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    Wushu Game In Dhanbad: काली धरती पर चीनी मार्शल आर्ट का आकर्षण, 10 हजार से अधिक खिलाड़ी खेलते हैं वुशू; जानें किससे मिलती प्रेरणा

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Wed, 27 Oct 2021 07:01 PM (IST)

    Wushu Game In Dhanbad वुशू एक चीनी मार्शल आर्ट खेल है। लड़ाई गतिविधियों के साथ आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के अभ्यास इसमें किए जाते हैं। इसे दो वर्गों ताओलो और संसौ में बांटा गया है। ताओलो में मार्शल आर्ट पैटर्न एक्रोबैटिक मूवमेंट्स और तकनीकी कला शामिल हैं।

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    धनबाद के स्कूल में वुशू खेल की प्रैक्टिस करतीं लड़कियां ( फोटो जागरण)।

    गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया। चीनी मार्शल आर्ट खेल वुशू को भारतीय राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भी शामिल कर लिया गया है। लगभग 30 साल से वुशू खेल देश में खेला जा रहा है। धनबाद निवासी वुशू खेल के राष्ट्रीय खिलाड़ी शशिकांत पांडेय वर्ष 2004 से 2007 लगातार चार सालों तक राष्ट्रीय वुशू खेल में परचम लहराए हैं। वर्ष 2007 में लखनऊ में अंतिम बार नेशनल वुशू खेल खेले हैं। राष्ट्रीय खेल में शशिकांत हर बार टॉप 8 में रहे। अनेक पदक जीते। 2007 में शशिकांत नेशनल वुशू खेल को अलविदा कह दिया। इसके बाद कोयले की नगरी काली धरती धनबाद में रहकर इस खेल को लोकप्रिय बनाने में शिद्दत से जुट गए।

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    वर्तमान में धनबाद जिला वुशू खेल संघ के कोच

    शशिकांत ने बताया कि वर्ष 2004 में पहली बार जमशेदपुर में आयोजित राष्ट्रीय वुशू खेल में पदार्पण किया। इसके बाद वर्ष 2005 में राजस्थान, 2006 में जयपुर और 2007 में लखनऊ में अंतिम बार राष्ट्रीय वुशू खेल खेल खेला। वर्ष 2004 में रांची में आयोजित जोनल वुशू खेल के 56 किलोग्राम भार में गोल्ड जीते। अन्य खेलों में कई सिल्वर भी जीते हैं। शशिकांत वर्तमान में धनबाद जिला वुशू खेल संघ के महासचिव और कोच भी हैं।

    शशिकांत 10 साल से धनबाद में बच्चों को दे रहे हैं वुशू का ट्रेनिंग

    शशिकांत ने बताया कि वर्ष 2007 में लखनऊ में राष्ट्रीय वुशू खेलने के बाद नेशनल खेल को अलविदा कह दिया। इसके बाद धनबाद में ही रहकर यहां के स्कूली और क्लब के बच्चों को वुशू खेल का प्रशिक्षण दे रहे हैं। वुशू खेल में धनबाद जिला के बच्चों को पूरी तरह से प्रशिक्षित कर उन्हें राज्य और राष्ट्रीय वुशू खेल प्रतियोगिता में भेज रहे हैं। यही मेरी प्राथमिकता है। शशिकांत ने कहा कि एक दशक में मेरे प्रशिक्षित 50 से अधिक बच्चे राष्ट्रीय प्रतियोगिता खेले हैं। 30 से अधिक बच्चे राष्ट्रीय पदक भी जीते हैं। इनमें राजीव श्रीवास्तव, सूजन चटर्जी धनंजय गौतम, दीक्षा कुमारी, संजू कुमारी, राज खान, संजीत बसाक, अनुराधा गुप्ता, आसिफ अली आदि शामिल हैं।

    धनबाद में लगभग 10 हजार बच्चे वुशू खेल से हैं जुड़े

    धनबाद में वुशू खेल की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्तमान समय में लगभग 10 हजार बच्चे इस खेल से जुड़े हैं। धनबाद के अधिकांश विद्यालयों के विद्यार्थी इसमें शामिल हैं। शशिकांत ने बताया कि साढ़े आठ हजार स्कूली बच्चे तो रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा वूशु क्लबों के एक हजार से अधिक बच्चे भी हमेशा प्रतियोगिता में भाग लेते रहते हैं। शशिकांत ने कहा कि वुशू खेल से ही इंदु मुंडा और ज्योति कुमारी को नौकरी मिली है। आने वाले समय में राजीव श्रीवास्तव, दिनेश यादव, धनंजय गौतम को भी राज्य सरकार से नौकरी मिलने की संभावना है।

    क्या है वुशू खेल

    वुशू एक चीनी मार्शल आर्ट खेल है। लड़ाई गतिविधियों के साथ आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के अभ्यास इसमें किए जाते हैं। इसे दो वर्गों ताओलो और संसौ में बांटा गया है।ताओलो में मार्शल आर्ट पैटर्न, एक्रोबैटिक मूवमेंट्स और तकनीकी कला शामिल हैं। वहीं संसौ एक आधुनिक लड़ाई विधि और संपर्क का खेल है। इसमें मुक्केबाजी, किक बॉक्सिंग और कुश्ती शामिल हैं। भारत की पूजा कादियान ने वर्ष 2016 में आयोजित 12 वीं दक्षिण एशियाई खेल में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद से यह खेल भारत में लोकप्रिय होने लगा। वर्तमान समय में भारत के लगभग हर क्षेत्र में वुशू का खेल हो रहा है। इसे राष्ट्रीय खेलों प्रतियोगिताओं में भी शामिल कर लिया गया है।