राष्ट्रीय फुटबॉलर बहनों की प्रतिभा को नहीं मिला उचित स्थान, खेतों में बहा रहीं पसीना Dhanbad News
छोटी बहन ललिता 9 साल की उम्र से फुटबॉल खेल रही है। उसने भी राष्ट्रीय स्तर पर जगह बना ली है। सरकार से सहायता नहीं मिलने से दोनों बहनों का मनोबल टूटा है।
धनबाद [ मनोज स्वर्णकार ]। गोमो रेलवे स्टेशन के नजदीक तोपचांची प्रखंड का लक्ष्मीपुर गांव। यहीं रहती हैं दो बहनें 20 साल की आशा और 17 साल की ललिता। गरीबी के साये में दोनों पली बढ़ीं। पिता की मौत हो चुकी है। मां पुटकी देवी सब्जी बेचकर व खेती कर परिवार का जीवनयापन करती हैं। इन दोनों बहनों ने फुटबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर गांव का नाम रोशन किया है। नतीजा गांव ही नहीं बल्कि पूरे गोमो में इनकी अलग पहचान है। बावजूद दोनों को इस बात का मलाल है कि उनकी प्रतिभा को अब तक मुकाम नहीं मिला। दोनों बहनें खेत में सब्जी उगाकर अपनी मां की मदद करती हैं।
खेल को निखार देश का नाम रोशन करने की तमन्ना
तृतीय वर्ष में पढ़ रही आशा ने बताया कि घर में भाई विनोद महतो है जो मजदूरी कर कुछ कमा लाता है। जो अभी लॉकडाउन में काम करने नहीं जा रहा। किसी प्रकार हम सब मिलकर परिवार चला रहे हैं। यदि खेल कोटे से कहीं काम मिल जाता तो परिवार के जीवनयापन की चिंता खत्म हो जाती। खेल को निखार कर देश का नाम रोशन करते। आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि खेत में काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या। ऐसे में खेल अभ्यास के बारे में सोचना भी बेमानी है। मां का परिश्रम देख हम दोनों भी कुदाल लेकर खेती में जुट गए। उसने बताया कि दस वर्ष की थी तब घर के पास लक्ष्मीपुर सरना मैदान में फुटबॉल खेलना शुरू किया। फिर रवींद्र संघ क्लब गोमो से जुड़ी।
सरकारी सहायता न मिलने से दोनों बहनों का मनोबल टूटा
2014 में स्कूल स्तर की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। 2015 में ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन की प्रतियोगिता व 2016 में सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। दो बार ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में खेली। उस समय पंद्रह हजार रुपये पारितोषिक मिला था। 2018 में भूटान जाकर फुटबॉल खेला। 2016 में सुब्रतो कप इंटर नेशनल फुटबॉल टूर्नामेंट नई दिल्ली में खेला। छोटी बहन ललिता 9 साल की उम्र से फुटबॉल खेल रही है। उसने भी राष्ट्रीय स्तर पर जगह बना ली है। सरकार से सहायता नहीं मिलने से दोनों बहनों का मनोबल टूटा है। पिता का निधन कई साल पहले हो गया। दोनों बहनों का कहना है कि रवींद्र संघ क्लब के कोच उदय मिश्रा व अन्य सदस्य मदद करते हैं। उनके सहयोग व मार्गदर्शन से आगे बढ़ रहे हैं। दोनों कहती हैं कि मदद मिले न मिले पूरी दुनिया में अपने खेल के दम पर देश व गांव का नाम रौशन करके दिखा देंगे। यही हमारी तमन्ना है।