छठ माई की महिमा: यहां मुस्लिम परिवार बेच रहे छठ पूजा के सामान
कतरास में थाना के पास रौशन, अयूब, सुल्तान के परिजन पिछले छह दशक से छठ कतरास में छठ पूजा का सामान बेच रहे हैं।
संवाद सहयोगी, कतरास: कतरास में थाना के पास रौशन, अयूब, सुल्तान के परिजन पिछले छह दशक से छठ पूजा के लिए सूप, डलिया सहित अन्य सामान बेच रहे हैं। 70 किलोमीटर की दूरी तय कर जामताड़ा के शहरपुर से सूप लाकर यहां बेचते हैं। इस वर्ष करीब 15 की संख्या में लोग आए हैं।
रौशन के साथ उनके छोटे भाई 56 वर्षीय सुल्तान मियां व उसका लड़का इस्माइल भी इस कारोबार में साथ निभाता है। सनाउल्ला व रौशन बताया कि वे 15 वर्ष की उम्र से ही अपने अभिभावक के साथ दिवाली के बाद सूप डलिया लेकर धनबाद आते थे। कतरास इलाके तक दिन भर घूम-घूम कर बिक्री करते थे और फिर शाम होते ही वापस चले जाते थे। उस समय कभी वाहन मिलता था तो कभी पैदल भी घर जाना पड़ता था। करीब पांच दिनों तक बिक्री होती थी। धीरे- धीरे यहां के लोगों का छठ के प्रति रुझान बढ़ा। व्रतियों की संख्या में कई गुणा वृद्धि हो गयी। सूप डलिया के बढती मांग को देखते हुए 1965 से कतरास में एक सप्ताह तक रहकर बेचने लगे। छठ का सामान थाना परिसर में रखते थे और दिन में थाने के बाहर बिक्री करते थे। आज दिन-रात थाना के बाहर दुकान सजाकर बेचते हैं। उन्होंने कहा कि छठी मइया की महिमा हमें इस कारोबार में खींच लायी।
65 वर्षीय अयूब का कहना है कि 1972 से वे अपने चाचा रौशन के साथ कतरास आना शुरू किया, जो आज भी जारी है। फिलहाल वे अपने पुत्र के साथ आते हैं। जामताड़ा जिले के नारायणपुर थाना अंतर्गत शहरपुर के अलावा जगवाडीह, टोपाटांड, डेभाकेंद्र, दखिनीडीह, चापापुर, सुगापहाडी़ सहित कई गांव के मोहली समाज के लोग सूप बनाते हैं, जहां से सूप डलिया खरीदकर लोग यहां लाते हैं। मीडियम साइज की सुपली 30 रुपये जबकि बड़े साइज का सूप 50 रुपये, डाला 300, मोनी 30 रुपये, पंखा 20 रुपये में बेच रहे हैं।