9Pm9Min: किसी ने आटे का तो किसी ने जलाया मिट्टी का दीया, शंख बजे आतिशबाजी भी हुई Dhanbad News
रविवार की रात नौ बजे के पहले ही लोग छतों पर चले गए। अपार्टमेंट वाले गैलरी और खिड़की में खड़े हो गए। इसके बाद ठीक नौ बजे दीए व मोमबत्ती जलाकर सबने एकजुटता का संदेश दिया।
धनबाद, [आशीष सिंह]। घड़ी की सुई नौ पर जाने के लिए अभी कुछ समय शेष था। यही कोई पांच से दस मिनट। इससे पहले ही लोग अपने-अपने घरों की छत पर आ गए। अपार्टमेंट वाले गैलरी और खिड़की में खड़े हो गए। किसी के हाथ में पीतल का दीया तो किसी ने अपने हाथ में आटे का दीया लेकर रखा था। खिड़की से लोग एक-दूसरे से पूछ भी रहे थे कि मिट्टी का दीया है कि पीतल वाला।
जवाब मिला कि मिट्टी का दीया लेने नहीं जा सके, इसलिए आटे का बना लिया है। बाती घर की थी, तो वही इसमें डाल दिया। एक युवती ने चिल्लाकर पूछा, आंटी तेल कौन सा डाला है सरसों का। तो आंटी ने बड़ी ही मासूमियत से जवाब दिया, नहीं रे देसी घी का दीया है। अब एक दिन के लिए क्या तेल डालती। इसपर सभी ठहाके मारकर हंसने लग जाते हैं। नवाडीह के आरके नगर में बच्चे भी बालकनी और खिड़की से यह नजारा देख रहे थे।
तभी चारों ओर से आवाज आती है कि नौ बजे गए नौ बज गए, जलाओ रे सभी। इसके बाद एक-एक करके सभी का दीया जलने लगता है। ठीक नौ बजे एक साथ कई अपार्टमेंट की खिड़की और बालकनी से दीया जलता हुआ दिखाई देता है। सबसे हैरानी की बात यह रही कि जितने लोगों के हाथों में दीये थे, उतने ही हाथों में मोबाइल का फ्लैश भी जल रहा था। यह युवा वर्ग था। लड़के-लड़कियों सभी के हाथों में मोबाइल का फ्लैश जगमगा रहा था।
कुछ महिलाएं तो पाठ करतीं भी नजर आईं। कोई ओम जय जगदीश हरे तो कोई आरती कुंज बिहारी की गुनगुना रहा था। कुछ लोग शंख बजा रहे थे तो कई जय श्रीराम के नारे भी लगाते हुए दिखे। कईयों ने तो आतिशबाजी करनी भी शुरू कर दी। इस दौरान सभी के घरों की बत्तियां बुझी नजर आईं। यह सिलसिला नौ बजकर नौ मिनट तक चला, हालांकि कई लोगों ने अपनी खिड़कियों पर जलता हुआ दीया छोड़ दिया।