व्यापारियों के आंदोलन के बीच कहीं पीस न जाए वाहन चालक व मजदूर
व्यापारियों के आंदोलन के बीच कहीं पीस न जाए वाहन चालक व मजदूर
व्यापारियों के आंदोलन के बीच कहीं पीस न जाए वाहन चालक व मजदूर
झरिया : बाजार शुल्क के खिलाफ कृषि बाजार समिति खाद्यान्न मंडी धनबाद सहित अन्य थोक व्यापारियों ने अपनी कम कस ली है। सरकार के खिलाफ व्यापारियों ने अन्य प्रांतों से आने वाले अनाज का आर्डर सोमवार से देना बंद कर दिया है। आंदोलन का असर गुरुवार को बाजार समिति में देखने को मिला। आंदोलन लगातार चला तो समिति में मौजूद मजदूर व वाहन चालकों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि बाजार समिति में लगभग 200 से भी अधिक छोटी-बड़ी मालवाहक गाड़ियां रोज चलती हैं। चालकों की माने तो फिलहाल उतनी समस्या नहीं आई है। आंदोलन के लंबा होने पर रोजी-रोटी के साथ वाहन का किस्त चुकाना मुश्किल हो जाएगा। मजदूरों ने कहा कि कृषि बाजार में वर्षों से लगभग एक हजार मोटिया मजदूर कार्य करते आ रहे हैं। माल उठाकर गाड़ी तक पहुंचाना व गाड़ी से माल उतारना इनका काम है। मजदूरों ने बाजार शुल्क को तुरंत वापस लेकर आंदोलन को समाप्त करने की मांग की है।
क्या कहते हैं वाहन चालक :
कई वर्षों से कृषि बाजार में माल ढुलाई का काम कर रहे हैं। इससे पूरे परिवार की जीविका चलती है। यदि बाजार में अन्य प्रांतों से वाहन नहीं आएंगे तो माल ढुलाई कहां से कर पाएंगे।
अजय कुमार, वाहन चालक।
सरकार जल्द ही अपना फैसला वापस ले। ऐसा नहीं हुआ तो विवश होकर व्यापारियों के साथ हमलोगों भी सरकार के खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
रोहित कुमार, वाहन चालक।
यहां के लगभग 80 प्रतिशत वाहन किसी न किसी बैंक से किस्त लेकर चला रहे हैं। ऐसे में माल ढुलाई का काम नहीं मिला तो हमलोग कहां जाएंगे। बैंक का किस्त भी समय पर नहीं दे पाएंगे।
पवन कुमार, वाहन चालक।
एक तरफ डीजल के बढ़ती कीमत की वजह से किराया में कोई वृद्धि नहीं हुई है। किसी तरह अपनी जीविका चला रहे हैं। मंडी में गाड़ी नहीं आएंगी तो परिवार चलाना मुश्किल हो जाएगा।
मुकेश कुमार, वाहन चालक।