हाल-ए-पारा शिक्षकः दुकानदारों ने बंद किए राशन, दूधवाले नहीं दे रहे दूध, अब आत्महत्या की चेतावनी
झारखंड शिक्षामित्र संघ के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रज मोहन ने कहा है कि पारा शिक्षक भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं। अब आत्महत्या के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं रह गया है।
धनबाद, जेएनएन। 16 नवंबर से 17 जनवरी तक पारा शिक्षक स्थायीकरण समेत अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर थे। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने हड़ताल अवधि का मानदेय नहीं देने का फैसला लिया है। इस निर्णय से पारा शिक्षकों में उबाल है।
झारखंड शिक्षामित्र संघ के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रज मोहन पाठक ने कहा है कि पारा शिक्षक भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं। पारा शिक्षक व शिक्षामित्रों के पास अब आत्महत्या के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं रह गया है। आखिर हमारी जिंदगी की गाड़ी कैसे चलेगी। दुकानदार ने राशन बंद कर दिया है, दूधवाला दूध नहीं दे रहा है, अब बच्चों के स्कूलों में फीस जमा नहीं होने के कारण परीक्षा से वंचित होना पड़ेगा।
लाचार व बूढ़े मां-बाप की आंखों में बेबसी साफ देखी जा सकती है। 63 दिन के हड़ताल में लाठीचार्ज, धरने के दौरान ठंड लगने व समुचित इलाज के अभाव में 26 पारा शिक्षक असमय काल-कलवित हो गए। आंदोलन से वापसी के बाद भी आधा दर्जन मौतें हो चुकी हैं। बावजूद सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। चुनाव में जनता एक-एक मौत का बदला लेगी। पिछले दिनों नीरा यादव की अध्यक्षता में हुई नियमावली समिति की प्रथम बैठक से ही साफ हो गया कि सरकार न तो हमें स्थाई करेगी और न वेतनमान ही देगी।