नेशनल कैंसर सर्वाइवर्स डेः मौत को मात दे बांट रहे जिंदगी
जीवन में हिम्मत से बड़ा सहारा मिलता है। हिम्मत के साथ भगवान पर विश्वास हो तो दवा भी तेजी से काम करती है।

आशीष अंबष्ठ, धनबाद। ऐसी मान्यता है कि चिकित्सक भगवान का रूप होते हैं। अमीर हो या गरीब, हर तबके के लोग आंख मूंदकर उन पर भरोसा करते हैं। बीसीसीएल के केंद्रीय अस्पताल के सीएमएस (मुख्य चिकित्सा सेवाएं) डॉ. संजीव गोलाश एक ऐसे ही जिंदादिल चिकित्सक हैं, जो पिछले आठ वर्षो से ब्रेन कैंसर से जूझने के बावजूद पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।
कभी हताश न हों :
दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि जीवन में हिम्मत से बड़ा सहारा मिलता है। हिम्मत के साथ भगवान पर विश्वास हो तो दवा भी तेजी से काम करती है। वे अक्टूबर 2009 में चक्कर खाकर गिर पड़े। सीटी स्कैन हुआ तो हल्की सी जानकारी मिली। आमरी हॉस्पिटल में जांच के बाद पता चला कि ब्रेन कैंसर है। यह जानकार दिल दहल गया। चिकित्सक होने के बावजूद अंदर तक हिल गया, लेकिन हताश नहीं हुआ। हिम्मत रखी और भगवान पर भरोसा किया। डॉक्टर होने के कारण पता चल गया कि काफी तीव्र रूप से फैलने वाला रोग हो गया है। पत्नी भी चिकित्सक होने के कारण सारी बातें समक्ष गईं। पत्नी भी केंद्रीय अस्पताल में चिकित्सक हैं। उनकी एक बच्ची हैं।
हर माह करानी पड़ती कीमोथेरेपी :
उन्होंने बताया कि मार्च 2013 में जांच कराने पर पता चला कि फिर से कैंसर हो गया है। एक बार लगा कि अब यह पीछा नहीं छोड़नेवाला। नई दिल्ली एम्स में जांच कराई तो स्पष्ट रूप से कहा गया कि फिर से ऑपरेशन कराना होगा। एएमआरआइ की सलाह दी गई। दिल्ली अपोलो में यह व्यवस्था थी। 18 अप्रैल 2013 को जीके थेरेपी के जरिए ऑपरेशन कराना था। यह ऑपरेशन सिर में छेद कर किया जाता है। यह ऑपरेशन काफी दर्दभरा होता है। चार माह बुखार से ग्रस्त था। धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया है। मार्च 2017 के बाद ट्यूमर नहीं दिखा। हर माह कीमोथेरेपी कराने से कई तरह की दिक्कत होती है।
सकारात्मक व्यवहार जरूरी :
कैंसर मरीजों को हमेशा सकारात्मक सोच के साथ काम करना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि बीमारी हो गई तो हर वक्त चिड़चिड़ा व्यवहार करें। सकारात्मक सोच और अच्छे व्यवहार से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है जो बीमार शरीर को रोग से लड़ने के लिए ताकत देता है। बीमार व्यक्ति से कोई पूछे तो उसे नकारात्मक बातें नहीं करनी चाहिए। इससे तनाव बढ़ता है और बीमारी तेजी से फैलती है।
किए गए नए प्रयोग :
डॉ. गोलाश ने बताया कि विदेश में हुए प्रयोग के अनुसार कैंसर से मरीजों को 80 साल तक लड़ने की क्षमता के साथ जीवित रखा जा सकता है। मौजूदा समय में जर्मन सहित अन्य देशों के साथ दिल्ली एम्स भी कीमोथेरेपी में नया प्रयोग कर रही है। वे भी उस प्रयोग का एक हिस्सा हैं। वैसे कैंसर का इलाज संभव हो गया है। कुछ कैंसर तो पूरी तरह से ठीक हो जा रहा है। समय रहते इलाज शुरू होने से कैंसर पर काबू पा लिया जाता है। कैंसर के कुछ लक्षण हैं, जिनकी जांच जरूरी है। पता चलने पर मरीज को घबराना नहीं चाहिए बल्कि हिम्मत के साथ इलाज कराना चाहिए।
जीवनभर चलेगी कीमोथेरेपी :
बताया कि उन्हें जीवनभर कीमोथेरेपी लेनी होगी। हर माह लेने के बाद चिकित्सकों की सलाह पर इसकी अवधि में परिवर्तन किया जा सकता है, लेकिन जीवनभर इसे लेना होगा। 1हर साल दो लाख लोगों की जाती जान : डॉ. गोलाश ने बताया कि आंकड़े पर गौर करें तो जो दर्ज है, उसके अनुसार हर साल दो लाख लोगों की कैंसर से मौत होती है।
तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मरीज :
हर साल कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। कोयलांचल में भी उनकी संख्या अधिक है।
मोबाइल का करें कम उपयोग
डब्ल्यूएचओ के नए सर्वे में मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा अधिक बताया गया है। हो सके तो लोगों को अपने मोबाइल का स्पीकर ऑन कर बात करनी चाहिए या मोबाइल का जरूरत के अनुसार इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति हमेशा जागरूक रहना चाहिए। नियमित रूप से जांच कर यह पता लगाते रहना चाहिए कि कोई बीमारी तो शिकार नहीं बना रही है।

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