6 माह से हो रहा सिर्फ मंथन, झरिया पुनर्वास नीति पर अब तक नहीं हो पाया फैसला Dhanbad News
कोयला मंत्रालय के निदेशक व झरिया पुनर्वास के मैंबर सचिव ने कहा कि मास्टर प्लान में पहले की नीति में बदलाव करने में दिक्कतें है। कमेटी इस पर काम कर रही है। जल्द ही बैठक होगी।
धनबाद, जेएनएन। झरिया पुनर्वास में टाइटल होल्डर के मुआवजा नीति तय करने का फैसला अभी तक नहीं हो पाया है। सर्वे का काम पूरा नहीं होने कारण इस पर काफी समय लग रहा है। इधर, झरिया के फायर एरिया में रहने वालों की पुनर्वास नीति में बड़ा बदलाव के प्रस्ताव पर पिछले छह माह से मंथन ही चल रहा है। फायर एरिया में रैयत, कब्जाधारक एवं बीसीसीएल कर्मचारी के सवा लाख परिवार रह रहे हैं।
शुक्रवार को कोयला मंत्रालय के निदेशक व झरिया पुनर्वास के मैंबर सचिव पीयूष कुमार ने दैनिक जागरण से बातचीत की। इस दौरान कहा कि इस संबंध में उपायुक्त व सीएमडी के साथ बैठक हुई है। मास्टर प्लान में पहले की नीति में बदलाव करने में दिक्कतें है। कमेटी इस पर काम कर रही है। जल्द ही इस पर बैठक होगी।
वहीं, सीएमडी पीएम प्रसाद ने बताया कि इसको लेकर हर स्तर पर गंभीरता से बातचीत चल रही है। पुनर्वास पैकेज को लेकर डीसी के साथ भी लगातार विचार विमर्श हो रही है। जो प्रस्ताव तैयार है उसे और बेहतर किया जा सकता है कि नहीं, किया जा सकता है तो क्या जरुरत व दिक्ततें होगी, इस पर अध्ययन किया जा रहा है।
इस प्रस्ताव पर हो रही मंथन
- रैयतों को सरकार द्वारा निर्धारित दर के मुताबिक जमीन की मुआवजा राशि दी जाएगी।
- बाजार दर पर मकान का दाम तय किया जाएगा और राशि मिलेगी।
- राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दर के आधार पर 500 दिन की न्यूनतम मजदूरी की राशि मिलेगी।
- शिफ्टिंग चार्ज के तहत दस हजार रुपए दिये जाएंगे।
- कौशल विकास केंद्र में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
गैर रैयत को यह दी जाएगी सुविधा
- गैर रैयत यानी कब्जाधारकों को स्मार्ट सिटी में आवास दिया जाएगा।
- झारखंड सरकार द्वारा निर्धारित दर पर 500 दिन की न्यूनतम मजदूरी दी जाएगी।
- शिफ्टिंग चार्ज के तहत दस हजार रुपए दिए जाएंगे।
- कौशल विकास केंद्र में प्रशिक्षण दिया जाएगा।