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India Fight Corona: चलो जलाएं दीप... राजनीति करने वाले करते रहें, ये तो मोदी के हो गए कायल

धनबाद शहर के मनईटांड के पास कुम्हारपट्टी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में दीये जलाने का आह्वान किया कुम्हारपट्टी में दीये बनाने वालों के चेहरे खिल गए।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2020 03:17 PM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 08:19 PM (IST)
India Fight Corona: चलो जलाएं दीप... राजनीति करने वाले करते रहें, ये तो मोदी के हो गए कायल
India Fight Corona: चलो जलाएं दीप... राजनीति करने वाले करते रहें, ये तो मोदी के हो गए कायल

धनबाद, जेएनएन। इस समय देश कोरोना वायरस से लड़ रहा है। इस लड़ाई में एकजुटता का प्रदर्शन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 5 अप्रैल को रात नाै बजे नाै मिनट तक अपने-अपने घरों के दरवाजे पर दीये या मोबाइल का फ्लैश लाइट जलाने का आह्वान किया है। उनके आह्वान के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दल और उनके नेता दीये जलाने के औचित्य पर सवाल उठा रहे हैं। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री के आह्वान भर से कुम्हारों के घर में दिपावली-सा माहाैल है। वे मोदी को कायल हो गए हैं। युद्धस्तर पर दीये का निर्माण कर रहे हैं।

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धनबाद शहर के मनईटांड के पास कुम्हारपट्टी है। शुक्रवार सुबह नाै बजे जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में दीये जलाने का आह्वान किया कुम्हारपट्टी में दीये बनाने वालों के चेहरे खिल गए। दो दिन के समय में दीये बनाकर कुछ कमाने के लिए बगैर देर किए शुरू हो गए। हमारे फोटोग्राफर अमित सिन्हा ने शनिवार को कुम्हारपट्टी का जायजा लिया। यहां साफ दिखा कि प्रधानमंत्री का आह्वान रंग लाया है। प्रधानमंत्री के संदेश के तुरंत बाद दीये बनाने के ऑर्डर मिलने लगे। इसके बाद दीये बनाने वाले सभी परिवार जुट गए। 

चाक पर दीये बनाते हुए संजय पंडित ने कहा-लॉकडाउन में बैठे-ठाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुम्हारों को रोजगार दे दिया है। उनकी जितनी तारीफ की जाय कम है। उन्होंने कहा, हमारे पास समय नहीं है। दो दिन में ही दीये बनाने, उसे पकाने और बाजार तक पहुंचाने की चुनाैती है। यह एक रोमांचकारी अवसर है। इस खास माैके पर कमाई के सवाल पर संजय ने कहा कि दिपालवी पर बहुत पहले से तैयारी की जाती है। दीप का त्योहार साल में एक बार आता है। इसलिए उम्मीद भी बड़ी रहती है। लॉकडाउन के दाैरान दीये बनाने और कमाने के बारे में तो सोचा भी नहीं था। अब समय नहीं है। दीये की बिक्री से जो भी कमाई होगी वह यादगार होगी। यह भी कह सकते हैं कि यह एक ऐतिहासिक और यादगर पल है। इसे आजीवन भुलाया नहीं जा सकता है।


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