Move to Jagran APP

Covid-19: कोरोना काल में आला अलविदा, 200 साल पुरानी युक्ति पर भरोसा; जानिए

डॉ. सतीश कुमार के सुझाव पसंद किया गया। बस शटलकॉक के डिब्बे को आला की जगह इस्तेमाल करना तय हो गया। बीजीएच के आइसोलेशन वार्ड में इसका उपयोग शुरू हो चुका है।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2020 12:57 PM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2020 12:57 PM (IST)
Covid-19: कोरोना काल में आला अलविदा, 200 साल पुरानी युक्ति पर भरोसा; जानिए

बोकारो [ बीके पांडेय ]। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए बोकारो जेनरल अस्पताल (बीजीएच) के चिकित्सकों ने आला (स्टेथोस्कोप) को फिलहाल अलविदा कह दिया है। मरीज की जांच के लिए चिकित्सकों ने करीब दो सौ साल पुरानी चिकित्सा पद्धति को अपनाया है। आला की जगह शटलकाक (बैडमिंटन में प्रयोग होने वाली चिड़िया ) के डिब्बे का उपयोग मरीज के शरीर के अंदर की ध्वनियों को सुनने व अध्ययन के लिए किया जा रहा है। चिकित्सकों ने मरीजों से शारीरिक दूरी बनाकर संक्रमण से बचने के लिए यह युक्ति निकाली है। 

loksabha election banner

चिकित्सा की यह विधि और यंत्र करीब 200 साल पुराना है। इससे पहले  चिकित्सक अपने कान को मरीज के सीने से लगा कर धड़कन या अन्य स्पंदन सुनते थे। चिकित्सा विज्ञान में शोध होते गए तो आज कई डिजिटल स्टेथोस्कोप आ गए हैं। 

संक्रमण से बचने को डॉ. सतीश के सुझाव पर हुआ अमल

बोकारो जनरल अस्पताल में कोरोना से संक्रमित पहले मरीज को हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सतीश कुमार की यूनिट में भर्ती किया गया था। चिकित्सक परेशान थे। खुद के साथ और मरीजों को सुरक्षित रखते हुए इलाज करने की युक्ति सोची जाने लगी। रबर ट्यूब के आला का उपयोग सुविधा जनक नहीं था। डॉ. सतीश ने प्रबंधन के सामने यह बात रखी कि पूरे विश्व में कोरोना से मेडिकल स्टॉफ संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में रेन लैनेक की पुरानी युक्ति मददगार हो सकती है। कोरोना पीडि़त के शरीर में आला लगाया जाएगा तो वह भी संक्रमित हो सकता है। उस आला से दूसरे की जांच होगी तो वह संक्रमित हो सकता है। डॉ. कुमार के सुझाव पसंद किया गया। बस शटलकॉक के डिब्बे को आला की जगह इस्तेमाल करना तय हो गया। बीजीएच के आइसोलेशन वार्ड में इसका उपयोग शुरू हो चुका है। 

1816 में फ्रांस के डॉक्टर रेन ने बनाया था ऐसा आला 

1816 में फ्रांस के चिकित्सक रेन लेनेक ने आला का काम लेने के लिए नई युक्ति तैयार की थी। खोखली लकड़ी की दो नलियों को पीतल की एक कपलिंग से जोड़कर दुनिया का पहला आला बनाया। उसी युक्ति से शटलकॉक के डिब्बे से यह आला तैयार हुआ। मरीज को देखने के बाद मेडिकल कचरे में डाल इसे खत्म किया जाता है। 

चिकित्सा विज्ञान में पहले बांस या पाइप से बीमार के शरीर की धड़कन सुनी जाती थी। कोरोना से बचाव के लिए स्टेथोस्कोप की जगह इसी पुरानी विधि का प्रयोग मरीज को देखने में कर रहे हैं। ताकि इसका संक्रमण चिकित्सक व अन्य को न हो सके। 

-डॉ. सतीश


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.