हड़ताल पर रहे एमपीडब्ल्यू, सिविल सर्जन कार्यालय के सामने प्रदर्शन
विभिन्न मांगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत अनुबंध पर कार्यरत मल्टी पर्पस वर्कर (एमपीडब्ल्यू) सोमवार को हड़ताल पर रहे। इस दौरान एमपीडब्ल्यू ने सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया।
धनबाद : विभिन्न मांगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत अनुबंध पर कार्यरत मल्टी पर्पस वर्कर (एमपीडब्ल्यू) सोमवार को हड़ताल पर रहे। इस दौरान एमपीडब्ल्यू ने सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने अपनी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने की मांग की। इसके बाद मल्टी पर्पस वर्कर का एक प्रतिनिधिमंडल सिविल सर्जन डा. श्याम किशोर से मिलकर अपनी आठ सूत्री मांगों को रखा। सिविल सर्जन ने बताया कि यह मामला मुख्यालय स्तर का है। तमाम मांगों को मुख्यालय भेजा जा रहा है।
नेता सुजीत कुमार ने कहा कि एमपीडब्ल्यू (मलेरिया वर्कर) की बहाली 2008 में हुई थी। आज 13 वर्ष बीतने के बावजूद भी हमलोग को विभाग में समायोजन नहीं किया गया है और ना ही 2016 से छह वर्ष के दौरान मानदेय में कोई वृद्धि की गई है, जबकि एमपीडब्ल्यू की बहाली ग्रेड पे के आधार पर हुई है और मानदेय की भुगतान ट्रेजरी के माध्यम से होता है। इसके बावजूद छह वर्ष में मानदेय वृद्धि नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि झारखंड एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ के आवाहन पर एक सप्ताह से काला बिल्ला एवं मांग लिखे तख्ती लगाकर सेवा दे रहे हैं। लेकिन विभाग के संज्ञान नहीं लेने के कारण सोमवार को हड़ताल करना पड़ा। सोमवार को कहीं भी एमपीडब्ल्यू ने कार्य नहीं किया। इससे टीकाकरण से लेकर कोरोना जांच प्रभावित रही। मौके पर ज्वाला पासवान, फखरुद्दीन अंसारी, सुजीत कुमार, तेजलाल, राजेश चौधरी, दिलीप ठाकुर, रंजीत, हीरालाल, त्रिलोचन मिश्रा, शशिकांत, बलदेव ठाकुर, धर्मेंद्र ,मनोज महतो एवं अन्य उपस्थित थे। एमपीडब्ल्यू संघ की मांगें
-राज्य के सभी एमपीडब्ल्यू को आरसीएच के तर्ज पर अति शीघ्र विभाग में समायोजन किया जाए।
-विभाग में लंबित वेतन वृद्धि की संचिका को अविलंब वित्त विभाग भेजते हुए, कैबिनेट की स्वीकृति कराते हुए समायोजन होने तक वेतन में वृद्धि किया जाए, जिस पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त है।
-प्रदेश अध्यक्ष पवन कुमार पर एसडीओ खूंटी द्वारा अभद्र व्यवहार करने पर उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई किया जाए।
-कोरोना का कार्य कर रहे सभी एमपीडब्ल्यू का 50 लाख रुपए का जीवन बीमा किया जाए।
-कार्य अवधि में एमपीडब्ल्यू के मृत्यु के उपरांत उनके परिजनों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाए।
-कोरोना का कार्य कर रहे सभी एमपीडब्ल्यू को 2020 की तरह एक माह का अतिरिक्त मानदेय दिया जाए।
-कोरोना काल में सप्ताहिक छुट्टी एवं अन्य छुट्टी के दिन कार्य करने हेतु अतिरिक्त मानदेय की व्यवस्था किया जाए।