लटककर दी जान, अकेले में रहने की थी आदत, भजन-कीर्तन में खूब लगता था मन

प्रभात कुमार उर्फ छोटू गुप्ता ने आत्‍महत्‍या क्‍यों की है इसका पता अभी नहीं चल पाया है पुलिस भी अभी तक किसी का बयान नहीं ले पाई है। शुक्रवार सुबह उन्‍होंने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। वह बेकारबांध में निवर्तमान पार्षद अशोक पाल के भाई हैं।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenFri, 24 Mar 2023 05:03 PM (IST)
निवर्तमान पार्षद के भाई ने फंदे से लटककर दी जान, अकेले में रहने की थी आदत, भजन-कीर्तन में खूब लगता था मन
मृत प्रभात कुमार उर्फ छोटू गुप्ता की फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, धनबाद। बेकारबांध में निवर्तमान पार्षद अशोक पाल के भाई प्रभात कुमार उर्फ छोटू गुप्ता ने शुक्रवार को घर में ही फंदे से लटकर खुदकुशी कर ली। आत्महत्या के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। घरवालों ने पुलिस को बताया है कि छोटू काफी दिनों से अवसाद में था। छोटू गुप्ता पूर्व में बेकारबांध स्थित अशोक मेडिकल दुकान चलाता था, पांच भाईयों में वह मंझिला था। कुछ दिन पूर्व ही छोटू ने अपने बेटे हैप्पी की शादी की थी। काफी दिनों से प्रभात उर्फ छोटू खोया-खोया रहता था।

सुबह-सुबह फांसी के फंदे से लटक गए छोटू

घर में भी वह अधिकतर अकेला रहना पसंद करता था, जबक‍ि संयुक्‍त परिवार होने के चलते सभी एक साथ मिलकर रहते हैं। छोटू का कीर्तन में भी मन लगाता था। यही वजह है कि वह दवा की दुकान में कम बैठता था और दुकान चलाने की जिम्‍मेदारी अधिकतर पत्‍नी और बेटे की ही थी। शुक्रवार की सुबह परिवार के सभी सदस्य घर में सोकर भी नहीं उठे थे कि तभी छोटू गुप्ता एक कमरे में फंदे से लटक गए।

अस्‍पताल पहुंचाने का नहीं हुआ कोई फायदा

सुबह छह बजे के करीब परिवारवालों ने उन्हें फंदे से उतारा और आनन-फानन में जालान अस्पताल पहुंचाया। यहां चिकित्सकों ने छोटू को मृत घोषित कर दिया। धनबाद थाना की पुलिस भी मौके पर पहुंच मामले की छानबीन कर रही है। शव का पंचनामा तैयार कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। फिलहाल, पुलिस किसी का बयान नहीं ले पाई है।

जागरण सुझाव

जिंदगी में उतार-चढ़ाव लगा रहता है। इसका डटकर सामना करना चाहिए। आत्महत्या कोई हल नहीं है। इससे मरने वाले परिवार की स्थिति भी दयनीय हो जाती है। खुदकुशी करना समस्या का हल नहीं है। समस्या का हल खुद ढूंढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। इसी के साथ अगर परेशानी ज्‍यादा है, तो मनोरोग चिकित्‍सक की भी सहायता लेनी चाहिए ताकि जटिलताओं से बाहर निकलकर एक खुशहाल जीवन बिताई जा सके।