धनबाद में पानी की आपूर्ति घटी, फिलहाल बनी रहेगी यही स्थिति... रहें तैयार; अगले कुछ दिनों में गहराएगा जलसंकट
शहरी क्षेत्र में घोर जल संकट गहराने वाला है। शहर की साढ़े चार लाख की आबादी में जलापूर्ति करने के लिए मात्र 40 मिलियन लीटर डे (एमएलडी) पानी मिल रहा है। अभी तक 65 से 70 एमएलडी पानी मिल रहा था। पिछले दो दिनों से यही स्थिति है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: आने वाले दिनों में शहरी क्षेत्र में घोर जल संकट गहराने वाला है। शहर की साढ़े चार लाख की आबादी में जलापूर्ति करने के लिए मात्र 40 मिलियन लीटर डे (एमएलडी) पानी मिल रहा है। अभी तक 65 से 70 एमएलडी पानी मिल रहा था। पिछले दो दिनों से यही स्थिति है। कई इलाकाें से नियमित जलापूर्ति नहीं होने की शिकायतें भी मिलने लगी हैं।
स्टील गेट इलाके में सबसे अधिक परेशानी को रही है। यहां पिछले पांच दिनों से कई इलाकों को पानी मिला ही नहीं। शुक्रवार को मेमको मोड़ जलमीनार भी खाली रह गया। आने वाले दिनों में हर दिन चार से पांच जलमीनार खाली रहने की संभावना है। मैथन इंटेकवेल से धनबाद भेलाटांड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए शुक्रवार को मात्र 40 एमएलडी ही पानी छोड़ा गया। आगे भी यही स्थिति रहेगी।
कोटा बढ़ाने का भेजा गया था प्रस्ताव
नगर विकास विकास विभाग के पास पानी का कोटा बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन यह नहीं बढ़ सका। इसके साथ ही पेयजल विभाग पर पानी का बकाया बिल होने का भी खामियाजा उठाना पड़ रहा है। धनबाद में पहले 60 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती थी। यह अब घट कर 40 एमएलडी की हो रही है। पेयजल का नया कनेक्शन भी हर दिन हो रहा है, इसके बावजूद पानी का कोटा कम हो रहा है। मार्च में ही पानी संकट से जूझ रहे धनबाद शहर को निजात दिलाने के लिए नगर विकास विभाग के सचिव को पत्र के लिख कर पानी की आपूर्ति बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था। इस मामले में पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता मनीष वर्णवाल से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
पेयजल विभाग के साथ कांट्रेक्टर का 40 एमएलडी जलापूर्ति का ही करार है। शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति की मांग अधिक होने की वजह से कांट्रेक्टर पिछले दो माह से 55 एमएलडी तक जलापूर्ति कर रहा था। आदेश मौखिक था और इस बढ़ी हुई मांग के एवज में भुगतान भी लटकने की संभावना को देखते हुए कांट्रेक्टर ने 40 एमएलडी की जलापूर्ति शुरू कर दी है।
पानी की कमी से नहीं हो रहा ओवरफ्लो
स्टील गेट में सबसे अधिक जल संकट है। यहां पानी के कनेक्शन सबसे अधिक हैं। कई इलाके ऊंचाई पर हैं, इसलिए पेजयल विभाग यहां पानी चढ़ाने के लिए टंकी भरने के बाद भी चार घंटे ओवरफ्लो करता है। ताकि दूर तक पानी पहुंच सके। अब पानी कम मिलने की वजह से पिछले दो-तीन दिन से मात्र एक घंटे ही ओवरफ्लो किया जा रहा है। इस वजह से कुछ मोहल्लों में पानी पहुंच रहा तो कई इससे वंचित रह जा रहे हैं। बिजली कटौती के कारण भी समस्या हो रहा है। मैथन इंटेकवेल से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी पहुंचने में लगभग छह घंटे का समय लगता है। इस दाैरान इंटेकवेल का माेटर लगातार चलता है। आधे घंटे की कटाैती हाेने पर पाइपलाइन का पानी वापस मैथन की ओर जाने लगता है। यही वजह है कि घंटाें बिजली कटाैती हाेने से समय पर पानी नहीं पहुंच पाता है।
एक व्यक्ति को हर दिन 135 लीटर पानी की जरूरत
मांग के अनुसार पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है। इसकी वजह से भेलाटांड़ ट्रीटमेंट प्लांट छह से आठ घंटे बंद रहता है। 40 एमएलडी पानी की आपूर्ति होने के कारण अधिकतर समय प्लांट को बंद रखा जा रहा है। सरकारी सर्वे के अनुसार, एक व्यक्ति पर प्रतिदिन 135 लीटर पानी की जरूरत है। इसमें दैनिक नित्य क्रिया से लेकर अन्य कार्यों में पानी की खपत शामिल है। धनबाद की साढ़े चार लाख आबादी को सरकारी पानी मिलता है। इस हिसाब से 45 एमएलडी पानी की जरूरत घरेलू खपत के लिए है। बाकी 20 एमएलडी पानी अलग-अलग संस्थानों को दिया जाता है। इसमें आइएसएम, रेलवे, पीएमसीएच, सिंफर जैसे संस्थान शामिल हैं। ऐसे में 40 एमएलडी पानी में ही शहर और प्रमुख संस्थानों को जलापूर्ति करना संभव नहीं हो जाएगा।
स्टीलगेट और मेमको मोड़ जलमीनार से आज शाम होगी जलापूर्ति
स्टील गेट और मेमको मोड़ जलमीनार में आज शाम से पहले जलापूर्ति की संभावना कम है। इसकी वजह से पिछले दो दिन से लगभग 60 हजार की आबादी जल संकट से जूझ रही है। पेयजल विभाग के अनुसार, दोनों जलमीनार में आज शाम को पानी मिल जाएगा। पानी की आपूर्ति कम होने की वजह से कुछ अन्य जलमीनार खाली रहने की संभावना है। इसमें स्टील गेट, वासेपुर, मेमको मोड़, पॉलिटेक्निक भूली प्रमुख रूप से शामिल है।
बिजली कटौती से वापस पाइप में लौट जाता है पानी
बिजली कटौती के कारण भी समस्या हो रही है। मैथन इंटेकवेल से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी पहुंचने में लगभग छह घंटे का समय लगता है। इस दाैरान इंटेकवेल का माेटर लगातार चलता है। आधे घंटे की कटाैती हाेने पर पाइपलाइन का पानी वापस मैथन की ओर जाने लगता है। यही वजह है कि घंटाें बिजली कटाैती हाेने से समय पर पानी नहीं पहुंच पाता है। इसके साथ ही भेलाटांड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी फिल्टर करने में भी समय लगता है। एक जलमीनार को भरने में 3 से 4 घंटे का समय लग जाता है।