45 हजार वाहन मालिकों को फिर लेना होगा प्रदूषण प्रमाण पत्र
धनबाद जिले के 45 हजार वाहन मालिकों को फिर से प्रदूषण प्रमाण पत्र लेना होगा। ये वैसे वाहन
धनबाद : जिले के 45 हजार वाहन मालिकों को फिर से प्रदूषण प्रमाण पत्र लेना होगा। ये वैसे वाहन मालिक है जिन्होंने 31 अगस्त से पहले प्रमाण पत्र लिया है। तब सिस्टम ऑफलाइन था। अब यह ऑनलाइन हो गया है। इनमें दो पहिया व तीन पहिया वाहनों की संख्या 7924 है। वहीं 18373 एलएमवी वाहन जबकि 19000 एचएमवी वाहन शामिल हैं। इनमें दोपहिया व तीन पहिया वाहनों को छोड़ दे तो 37 हजार वैसे वाहन है जिनका दूसरे राज्यों में भी आना जाना है। चुकी ऑनलाइन की प्रक्रिया पूरे देश में एक साथ शुरू हुई है, ऐसे में दूसरे राज्यों में ऑफलाइन प्रमाण पत्रों का मामला फंसना तय है। 31 अगस्त से पूर्व लिए गए ऑफलाइन प्रमाण पत्रों के साथ आप केवल झारखंड में ही परिक्रमा कर सकते हैं। जुर्माना नहीं लगेगा।
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मोबाइल में दिखेंगे तभी बचेगें
चेकिग के दौरान वाहनों का प्रदूषण प्रमाण पत्र मोबाइल में चेक किया जाएगा। यदि वहां दिखा तो ठीक है नहीं दिखा तो फाइन। ऑफलाइन प्रदूषण प्रमाण पत्र बना चुके लोगों को पूर्व से पता नहीं था कि ऑनलाइन होने जा रहा है। न ही प्रदूषण जांच केंद्रों ने उन्हें इसके बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी दी। अब बात जब ऑनलाइन की हो रही है तो मरता क्या न करता उन्हें फिर से बनाना ही होगा। नहीं तो दस गुना जुर्माना भरना होगा।
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31 अगस्त से पूर्व जिन्होंने प्रदूषण प्रमाण पत्र लिया है। उनसे जुमार्ना नहीं लिया जाएगा। दूसरे राज्य में ऑफलाइन प्रमाण पत्र मान्य नहीं है। प्रमाण पत्र ले चुके वाहन मालिकों के लिए थोड़ी परेशानी बढ़ी है पर भविष्य के लिहाज से बेहतर होगा कि वे ऑनलाइन ही बना लें।
ओम प्रकाश यादव, जिला परिवहन पदाधिकारी परिवहन विभाग की छापेमारी में 14 बसों पर गिरी गाज : सोमवार देर रात बरवाअड्डा से लेकर निरसा तक जिला परिवहन पदाधिकारी ओम प्रकाश यादव ने छापेमारी अभियान चलाया। जिसमें 14 बसों पर गाज गिरी। एक बंगाल की बस तथा एक जयपुर नंबर की बस को जब्त कर निरसा थाने के हवाले कर दिया गया। वहीं सवारी लदी 12 बसों के चालक का लाइसेंस और बस का ऑनर बुक जब्त कर उन्हें जाने दिया गया। जिला परिवहन पदाधिकारी ने बताया कि बस में सवारी सफर कर रहे थे, इसलिए उन्हें रोका नहीं गया। केवल उनके आवश्यक कागजात ले लिए गए हैं और सीजर काट कर दे दिया गया है। डीटीओ ने बताया कि अधिकतर बसें बिहार और बंगाल की थी। इनमें से लगभग सभी बसों में कोविड-19 के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। इसके अलावा कईयों के दस्तावेज भी ठीक नहीं थे।