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Jharkhand Assembly Election 2019: बैंकमोड़ में जाम से निजात और इलाज का नहीं हो पाया इंतजाम

बिजली-पानी की मांग तो अमूमन होती रही है और इस चुनाव में भी हो रही है लेकिन कई और मुद्दे हैं जिन पर धनबाद के लोग इस चुनाव का बड़ा मुद्दा मानते हैं।

By Edited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 04:00 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 08:20 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: बैंकमोड़ में जाम से निजात और इलाज का नहीं हो पाया इंतजाम
Jharkhand Assembly Election 2019: बैंकमोड़ में जाम से निजात और इलाज का नहीं हो पाया इंतजाम

धनबाद, जेएनएन। विधानसभा का महासमर अब परवान चढ़ चुका है। प्रचार तेज हो चुका है और प्रत्याशियों के आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। चुनाव के इस शोर में कई ऐसे मुद्दे हैं जिनसे आमलोग सीधे तौर पर जुड़े हैं। उन पर विशेष चर्चा नहीं हो रही।

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बिजली-पानी की मांग तो अमूमन होती रही है और इस चुनाव में भी हो रही है लेकिन कई और मुद्दे हैं जिन पर धनबाद के लोग इस चुनाव का बड़ा मुद्दा मानते हैं। कोई बढ़ती चोरी, छिनतई की घटनाओं से सशंकित है और उनका समाधान चाहता है तो किसी के लिए ट्रैफिक बड़ा मुद्दा है। स्वास्थ्य सेवाओं की दुरावस्था भी इस चुनाव का बड़ा मुद्दा है। लोग इन मुद्दों पर वे भावी जनप्रतिनिधियों का नजरिया जानने को भी उत्सुक हैं ताकि वह अपना मत किसे दें यह निर्धारित हो सके। आइये जानते हैं धनबाद के उन पांच बड़े मुद्दे के बारे में जिन पर मतदाताओं की सर्वाधिक नजर है।

  • पांच प्रमुख मुद्दे
  1. सड़क जाम : अतिक्रमण धनबाद की सड़कों का गला घोंट रहा है। सड़कों के चौड़ीकरण के बावजूद प्रतिदिन हर सड़क, हर चौराहा घंटों जाम का शिकार रहता है। अंट्टालिकाएं बनीं पर वाहन पड़ाव की व्यवस्था नहीं रहना इसे और गंभीर बना रहा है। धनबाद-झरिया रेल लाइन की जमीन पर सड़क, मटकुरिया-वासेपुर ओवरब्रिज और गया पुल अंडर पास का चौड़ीकरण वक्त की जरूरत है। हीरक रोड का भी आरा मोड़ ओवरब्रिज तक चौड़ीकरण जल्द होना चाहिए। ट्रैफिक सिग्नलों की व्यवस्था होनी चाहिए और सड़क किनारे से अतिक्रमण हटाकर फुटपाथों को पैदल चलनेवालों के लिए खाली कराना चाहिए। जनप्रतिनिधियों को आवासीय इलाकों में व्यावसायिक मॉल और प्रतिष्ठानों के खुलने पर प्रतिबंध लगाना भी बेहद जरूरी हो गया है। नई सड़कें और बायपास भी जरूरी हो चले हैं।
  2. रोजगार की समस्या : कभी जीटी रोड के किनारे शाम के वक्त हर तरफ जलते अंगारे दिखते थे। ये हार्डकोक भट्ठों के ओवेन का दृश्य होते थे। हर चिमनी 24 घंटे धुआं उगलती रहती थी। अब 10 फीसद ओवेन भी नहीं जलते। अन्य कारखाने भी बंद हैं। शहर सेवानिवृत्त अधिकारियों की रिहाइश बन गई है। युवाओं का रोजगार के लिए पलायन बड़ी समस्या है। सड़क पर ठेला-खोमचावालों की भीड़ भी बेरोजगारी की दास्तां ही कहती है। सरकार ने युवकों को रोजगार देने व बेरोजगारों की संख्या जानने को श्रम नियोजनालय बना रखा है। इनकी स्थिति यह है कि धनबाद में सिक्योरिटी गार्ड और बीमा कंपनियों के एजेंट छोड़ और कोई जॉब नहीं है। निजी कंपनियों के साथ साल में एक रोजगार मेला लगाया जाता है जिसमें अब युवाओं की कोई रुचि रही नहीं है।
  3. स्वास्थ्य सुविधाएं : कहने को धनबाद के पास पीएमसीएच और बीसीसीएल का केंद्रीय अस्पताल है। हकीकत यह है कि इन दोनों के पास भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, कैंसर (अन्कोलॉजिस्ट) यहां बचे नहीं। कुछ निजी क्लीनिक कैंप में इन्हें कभी-कभार बुलाते हैं। बीसीसीएल के 12 सुविधायुक्त क्षेत्रीय अस्पताल अब रेफरल होकर रह गए हैं। एसएसएलएनटी और सदर अस्पताल में इंडोर व्यवस्था नहीं है। गायनोलॉजी को छोड़ अन्य मामलों में कुकुरमुत्ते की तरह खुले क्लीनिक भी सीएमसी वेल्लौर और मिशन हॉस्पिटल दुर्गापुर के रेफरल अस्पताल की भूमिका में ही हैं। अव्यवस्था इस कदर कि पीएमसीएच जैसे हॉस्पिटल में मरीज खून के अभाव में दम तोड़ दे रहे हैं। इस सर्वाधिक संवेदनशील विभाग के अधिकारी इतने असंवेदनशील हैं कि मरने के बाद लोग बच्चों, परिजनों की लाश लेकर घंटों भटकते रहें उन्हें एंबुलेंस नसीब न हो। सरकारी अस्पताल के कर्मी मालगोदाम के श्रमिक की तरह मरीजों को इकट्ठा करने की ही भूमिका में दिखते हैं। अधिकांश पद आउटसोर्सिग से भरे जा रहे हैं।
  4. बिजली-पानी की समस्या : बिजली-पानी आज भी शहर की बड़ी समस्या है। यूं ढांचागत विकास इन दोनों विभाग में काफी हुआ है। धनबाद जलापूर्ति परियोजना के तहत मैथन डैम से पानी लाकर आपूर्ति की जा रही है। लेकिन इसका रखरखाव ऐसा है कि लोग अब बिना ट्रीटमेंट के ही रॉ वाटर आपूर्ति करने का आरोप लगाने लगे हैं। पानी गंदा आता है। नियमित जलापूर्ति नहीं हो पाती। शहर से बाहर पुटकी जैसे इलाकों में तो जलापूर्ति की व्यवस्था भी नहीं। वहां टैंकर से आपूर्ति की जाती है। दैनंदिन कार्य पिट वाटर (खदान का पानी) से लोग निपटाते हैं। बिजली की भी यही स्थिति है। कई सबस्टेशनों के निर्माण और कांड्रा ग्रिड के उद्घाटन के बावजूद बिजली आपूर्ति नियमित नहीं हो सका है। बिजली की कमी की वजह से भी कई बार जलापूर्ति बाधित हो जाती है। सप्ताह में दो-तीन बार भी समय पर जलापूर्ति नहीं होती।
  5. विधि-व्यवस्था : माफिया वार के लिए धनबाद हमेशा चर्चित रहा है। कोयले के धंधे में वर्चस्व को लेकर गिरोहबाजी यहां आम रही है। इस धंधे से जुड़े दबंग घरानों पर पुलिस की नकेल कभी नहीं रही है। लेकिन धनबाद शहर और आम शहरी आपराधिक वारदातों से पहले लगभग अछूते रहते थे। अब वह बात नहीं रही। बाइक सवार अपराधियों द्वारा छिनतई की घटनाएं शहर के अंदरूनी इलाकों तक में आए दिन घट रही हैं। बावजूद इसके सरगना तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंचे। चोरी, डकैती, जमीन विवाद में हत्या, बैंक लूट व हत्या की घटनाएं पिछले वर्षो में काफी बढ़ी है। साइबर अपराधियों के आगे तो पुलिस लगभग लाचार ही दिखती रही है। धनबाद के लोगों के लिए यह बड़ा मुद्दा बन चुका है।

स्वास्थ्य धनबाद के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। ग्रामीण क्षेत्रों से बेहतर इलाज के लिए लोगों को पीएमसीएच भेजा जाता है और यहां उन्हें जमीन पर लेटा कर इलाज किया जाता है। जमीन पर खाना परोस दिया जाता है। छोटी-छोटी बीमारियों के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ता है। कोई अस्पताल, चिकित्सक व क्लीनिक भरोसेमंद नहीं रह गए हैं। कमीशन के लिए अनावश्यक जांच और निजी अस्पतालों में रेफर करने का खेल खेला जा रहा है।

मनोज पांडेय, बिनोद नगर,

धनबाद यहां पानी की समस्या बहुत ज्यादा है। पाइप लाइन से सप्ताह में दो बार जलापूर्ति होती है। वह भी गंदे पानी की आपूर्ति कर दी जाती है। जलापूर्ति के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है। बहुत कम समय के लिए पानी की आपूर्ति होती है। कोयला खदान क्षेत्र में तो ऐसी भी व्यवस्था नहीं है। जनप्रतिनिधियों को सबसे पहले बिजली और पानी पर ध्यान देना चाहिए।

डॉ. संतोष सिंह, हीरापुर,

धनबाद कनेक्टिविटी धनबाद की बड़ी समस्या है। कहने को यह रेल, सड़क मार्ग से बहुत अच्छी तरह जुड़ा है। लेकिन यहां हवाई अड्डा भी होना चाहिए। इसकी आर्थिक हैसियत के हिसाब से इसे स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित की जानी चाहिए। लेकिन ट््रैफिक की बुरी गत ने कस्बा नुमा बड़ा शहर बना रखा है। बड़े शिक्षण संस्थानों और औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद यह धनबाद में जाम की ऐसी समस्या है कि एंबुलेंस जाम में फंस जाए तो लोग चाह कर भी उसके लिए सड़क नहीं छोड़ पाते।

डॉ. कृष्णमुरारी सिंह, प्राध्यापक, बीबीएमकेयू

अपराध से धनबाद के आम शहरियों को इतना खौफजदा कभी नहीं देखा जितना इन दिनों दिख रहे हैं। चेन छिनतई करने वाले हर गली-मुहल्ले तक पहुंच बना चुके हैं। महिलाएं हमेशा सशंकित रहती हैं। घरों में चोरी-डकैती की घटनाएं भी बढ़ गई है। पहले माफिया वार के लिए ही धनबाद चर्चित था लेकिन इन दिनों बैंक लूट, साइबर अपराध ने आम लोगों को भी प्रभावित किया है।

प्रेमचंद, मोतीनगर, लोहारकुल्ही, धनबाद

  • धनबाद विधानसभा सीट के प्रत्याशी

1. केसी सिंहराज, निर्दलीय

2. लक्ष्मी देवी, निर्दलीय

3. मन्नान मल्लिक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

4. राहुल कुमार पासवान, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मा‌िर्क्सस्ट लेनिनिस्ट) लिबरेशन

5. राज सिन्हा, भारतीय जनता पार्टी

6. रामविनय सिंह, ¨हदुस्तानी अवाम मोर्चा

7. विपिन कुमार, जनता दल यूनाइटेड

8. विकास रंजन, लोक जनशक्ति पार्टी

9. उमेश पासवान, निर्दलीय

10. रामजनम प्रसाद, बहुजन समाज पार्टी

11. सरोज कुमार सिंह, जेवीएम प्रजातांत्रिक

12. मनिलाल महतो, झारखंड मुक्ति मोर्चा, उलगुलान

13. राज कुमार सोनी, आप

14. बिरु आनंद, मा‌िर्क्सस्ट कोर्डिनेशन

15. रंजीत सिंह उर्फ बबलू, निर्दलीय

16. संजय पासवान, निर्दलीय

17. विनोद चंद्रवंशी, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक)

18. मो. फैसल खान, समाजवादी पार्टी

19. मेराज खान, समाजवादी पार्टी

20. प्रदीप मोहन सहाय, आजसू पार्टी

21. मेघनाथ रवानी, निर्दलीय

22. सुरेंद्र कुमार, निर्दलीय।

  • धनबाद के कुल वोटर : 432315

महिला वोटर : 149204

पुरुष वोटर : 233103

थर्ड जेंडर : 8


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