Neeraj singh murder case: 30 माह में भी पुलिस उस बाइक को नहीं ढूढ पाई जिस पर सवार थे विधायक संजीव Dhanbad News
जिस बाइक पर पिंटू सिंह और संजीव सिंह बैठे थे उस मोटरसाइकिल के विषय में कुछ पता नहीं चला। अनुसंधानकर्ता ने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि पिंटू सिंह के साथ एकलव्य की दुश्मनी है।
धनबाद, जेएनएन। धनबाद के चर्चित नीरज सिंह हत्याकाड में लगातार 10वें दिन काड के अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी का बयान दर्ज किया गया। शुक्रवार को बचाव पक्ष के सवालों का जवाब देते हुए अनुसंधानकर्ता ने कहा की घटना के वक्त वह चिरकुंडा थाना प्रभारी थे। उन्हें 30 मार्च को टेलीफोन के माध्यम से काड का अनुसंधान करने की सूचना दी गई थी। 23 मार्च को अभिषेक सिंह का लिखित आवेदन प्राप्त हुआ था जो थाना प्रविष्टि में दर्ज है परंतु अभिषेक सिंह की प्रविष्टि पर कोई हस्ताक्षर नहीं है।
बचाव पक्ष द्वारा पूछे जाने पर अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी ने कहा कि अनुसंधान के दौरान उन्हें कांड के आरोपित पिंटू सिंह के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिला। सिवाय इसके कि सूचक ने अपने बयान में कहा था कि मोटरसाइकिल पर पिंटू सिंह अपने पीछे संजीव सिंह को बैठाकर रूका और संजीव ने धमकी दी। अनुसंधानकर्ता ने अपने बयान में कहा कि जिस मोटरसाइकिल पर पिंटू सिंह और संजीव सिंह बैठे थे, उस मोटरसाइकिल के विषय में कुछ पता नहीं चला। अनुसंधानकर्ता ने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि पिंटू सिंह के साथ एकलव्य सिंह की पुरानी दुश्मनी थी। पिंटू सिंह ने एक मामले में एकलव्य के खिलाफ गवाही दी थी। इसी कारण उन्हें झूठा फंसाया गया है। अनुसंधानकर्ता ने कहा कि डब्लू मिश्रा ने अपना नाम मुन्नाजी नहीं बताया था। उन्होंने संजीव सिंह के हाउस गार्ड व बॉडीगार्ड केविषय में जाकर पता
अनुसंधानकर्ता ने बचाव पक्ष द्वारा पूछे जाने पर कहा कि 27 मार्च 17 को संजीव सिंह सरायढेला थाना आए थे। 13 अगस्त 17 को महंत पाडेय, 14 अगस्त 17 को गया प्रताप सिंह तथा 2 अप्रैल 17 को मनीष सिंह थाना आए थे। यह सभी लोग काड के नामजद आरोपित है परंतु इन्हें उस समय इसलिए गिरफ्तार नहीं किया गया क्योंकि उस वक्त तक इनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं था। सुनवाई के दौरान विधायक संजीव सिंह को एंबुलेंस से लाया गया था। दो घटे चली गवाही : जिला एवं सत्र न्यायाधीश आलोक कुमार दूबे की अदालत में सुबह 11:30 बजे से गवाही शुरू हुई जो लगातार 1:30 बजे तक चली। इस दौरान बचाव पक्ष के वरीय अधिवक्ता मदन मोहन दरिप्पा ए देवी शरण सिन्हा, मो जावेद, पंकज प्रसाद, कुमार मनीष, जया कुमार एके तिवारी ने अनुसंधानकर्ता से तीखे सवाल किए जिसका जवाब देते हुए अनुसंधानकर्ता कई बार असहज हुए। कुछ सवालों के जबाव वह घुमा कर देना चाह रहे थे जिसे बचाव पक्ष ने रोका। अदालत ने अनुसंधानकर्ता के जिरह के लिए 21 सितंबर की तारीख निर्धारित की है।