स्वजन काम करते-करते मर गए, नौकरी देने की बात आयी तो आज आइए कल आइए...Dhanbad News
स्वजन काम करते मर गए। दो-तीन नहीं बल्कि 20-30 साल का जीवन भी सेवा में लगा दिया। अब जब देने की बारी आयी तो तरह-तरह के बहाने बनाए जा रहे हैं। आश्रित नियोजन की मांग को मंगलवार से मुख्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए।
जागरण संवाददाता, धनबाद: स्वजन काम करते मर गए। दो-तीन नहीं बल्कि 20-30 साल का जीवन भी सेवा में लगा दिया। अब जब देने की बारी आयी तो तरह-तरह के बहाने बनाए जा रहे हैं। झारखंड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार (झमाडा) के मृत कर्मचारी के आश्रित नियोजन की मांग को मंगलवार से मुख्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए। एक दिन पहले ही सोमवार को आश्रितों ने मुख्यालय में सामने धरना प्रदर्शन किया था। प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। काफी देरतक प्रदर्शन करने के बाद भी झमाडा के पदाधिकारी आश्रितों से वार्ता करने नहीं पहुंचे। नतीजतन सभी ने भूख हड़ताल की घोषणा कर दी।
एटक के महामंत्री विनोद मिश्रा, बसपा नेता सुबह दास व विभाग के कर्मचारी मो असलम ने कहा कि झमाडा की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए प्रबंधन ने 2010 के बाद से विभाग में अनुकंपा के आधार पर नियोजन बंद कर दिया। अब झमाडा की स्थिति काफी बेहतर हो है। इसके बाद भी प्रबंधन नियोजन प्रक्रिया शुरु नहीं कर रहा है। इसके विरोध में आश्रित प्रदर्शन कर रहे हैं। आश्रितों का कहना है कि नियोजन की मांग को लेकर 2016 में ही पूर्व विधायक राजकिशोर महतो के नेतृत्व में प्रबंधन के साथ एक समझौता हुआ था। इसमें कहा गया था कि 2018 के बाद आश्रितों की नियोजन प्रक्रिया शुरु कर दी जाएगी। यह अभी तक नहीं हो सका है। आज तक हमलोग बेरोजगार हैं। कर्मचारियों की मौत होने के बाद स्वजन को मिलने वाली राशि भी विभाग नहीं दे रहा है। लगभग सभी के घरों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। भूख हड़ताल स्थल पर अनीता देवी, दुलाली देवी, अरविंद कुमार, प्रेमचंद्र, बीरेंद्र राम, जाहिद अंसारी, अजरूद्दीन खान, मेहराबुल अंसारी, मंजर आलम, संजीत मंडल, राजू मंडल, कुलदीप प्रमाणिक, अजीत कुमार राय मौजूद थे।