सिर्फ कागजों पर बनता एक्शन प्लान, इसलिए जानलेवा होती जा रही यहां की ओबाहवा Dhanbad News
एक्शन प्लान पर भी कोई काम नहीं हो रहा है जबकि आइआइटी आइएसएम से भी मदद ली जानी थी। अभी तक किसी ने भी दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
धनबाद, जेएनएन। धनबाद एक बार फिर से जहरीले गैस चैंबर में बदलने का तैयार है। मंगलवार को ग्रीनपीस इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट ने धनबाद के झरिया (धनबाद) को देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया है। इससे पहले 2011 में सीपीसीबी के इंडेक्स में धनबाद को अतिप्रदूषित शहरों की सूची में 13वें स्थान पर रखा था। जिसकी वजह से किसी भी तरह का उद्योग धंधा लगाने पर रोक लगा दी गई थी। प्रदूषण कम होने के बाद 2014 में यह रोक हटाई गई, अब फिर से वहीं स्थिति बन गई है।
धनबाद की हवा दिन प्रतिदिन जहरीली होती जा रही है। इसमें झरिया के प्रदूषण का अहम योगदान है। आखिर पता नहीं कब हम चेतेंगे? झरिया समेत जिले के प्रमुख स्थलों पर पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 10) की मात्रा अत्यधिक बढ़ चुकी है। पीएम 10 के कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है। पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए, लेकिन जिले में कई जगह यह 220 पार कर चुका है। इसमें झरिया, बैंक मोड़ एवं धनसार आदि का इलाका प्रमुख तौर पर शामिल है। पिछले तीन वषरें में पीएम 10 में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। कोयला डस्ट, गाड़ियों की बढ़ती संख्या इसका बड़ा कारण है। न तो जिला प्रशासन का इस ओर ध्यान है और न ही झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कुछ कर रहा है।
एक्शन प्लान पर भी कोई काम नहीं हो रहा है, जबकि आइआइटी आइएसएम से भी मदद ली जानी थी। अभी तक किसी ने भी दिलचस्पी नहीं दिखाई है। धनबाद के जोड़ापोखर में एयर क्वालिटी इंडेक्स मापक यंत्र लगा है, इसकी मॉनिट¨रग सीधे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) करता है। प्रदूषण की मुख्य वजह - झरिया और कुसुंडा की हवा सबसे अधिक जहरीली। - झरिया में रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर (पीएम-10) का स्तर औसतन 210 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) और गोधर-कुसुंडा में 220 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर। - इसका सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर होना चाहिए। - प्रदूषण का बड़ा कारण ओपनकास्ट कोलियरियां, इसकी वजह से धूल कण हवा में तैर रहे हैं। - वायु प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल के खदान में हो रहे उत्पादन एवं कोल ट्रांसपोर्टेशन। - वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैस सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और धूल के कण आरएसपीएम (रेस्पाइरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) एवं एसपीएम (सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) मिलकर इसमें इजाफा कर रहे हैं। - चिमनियों या जेनरेटर आदि से निकलने वाला धुआं भी बड़ा कारण है। - अधिक नुकसान सड़क पर उड़ती हुई धूल से होता है। कोलियरी क्षेत्र से निकलने वाले कोयला लदे ट्रक धनबाद शहर को प्रदूषित करने में महत्वपूर्ण निभा रहे हैं। - जिला परिवहन विभाग के आकड़ों के अनुसार 2009 से लेकर दिसंबर 2019 तक तीन लाख 65 हजार गड़िया धनबाद की सड़कों पर धुआ उड़ा रही हैं।
- आज भी ठंडे बस्ते में 1463 करोड़ की योजना
2010 में सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में धनबाद को देश के 43 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में 13वें स्थान पर रखा था। इसके बाद वर्ष 2011 में डब्ल्यूएचओ ने दुनिया के प्रदूषित शहरों की एक सूची जारी की, जिसमें भारत के 33 शहरों को भी शामिल किया गया। इनमें धनबाद 11वें स्थान पर था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय ने धनबाद में 31 मार्च, 2012 तक किसी भी तरह का उद्योग लगाने पर रोक लगा दी थी। 2011 में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर धनबाद एक्शन प्लान बनाया गया था। लेकिन आठ साल बाद भी यह योजना कागजों पर ही है। धनबाद में प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए कार्ययोजना के लिए 1463 करोड़ खर्च का आकलन तैयार किया गया, लेकिन कार्ययोजना धरातल पर नहीं उतरी। 2017 में भी प्रदूषण पर जारी रिपोर्ट में धनबाद को देश के प्रदूषित शहरों में 24वें नंबर पर रखा गया। इस रिपोर्ट के बाद धनबाद में उच्च स्तरीय बैठक कर दुबारा एक्शन प्लान बनाने का निर्णय लिया गया। हालांकि इस निर्णय को भी तीन वर्ष बीत गए।
- यह है समाधान
कोलियरी व ओपनकास्ट माइनिंग से निकलने वाले वाहन ढके होने चाहिए। - रोड स्वीपिंग मशीन से सड़कों की सफाई। - समय-समय पर पानी का छिड़काव। - जगह-जगह वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम (सीएएमक्यूएमएस) की स्थापना। - मोबाइल इंफोर्स यूनिट (एक गाड़ी और एक स्टॉफ), जो प्रदूषण के कारकों पर नजर रखे। - प्रदूषित इलाकों एवं खाली जगह पर पौधारोपण। - खुले स्थानों, पार्क और सड़क किनारे पौधारोपण। - कचरे का सही तरीके से निस्तारण। - लोगों में हरियाली को लेकर जागरूकता अभियान। - 15 साल पुरानी गाडि़यों पर रोक, ट्रैफिक जाम की समस्या से मिले निजात।
पीएमसीएच के विभागाध्यक्ष डॉ.यूके ओझा ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण के कारण सिरदर्द, चिड़चिड़ापन व ब्लड कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं। ये कण हवा में मिलकर सांस के साथ फेफड़े में पहुंचते हैं। पाचन क्रिया पर भी प्रभाव डालते हैं। किडनी को भी कमजोर करते हैं। पीएम-10 के कण टीबी का कारण बन सकते हैं।
- डॉ.यूके ओझा, विभागाध्यक्ष पीएमसीएच
बोर्ड ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिए छह करोड़ केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने देश के 23 राज्यों के 122 शहरों में प्रदूषण के स्तर से निपटने के लिए नेशनल क्लीयर एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) बनाया है। इसमें धनबाद भी शामिल है। एनसीएपी के तहत धनबाद नगर को एक्शन प्लान बनाने एवं इसके क्रियान्वयन के लिए छह करोड़ रुपये का अनुदान मिलना है। नगर आयुक्त चंद्रमोहन कश्यप ने बताया कि स्टेट से राशि मिल रही है। शीघ्र ही इस पर काम शुरू कर देंगे। इस राशि से प्रदूषण की रोकथाम के लिए कई चरणों में काम होगा। राशि किस तरह से और किस मद में खर्च होगी, इसके लिए जिला स्तर पर कमेटी बनेगी। स्टेट से दिशा-निर्देश मिलने का इंतजार है, आते ही काम शुरू हो जाएगा। वायु प्रदूषित गैसों की असहनीय सीमा प्रदूषित गैस अधिकतम सहनीय सीमा कार्बन मोनोऑक्साइड 8 घटे नाइट्रोजन ऑक्साइड 24 घटे सल्फर डाईऑक्साइड 24 घटे हाइड्रोकार्बन यौगिक 30 घटे रासायनिक ऑक्साइड 1 घटे।
धनबाद में बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय है, हालांकि इसकी रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर कदम उठाया गया है और आगे भी उठाया जा रहा है। केंद्र से राशि मिल चुकी है, नगर निकायों को भेजा जा रहा है। एक्शन प्लान पर काम करने के लिए छह करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। प्रथम चरण में चार करोड़ और फिर कुछ दिन बाद शेष राशि भेजी जाएगी।
- राजीव लोचन बख्शी, सदस्य सचिव झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड