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Weekly News Roundup Dhanbad: पोस्टमार्टम... चेले के बाथरूम में विधायकजी का काला धन

यह उस व्यवसायी की पीड़ा है जिससे गैंग्स ऑफ वासेपुर के डॉन के नाम पर पांच लाख की रंगदारी मांगी गई मगर उनका हाल जानने कोई जनप्रतिनिधि उनके दरवाजे पर नहीं पहुंचा।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 02:44 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 02:44 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: पोस्टमार्टम... चेले के बाथरूम में विधायकजी का काला धन

धनबाद [ नीरज दुबे ]। एक विधायक के तथाकथित चेले पर ये लाइन फीट बैठती है। विधायक के साथ साये की तरह रहने वाले उनके चेले ने पिछले पांच वर्षों में ऐसा कमाल किया है कि पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं की आंखों की किरकिरी बन चुका है। विधायक भी चेले की मर्जी के बगैर कोई काम नहीं करते हैं। विधायक से मिलने की चाह वाले पहले चेले से मिलते हैं, तभी गुरु तक बात पहुंचती है। आखिर क्यों ना हो, चेले ने गुरु के साथ-साथ अपने स्टेेटस का भी काफी ख्याल रखा है। घर में फाइव स्टार होटल की सुविधा। लाखों की लागत से तो सिर्फ बाथरूम बना है। विधायक जी भी कभी-कभार लुत्फ उठा लेते हैैं। मगर, उन्होंने चेले से कभी नहीं पूछा कि इतना धन उसके पास कहां से आया। पिछले चुनाव में चेले ने विधायक के लिए काफी मेहनत की। वहीं बाकी कार्यकर्ताओं को सटने भी नहीं दिया।

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मुझसे कोई नहीं मिलता

यह उस व्यवसायी की पीड़ा है जिससे गैंग्स ऑफ वासेपुर के डॉन के नाम पर पांच लाख की रंगदारी मांगी गई मगर उनका हाल जानने कोई जनप्रतिनिधि उनके दरवाजे पर नहीं पहुंचा। व्यवसायी ने अपनी पीड़ा एक पुलिस पदाधिकारी के पास व्यक्त की। उनका कहना था कि झरिया और धनबाद के तीन व्यवसायियों से रंगदारी मांगी गई। उनका हाल लेने झरिया के व्यवसायी रुपेश कारीवाल तो आए लेकिन कोई जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा। झरिया में विधायक पूर्णिमा सिंह, मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल भी पहुंचे लेकिन यहां उनका घर-परिवार चिंता से बेहाल है मगर कोई आश्वासन देने भी घर तक नहीं आया। इस अनदेखी की पीड़ा रंगदारी की धमकी से ज्यादा टिस मारती है। उनका कहना था कि जनप्रतिनिधि सबके लिए बराबर होते हैैं। यह भी सच है कि उनसे पांच लाख की ही रंगदारी मांगी गई पर अपराधियों का डर तो सभी को एक समान रहता है।

बयान से पलटते गवाह

जिस तरह हवा अपना रुख बदलती है, ठीक उसी प्रकार शहर की कुछ आपराधिक घटनाओं के प्रमुख गवाहों ने कोर्ट में अपना बयान बदला है। ऐसे गवाहों से पुलिस और सीबीआइ भी हैरान-परेशान है। हाल में माले नेता महेंद्र सिंह की हत्या के प्रमुख गवाह प्रयाग महतो ने अदालत में ऐसी पलटी मारी कि सीबीआइ हक्का-बक्का रह गए जबकि जांच एजेंसी ने प्रयाग महतो का 164 का बयान भी करवाया था, इसके बावजूद उसने बयान बदला। इसी तरह रंजय हत्याकांड में मौका-ए-वारदात पर मौजूद जीतू कुमार कोर्ट में बयान से पलट गया। इससे तो पुलिस के अनुसंधान पर ही सवाल उठने लगा। जीतू ने कहा- रंजय की हत्या कैसे हुई, किसने की, इसकी जानकारी उसे नहीं है। सुरेश सिंह हत्याकांड में जब्ती सूची का गवाह मोहित सिंह भी पलट गया। उसने कहा कि पुलिस ने उसके सामने कोई प्रदर्श जब्त नहीं किया। वाह रे गवाह।

...गलत न लगे धारा 

पिछले दिनों सीएए-एनआरसी के विरोध में धनबाद में बिना अनुमति जुलूस निकालने वालों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया। हालांकि सीएम हेमंत सोरेन के ट्वीट के बाद धारा हटाने के लिए पुलिस ने कोर्ट में आवेदन भी दे दिया। इस प्रकरण के बाद जिला पुलिस अब बेहद सतर्क हो चुकी है। किसी भी तरह के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से पूर्व आइपीसी की धारा को किताब में ढूंढती फिर रही है या गूगल का सहारा ले रही है। छोटे तो दूर, सीनियर पदाधिकारी भी धारा को लेकर काफी गंभीरता दिखा रहे हैैं। शहर के एक थानेदार तो मातहतों पर धारा को लेकर बिफर पड़े और कहा कि गड़बड़ी हुई तो जिला छोड़कर जाना पड़ सकता है। प्राथमिकी में भले ही देर हो जाए मगर धारा गलत न लगे। इस ताकीद पर थाने में सभी को हमेशा सतर्क रहने की सलाह दी गई है।


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