लो कर लो बात ! दुनिया को ठगने वाले जामताड़ा को धनबाद ने ठगा
धनबाद के सिंदरी निवासी सोमनाथ नामक इस ठग ने नारायणपुर को केंद्र बनाया। यहां के फनीभूषण उर्फ प्रकाश मंडल से मेलजोल बढ़ाया। फिर एक दिन कहा कि एसआइएस कंपनी में सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति करनी है। कोई करीबी हो तो बताना हम ही उसके अधिकारी हैं काम कर देंगे।
जामताड़ा [ प्रमोद चौधरी ]। जामताड़ा का नाम जेहन में आते ही साइबर ठगी का मायाजाल जेहन में घूमने लगता है। जामताड़ा के शातिर बैंक खाताधारक को ऐसा फंसाते हैं कि चुटकियां में उसका खाता खाली हो जाता है। ये अपराधी ठगी के नित नए तरीके भी ईजाद करते हैं। शायद ही कोई ऐसा राज्य हो, जहां के खाताधारकों को यहां के अपराधियों ने चूना न लगाया हो। ऐसे में कोई जामताड़ा के लोगों को ठग ले तो चौंकना लाजिमी है। जी हां, ऐसा ही हुआ है। पड़ोसी जिले धनबाद का एक ठग सिक्यूरिटी कंपनी का फर्जी अधिकारी बन जामताड़ा में ठगी कर गया। एक नहीं बल्कि यहां के 21 युवाओं से दिसंबर में नौकरी दिलाने के नाम पर सवा पांच लाख रुपये झटक लिए।
जल्द ही पकड़ में आ गया ठग
सब जानते हैं कि साइबर ठगों का मायाजाल दिखता नहीं है। इस ठगी में दोनों पक्ष एक-दूसरे से अनजान ही रहते हैं। पर जामताड़ा आया धनबाद का ठग झकाझक सूट-बूट पहनकर कार से पहुंचा। धनबाद के सिंदरी निवासी सोमनाथ नामक इस ठग ने नारायणपुर को केंद्र बनाया। यहां के फनीभूषण उर्फ प्रकाश मंडल से मेलजोल बढ़ाया। फिर एक दिन कहा कि एसआइएस कंपनी में सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति करनी है। कोई करीबी हो तो बताना, हम ही उसके अधिकारी हैं, काम कर देंगे। प्रकाश ने गंभरियाटांड़ समेत आसपास के गांव के युवकों को यह बात बताई। यह भी कहा कि साहब को जानता है काम हो जाएगा। बस कई युवा उससे नौकरी के लिए सिफारिश करने की अनुनय करने लगे। तब सबसे 40-40 हजार रुपये में सौदा तय हुआ। इसके बाद किसी से 20 तो किसी से 25 हजार रुपये ले लिए। नवंबर-दिसंबर तक नौकरी दिलाने का वादा किया था। जब किसी को नौकरी नहीं मिली तो युवाओं को समझ में आ गया कि खेल हो गया। नारायणपुर थाना के प्रभारी सह प्रशिक्षु आइपीएस शुभांशु जैन तक मामले की शिकायत की गई। उन्?होंने त?परता दिखाते हुए 48 घंटे में ठग सोमनाथ को दबोचकर जेल भेज दिया है।
कर्ज लेकर दिए थे कई युवकों ने रुपये
गभरियाटांड़ निवासी रंजीत ने बताया कि 30 हजार रुपये प्रकाश को दुर्गापूजा के पूर्व दिए थे। नवंबर में नियुक्ति पत्र मिलने की बात कही थी। कर्ज लेकर पैसा दिया था। न नौकरी मिली न रुपये, महाजन भी पीछे पड़ा है। स्वजन कोस रहे हैं, आखिर क्?या करें। विवेक मंडल व अरुण मंडल दोनों भाई हैं। इनको भी चूना लगा है। नमकीन बेचकर परिवार चलाते हैं। सोचे थे कि नौकरी मिलेगी तो महीने के महीने बंधी बंधाई रकम मिलेगी, यहां तो उल्टा हो गया। गांठ की रकम भी गई। इनको एटीएम में गार्ड की नौकरी दिलाने का वादा किया था। संजीत, किशोर, रमेश, भुवनेश्वर, राम कुमार भी इसी फेहरिस्?त में हैं। ये भी ठगे गए हैं। इधर पुलिस को प्रकाश ने बताया कि वह पहले एटीएम में गार्ड था। सोमनाथ ने एसआइएस का फार्म सबसे भरवाया था। सूट-बूट व टाई लगाकर महंगी कार से आया। इसलिए धोखा खा गया। उसे 5.19 लाख रुपये युवकों से इकट्ठा कर दे दिए। लेकर दे दिए। रुपये लेकर वह गायब हो गया। जब मोबाइल बंद मिलने लगा तो शक बढ़ा और पुलिस के पास पहुंचे।
बेरोजगार युवाओं को ठगने वाले सोमनाथ को सिंदरी से दबोच कर जेल भेज दिया गया है। उसने प्रकाश को मोहरा बनाकर 21 युवकों को ठगा। उनको नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। कानूनी कार्रवाई हो रही है। ऐसी घटनाओं से युवा सबक लें, बिना सच्चाई परखे किसी पर भरोसा न करें।
-शुभांशु जैन, प्रशिक्षु आइपीएस