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Weekly News Roundup Dhanbad: ऑफिस-ऑफिस... पुराने थानेदार पीके आए

जिले का खजाना घर। विभाग में इन दिनों खाली-खाली सा माहौल है। अभी काम-धाम का तनाव भी कम ही है। आखिर इसकी वजह क्या है ?

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 01:27 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 05:50 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: ऑफिस-ऑफिस... पुराने थानेदार पीके आए

धनबाद [ चरणजीत सिंह ]। झरिया थाना में पुराने साहब की वापसी हो गई। चुनाव के दौरान चले गए थे तो चर्चाओं का दौर चल पड़ा था। कई ऐसे चेहरे नमूदार हुए, जो कहने लगे- करा दिया न ट्रांसफर। अब उनको क्या मालूम था कि पीके सिंह को कुछ दिनों के लिए ही चलता किया गया। दरअसल दीपावली की रात साहब पूरी टीम के साथ निकले थे। हुड़दंगियों की मिजाजपुर्सी जमकर की थी। जुआ अड्डे की जड़ भी पकड़ी। नुक्कड़ के अड्डेबाजों की शामत ला दी थी। कुछ दिनों के कार्यकाल में ही उनका जलवा दिखने लगा। हर ओर छा गए। अब बाजी पलट गई है। जो हुंकार भर रहे थे, अब उनसे नजदीक होने का हर उपाय तलाश रहे हैं। साहब का भी अपना तंत्र है। आखिर यूं ही पलामू में दबदबा कायम नहीं किया था। वो सब समझ रहे हैं। अब आगे देखिए क्या होता है। हड़कंप जरूर है।

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खजाना घर में सन्नाटा 

जिले का खजाना घर। विभाग में इन दिनों खाली-खाली सा माहौल है। अभी काम-धाम का तनाव भी कम ही है। आखिर इसकी वजह क्या है। सूबे में नई सरकार बनने के बाद यहां पिछले एक माह से बिल भुगतान का काम चौपट हो गया है। अब मंत्रिमंडल का गठन होगा, तभी आदेश निकलेगा। ऐसे में ठीकेदारों का गिफ्ट बाउचर काम नहीं करने वाला। हालांकि तनाव भी कुछ कम नहीं है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति होने वाली है। ऐसे में एकाएक काम का बोझ पड़ेगा तो परेशानी भी बढ़ेगी। यहां साहब भी नए आए हैैं। खाली वक्त में वे स्थानीय नीति को समझने में ही समय दे रहे हैैं। काउंटर पर कर्मचारी रहते नहीं, यदि आ भी गए तो गप्पों की बौछार से टाइम पास करते देखे जा सकते हैैं। 50 तोले की चेन पहनने वालों से गुलजार रहने वाले इस कार्यालय में फिलहाल सन्नाटा ही है।

सबकी जुबां पर शख्स

एक शख्स इन दिनों सबकी जुबां पर है। भू-अर्जन पदाधिकारी कार्यालय में हैं। रौब में अधिकारी के बराबर। इसलिए छोटा साहब कहने से परहेज नहीं। भू-विभाग की खाता-बही का हिसाब यहीं है। इसी में है झरिया पुनर्वास योजना। झारखंड की बहुचर्चित योजना है ये। लोगों को पुनर्वास कब मिलेगा या क्या प्रक्रिया अपनानी है, सब यहीं है। बड़े साहब तक पहुंचने से छोटे साहब से निपटना जरूरी है। वैसे तो छोटे साहब के खिलाफ कई शिकायतें हैैं लेकिन कुछ माह से एक मामला सुर्खियों में है। लगन चंद्र पांडे। पुनर्वास योजना के पीडि़त। उनसे जिले के हाकिम के नाम पर 20 लाख की घूस मांगी गई। बोला गया, साहब को समझाना होगा। मामला ऊपर गया। अवर सचिव ने हाकिम को जांच के लिए कहा है। अब हाकिम जो करें, चर्चा है कि छोटे साहब की अचल संपत्ति की जांच शुरू होगी तो सब साफ हो जाएगा।

खूब चर्चा में साहब

बीएसएनएल में एक साहब हैं, जो अपनी कार्यशैली के लिए धनबाद में भी खूब नाम कमा चुके हैैं। जमशेदपुर में तैनात थे, तो खूब सुर्खियों में रहे। कोर्ट तक जाना पड़ा था। लिहाजा, यहां भी पूरा महकमा खौफजदा है। वह जब यहां ज्वाइन करने आए, तो गेट खोलने में देरी करने पर गार्ड को थप्पड़ जड़ दिया था। उसके बाद तो जैसे शामत ही आ गई। विभाग में ऐसे-वैसे लोगों को अच्छा पद देकर चर्चा में हैं, लेकिन एक स्थानीय ठीकेदार का काम रुकवा कर जमशेदपुर के चहेतों को कार का टेंडर देना उन्हें महंगा पड़ गया। शिकायत हुई तो विजिलेंस ने यहां भी धमक दे दी और कार्यालय से मूल खाता-बही सब उठा ले गई। टेंडर की तीन कारें अपने पास रखना, बिल भुगतान, कंप्यूटर खरीद आदि में अनियिमितता की चर्चा विभाग में हो रही हैैं। कहते हैैं कि जांच होगी, तो जरूर नकारे जाएंगे।


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