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SAIL: यूनियन चुनाव की राजनीति बन रही पे-रिवीजन में बाधा, वोट बढ़ाने के चक्कर प्रबंधन पर नाहक दबाव

सेल में कर्मचारियों के पे रिवीजन के साथ अधिकारियों के वेतन पुनरीक्षण की तकदीर जुड़ गई है। ऐसा इसलिए की केंद्रीय इस्पात मंत्री ने यह साफ कर दिया है जब तक कर्मचारियों के पे रिवीजन का मसला नही सुलझेगा तब तक कंपनी में अधिकारियों का पे रिवीजन भी नही होगा।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 12:58 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 08:39 PM (IST)
SAIL: यूनियन चुनाव की राजनीति बन रही पे-रिवीजन में बाधा, वोट बढ़ाने के चक्कर प्रबंधन पर नाहक दबाव
स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड ( सांकेतिक फोटो)।

जागरण संवाददाता, बोकारो। महारत्न कंपनी सेल (SAIL) में कर्मचारियों के पे-रिवीजन का मसला चुनावी राजनीति की भेंट चढ़ चुका है। ऐसा इसलिए की सेल के भिलाई, राउरकेला, बोकारो, सीएमओं आदि इकाई में अधिकारी-कर्मचारी संगठनों का चुनाव इसी साल होना है। ऐसे में पे-रिवीजन कराने के नाम पर अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए यूनियन प्रतिनिधि व अधिकारी संगठन लामबंद हो गए है। भिलाई में तो 24 सितंबर को चुनाव की तिथि भी निर्धारित कर दी गई है। इस बीच सेल प्रबंधन कर्मचारियों के पे रिवीजन पर आगामी 20 व 21 सितंबर को फिर से एनेजसीएस श्रमिक संगठन के साथ वार्ता करने पर विचार कर रही है।

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20 व 21 को नहीं बनी सहमति को दो-तीन महीने के लिए लटक सकता समझौता

जानकारों का कहना है कि 20 व 21 सितंबर की बैठक में दोनों पक्ष की ओर से वेतन पुनरीक्षण का मसला सुलझ गया तो 28 सितंबर को सेल प्रबंधन की ओर से सुबह में अपने शेयरधारकों के साथ एजीएम की मीटिंग की जाएगी। तत्पश्चात दोपहर में सेल बोर्ड आफ डायरेक्टर की बैठक रखी गई है। जहां कर्मचारियों के पे-रिवीजन के एजेंडा को बोर्ड मीटिंग में पास कर दिया जाएगा। लेकिन वार्ता असफल होती है तो मामला अगले एक-दो माह के लिए फिर से अधर में लटक जाएगा। चूंकि शारदीय नवरात्र सात अक्टूबर से प्रारंभ हो जाएगा। इसलिए प्रबंधन पे रिवीजन व बोनस दोनों मसले पर एक साथ निर्णय लेने के लिए तैयार नही है।

मंत्रालय की दो टूक कर्मचारी-अधिकारी का एक साथ होगा रिवीजन

सेल में कर्मचारियों के पे रिवीजन के साथ अधिकारियों के वेतन पुनरीक्षण की तकदीर जुड़ गई है। ऐसा इसलिए की केंद्रीय इस्पात मंत्री ने यह साफ कर दिया है जब तक कर्मचारियों के पे रिवीजन का मसला नही सुलझेगा तब तक कंपनी में अधिकारियों का पे रिवीजन भी नही होगा। हालांकि यह निर्णय पूर्व इस्पातमंत्री धर्म्रेंद्र प्रधान का था, जिस पर वर्तमान इस्पातमंत्री आरसीपी सिंह भी अडिग है। इधर अधिकारियों का संगठन सेफी इस नियम में बदलाव के लिए इस्पात मंत्रालय से लेकर सेल मुख्यालय का चक्कर प्रतिमाह काट रही है। लेकिन मामला जस का तस है। इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नेशनल कनफेडरेशन आफ आफिसर एसोसिएशन के सदस्य विमल विशी ने कहा की इस्पात मंत्रालय का यह फैसला सरासर गलत है। अधिकारियों के पे रिवीजन से कर्मचारियों के वेतन पुनरीक्षण की तुलना नही होनी चाहिए। दोनों के लिए डीपीई के नियमानुसार अलग-अलग मापदंड निर्धारित गए है। बावजूद इसके मामले पर लेटलटीफी की जाती है तो एनसीओं पीएमओं से न्याय की गुहार लगाएंगी।


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