धनबाद-बोकारो के अधिकतर तालाब दूषित, ई-कोली बैक्टीरिया की संख्या में बढ़ोतरी से छठ व्रतियों को खतरा
धनबाद और बोकारो के तालाबों में ई-कोली बैैक्टीरिया की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इससे छठ व्रतियों का पानी में अधिक देर तक खड़ा रहना खतरनाक हो सकता है।
धनबाद, (आशीष सिंह)। गुरुवार को नहायखाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो रहा है और धनबाद और बोकारो के तालाबों का बुरा हाल है। तालाबों की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि इस पानी में अधिक देर तक खड़ा रहना भी खतरनाक है। तालाब का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है। पानी में हानिकारक रासायनिक तत्वों की मात्रा इतनी बढ़ गई है कि जलीय जीव तेजी से खत्म हो रहे हैं।
अधिकतर तालाबों में ई-कोली बैैक्टीरिया की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 100 मिलीलीटर पानी में ई-कोली बैक्टीरिया 90 एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबल नंबर) होना चाहिए, तालाबों में यह लगभग 2400 एमपीएन पाई गई। इतना ही नहीं डिसाल्व ऑक्सीजन (डीओ) यानी घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा मानक के अनुसार प्रतिलीटर पांच मिलीग्राम से अधिक होनी चाहिए। हर तालाब में यह स्तर पांच मिलीग्राम से कम मिला।
जेएसपीसीबी ने धनबाद-बोकारो के नौ तालाबों के लिए नमूने
धनबाद शहर में पंपू तालाब (लोको टैंक छठ तालाब) व कुसुंडा तालाब रेलवे स्टेशन सबसे अधिक प्रदूषित है। बोकारो में सेक्टर-1 के कैंप-2 तालाब की स्थिति खतरनाक है। बोकारो के कैंप-2 सेक्टर-1 में इसकी मात्रा 2.2 और धनबाद के पॉलीटेक्निक तालाब में 3.2 मिलीग्राम मिली है। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दुर्गा पूजा के बाद लिए तालाबों के नमूने यही स्थिति बयां कर रहे हैं। जेएसपीसीबी ने धनबाद और बोकारो के नौ तालाबों के नमूने लिए थे, जिनकी स्थिति काफी खराब है।
ऑक्सीजन में लगातार कमी
बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की बात करें तो राष्ट्रीय मानक तीन मिलीग्राम प्रतिलीटर है। नदी या तालाब में पानी उचित होने के लिए बीओडी स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होने पर ही तालाब का पानी स्नान योग्य माना जाता है। लोको टैंक जिले का सबसे प्रदूषित तालाब है, यहां बीओडी का स्तर 76 मिलीग्राम प्रतिलीटर पाया गया। कुसंडा तालाब में यह मात्रा 72 मिलीग्राम है। इन तालाबों के जल के संपर्क में आते ही चर्म रोग हो सकता है। इसके पानी में नहाना आदमी ही नहीं, बल्कि जानवरों के लिए भी खतरनाक है।
तालाबों का हाल (डीओ)
- तेलियाबांध तालाब, भगत सिंह चौक कतरास : 3.5
- कैम्प-२ तालाब, सेक्टर-१ बोकारो : 2.2
- राजा तालाब, झरिया : 4.8
- सोलंगडीह तालाब, चास बोकारो : 3.0
- पॉलीटेक्निक तालाब, धनबाद : 3.2
- पंपू तालाब, बरमसिया : 3.8
- रानीबांध तालाब, आइएसएम : 3.3
- राजाबांध तालाब, कतरास : 4.5
- कुसुंडा तालाब, कुसुंडा रेलवे स्टेशन : 4.5
(नोट - मात्रा मिलीग्राम प्रतिलीटर में, डीओ 5 मिलीग्राम प्रतिलीटर से अधिक होना चाहिए)
तालाबों का हाल (बीओडी)
- तेलियाबांध तालाब, भगत सिंह चौक कतरास : 48
- कैम्प-२ तालाब, सेक्टर-१ बोकारो : 76
- राजा तालाब, झरिया : 52
- सोलंगडीह तालाब, चास बोकारो : 68
- पॉलीटेक्निक तालाब, धनबाद : 36
- पंपू तालाब (लोको टैंक), बरमसिया : 76
- रानीबांध तालाब, आइएसएम : 42
- राजाबांध तालाब, कतरास : 46
- कुसुंडा तालाब, कुसुंडा रेलवे स्टेशन : 72
(नोट - मात्रा मिलीग्राम प्रतिलीटर में, बीओडी 3 मिलीग्राम प्रतिलीटर से कम होना चाहिए)
खतरनाक है ई-कोली बैक्टीरिया
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी आरएन चौधरी के अनुसार ई-कोली एक तरह का बैक्टीरिया है, जो इंसानों और पशुओं दोनों ही के पेट में हमेशा रहता है। आमतौर पर यह बैक्टीरिया ज्यादातर रूपों में हानिरहित होता है, लेकिन इसके कुछ ऐसे बैक्टीरिया भी हैं जो पेट में मरोड़ और दस्त जैसे लक्षण पैदा करते है। कई गंभीर मामलों में तो इनकी वजह से लोगों का गुर्दा तक काम करना बंद कर देता है और संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।