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Weekly News Roundup Dhanbad: थाना ही सील हो जाए तो झमेला खत्म... पढ़ें कोरोना काल में पुलिस की पीड़ा

पहले पुलिस की गाड़ी देख लोग घबड़ाते थे। दिखी नहीं कि उससे बचने की कोशिश में लग जाते थे। बस किसी तरह सामना न हो कौन पचड़े में फंसे। अब उसका एंबुलेंस ने ले लिया है।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 09:52 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 01:13 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: थाना ही सील हो जाए तो झमेला खत्म... पढ़ें कोरोना काल में पुलिस की पीड़ा
Weekly News Roundup Dhanbad: थाना ही सील हो जाए तो झमेला खत्म... पढ़ें कोरोना काल में पुलिस की पीड़ा

धनबाद [ नीरज दुबे ]। Weekly News Roundup Dhanbad यह एक पुलिसवाले की व्यथा है। थाना ही सील हो जाए तो जान बचेगी, अन्यथा कोरोना जान लेकर ही जाएगा। ऐसी महामारी में भी लोग डर नहीं रह रहे। पुलिसकर्मी आखिर क्या करें, सभी को अपनी जान प्यारी है। सुबह होती नहीं कि नाली विवाद, मारपीट, आपसी झगड़े जैसे छोटे-छोटे मामले लेकर लोग थाना पहुंच जाते हैैं। इसके बाद भागिए दिनभर उन्हीं के पीछे। ऐसे में तो कभी भी कोई पुलिसवाला संक्रमण की चपेट में आ सकता है। जब एक थाना के बाबू अपने सहयोगी के सामने दुखड़ा रो रहे थे तो पास खड़े सिपाही से रहा नहीं गया। उसने कहा- जल्द मौका मिलेगा सर, बड़ा बाबू समेत कई पुलिसकर्मी कोरोना जांच कराए हैैं। अगर उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी तो थाना सील होना तय है। हजारीबाग में एक थाना के सील होने की सूचना मिल रही है। ऐसा यहां हुआ तो झंझट ही खत्म।

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बड़ा हादसा न करा दे छोटा नोट  

कोरोना जो न कराए। हालात ही बदल गए हैं। पुलिसवालों को ही देखिए। जब तक डर नहीं था, कुछ ऐसे थे जो साइकिल से कोयला ढोनेवालों से 25-50 रुपये तक वसूल रहे थे। अब जानलेवा वायरस के संक्रमण की डर से सटक गए हैैं कि कहीं  छोटे-छोटे नोट लेने के चक्कर में बड़ा हादसा न हो जाए। साइकिल से कोयला ढो रहे टुंडी के एक व्यक्ति ने बताया कि बाबू, पहले बगैर 40 रुपये लिए मटकुरिया रोड में एक सिपाही कोयला ले जाने नहीं देता था, परंतु अब वह रुपये लेने से इन्कार कर रहा है। कहता है कि कोयला ले जाना है तो ले जाओ, मगर महीने भर का पैसा इकट्ठा दे दो, वो भी मोटा नोट ताकि एक बार में ही उसकी सफाई हो जाए। छोटा नोट तो कई जगह घूमता है। इसमें खतरा ज्यादा है। मानना पड़ेगा क्या हिसाब-किताब है।

देखो भाई, किसके घर पहुंचा एंबुलेंस

पहले पुलिस की गाड़ी देख लोग घबड़ाते थे। दिखी नहीं कि उससे बचने की कोशिश में लग जाते थे। बस, किसी तरह सामना न हो, कौन पचड़े में फंसे। अब उसका स्थान स्वास्थ्य विभाग के एंबुलेंस ने ले लिया है। किसी मुहल्ले में स्वास्थ्य विभाग की गाड़ी घुस गई तो बस। सबकी जान सांसत में, सब भयभीत, पूरे मुहल्ले में हड़कंप। ऐसा ही हुआ। एक मुहल्ले में संक्रमित मिला तो सायरन बजाती गाड़ी आ गई। जिसने देखा, दूर हटने के चक्कर में दिखा। कानाफूसी होने लगी- कौन है। देखो तो किसके घर का मामला है। फिर तरह-तरह की बातें। अरे, वो है। वहां घूम रहा था। उससे भी मिला था। जितनी जानकारी मरीज को नहीं, उससे ज्यादा मुहल्ले के लोग उसके संपर्क की कुंडली खोलने लगे। अब तो मुहल्ला भी सील हो जाएगा। ये तो है। इस वायरस ने अजीब माहौल बना दिया है।

तबादले से बचने को खेल रहे दांव

धनबाद जिले में डीएसपी स्तर के कुछ पुलिस पदाधिकारियों पर तबादले की तलवार लटकी है, मगर अभी उन्हें कोरोना काल का फायदा मिल रहा है। स्थिति ये है कि सरकार खुद क्वांरटाइन में हैै। ऐसे में पुलिस मुख्यालय का कामकाज धीरे-धीरे चल रहा है। हालांकि जिन पुलिस पदाधिकारियों का तबादला होना तय है, वह पैरवी भी भिड़ा रहे हैैं। एक डीएसपी ने तो सत्ता और विपक्ष दोनों दलों के नेता को पकड़ कर रखा हुआ है। जब राज्य में भाजपा का शासन था, महाशय उनके सेवक बने हुए थे। अब सत्ता बदल चुकी है। झामुमो का शासन है तो साहब उसको कैसे दरकिनार कर सकते हैैं। लिहाजा वे झामुमो नेता को भी छोड़ नहीं रहे। एक दूसरे डीएसपी भी हैं जिनका तबादला तय माना जा रहा है। उनके स्थान पर वर्तमान सरकार के एक बड़े नेता के करीबी का नाम चर्चा में है।


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