Positive India: फौलादी इरादों से पहाड़ काट निकाल ली राह, लॉकडाउन में गांगापुर का सफर हुआ आसान
Positive India धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड की दलूडीह पंचायत। यहां के राजस्व गांव राजा बांस पहाड़ के गंगापुर में ग्रामीणों ने श्रम दान किया और 22 दिन में दो किमी सड़क बना दी।
राजगंज [ शुभंकर ]। Positive India यह कहानी जज्बे की है। माउंटेन मैन दशरथ मांझी से प्रेरणा की है। गंगापुर के ढहुनाला पहाड़ को काटकर ग्रामीणों ने कच्ची सड़क बना दी। कल तक जहां चलना मुश्किल था, आज वहां लोग आराम से चल रहे हैं। और यह सब हुआ लॉकडाउन के दाैरान। लॉकडाउन के बाद गांव के लोगों के पास कोई काम नहीं था। वह मजदूरी करने के लिए कहीं बाहर नहीं जा सकते थे। ऐसे में जब कोई काम नहीं था तो बड़ा काम कर डाला।
धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड की दलूडीह पंचायत। यहां के राजस्व गांव राजा बांस पहाड़ के गंगापुर में ग्रामीणों ने श्रम दान किया और 22 दिन में दो किमी सड़क बना दी। इसके लिए दाद देनी होगी आदिवासी समुदाय के गंगापुर एवं बस्ती कुल्ही के करीब एक सौ लोगों की जिनका कठिन परिश्रम रंग लाया। यह पथ पहाड़ के बीच बना है। आज यहां साइकिल और दो पहिया वाहन चल रहे हैं। यह क्षेत्र वन विभाग का है। सबसे बड़ी बात यह रही कि एक भी पेड़ नहीं कटे। सड़क बनने की सूचना मिली तो वन विभाग के अधिकारी भी पहुंचे और पेड़ सुरक्षित देख ग्रामीणों को सराहा।
सड़क की देख-रेख भी
सड़क निर्माण का बीड़ा उठाने वाले गंगापुर के सुरेश टुडू रोज उसकी देख-रेख भी कर रहे हैं। बरसात में नाले का पानी सड़क पर बह रहा है। इससे सड़क कट जा रही है। इसे सुरक्षित रखने में भी लगे हैं। सड़क बनने का फायदा ये हुआ कि पहले गिरिडीह जिले की सीमा में प्रवेश करने के लिए करीब 35 किमी का सफर करना पड़ता था। अब बस्ती कुल्ही होते हुए पलमा, हरलाडीह, चिरकी के रास्ते दूरी कम हो गई है। ग्रामीणों ने परिश्रम से कभी समझौता नहीं किया। महिलाओं ने भी भरपूर सहयोग किया। वे घर से भात के साथ आलू का चोखा समय पर पहुंचा देती थीं ताकि काम पर लगे लोगों को खाने की दिक्कत न हो।
मशीन का सहारा नहीं
सड़क बनाने में मशीन का प्रयोग नहीं किया गया। सिर्फ साबल, गैता और कुदाल के सहारे पहाड़ के रास्ते को समतल बना दिया। मंगलवार की शाम पलमा निवासी फूलचंद उरांव राजगंज से अपने बच्चे को साइकिल पर बिठाकर सब्जी लेकर जा रहे थे। पूछने पर बताया कि यह सड़क नहीं बनती तो नहीं आते।
मेहनत का फल
ग्रामीणों ने बताया कि पड़ोसी जिले के गांव में रिश्तेदारी है। आना-जाना लगा रहता है। सड़क नहीं रहने की वजह से नहीं जा पाते थे। अब सुविधा हो रही है। स्वास्थ्य कार्यों को लेकर भी यह सड़क वरदान साबित होगी।
- ग्रामीणों की बात
लॉकडाउन का हमलोगों ने सदुपयोग किया। माउंटेन मैन दशरथ मांझी से प्रेरणा लेकर पहाड़ काटकर सड़क बना दी। अब यह आने-जाने योग्य बन गया है।
-सुरेश टुडू गंगापुर
बहुत मेहनत से सफलता मिली है। समय नहीं देखा, काम करते गए। सरकारी बाबू का सहयोग मिल जाए तो मेहनत सफल हो जाएगी।
-रुपलाल किस्कू गंगापुर
सड़क निर्माण के बाद लोग आसानी से आ-जा रहे है। लॉकडाउन में काम नहीं था। ग्रामीण युवकों का विचार अच्छा लगा।
-हीरालाल टुडू
लॉकडाउन का सदुपयोग किया। कठिन परिश्रम से पीछे नहीं हटे। सरकार को ध्यान देकर पक्की सड़क बना देनी चाहिए।
-सोनू मुर्मू
पहाड़ी इलाके में रहने वालों का दर्द समझकर वन विभाग ही सड़क बना दे। ग्रामीणों को बस सड़क चाहिए।
-जीतलाल टुडू
ग्रामीणों की मेहनत की सराहना करते है। गंगापुर एवं बस्ती कुल्ही के ग्रामीणों ने सड़क के लिए जी-तोड़ मेहनत की। अगर वन विभाग एनओसी दे तो मुखिया फंड से सड़क निर्माण के लिए तैयार हूं।
-मधुसूदन रवानी, मुखिया, दलूडीह पंचायत