महंगी मिठाई खरीदने के लिए हो जाएं तैयार, बढ़ा दूध का दाम Dhanbad News
दूध के दाम बढऩे के कारण अब मिठाई की कीमतों में भी चढ़ाव आएगा। मिठाई कारोबारी राजेश की मानें तो यह बढ़ोत्तरी 15 फीसद तक हो सकती है।
धनबाद, जेएनएन। पार्क मार्केट के मिठाई व्यवसायी और दूध कारोबारियों के बीच उत्पन्न दूध की कीमतों में बढ़ोत्तरी का विवाद शनिवार को सलट गया। दोनों पक्षों के बीच हुए समझौता के तहत व्यापारियों ने प्रति किलो छेना पर 30 रुपये की बढ़ोत्तरी को स्वीकार्य कर लिया। इस स्वीकृति के साथ ही पार्क मार्केट में दूध की आपूर्ति भी शुरू हो गई। साथ ही अब त्यौहार के इस सीजन में मिठाइयों के दाम में भी बढ़ोत्तरी देखी जाएगी।
मिठाई कारोबारी राजेश गुप्ता ने बताया कि दूध की कीमत को लेकर मिठाई दुकानदारों की एक बैठक हुई। इसमें 30 रुपये बढ़ाने पर सहमति बनी। जबकि दूध कारोबारी ने 50 रुपये बढ़ाने की मांग की थी। इस सहमति के बाद से कारोबारियों ने बाजार में दूध सप्लाई भी शुरू कर दिया।
बढ़ेंगी मिठाइयों की कीमतें : दूध के दाम बढऩे के कारण अब मिठाई की कीमतों में भी चढ़ाव आएगा। राजेश की मानें तो यह बढ़ोत्तरी 15 फीसद तक हो सकती है। वर्तमान में एक रसगुल्ला आठ रुपये प्रति पीस की दर से बिकता है, अब इसकी कीमत 9.50 रुपये के आसपास होगी। छेना से रसगुल्ला, गुलाब जामुन, गोपाल भोग, मलाई चमचम, मलाई चॉप आदि मिठाई बनती है, जबकि खोया से बर्फी, खीर कदम, माखनभोग आदि बनाया जाता है।
ऐसे हुआ दूध के दाम का निर्धारण : मिठाई दुकानदार दूध से बनने वाले छेना के आधार पर ही दूध की दर का भुगतान करते हैं। उदाहरण स्वरूप यदि एक किलो दूध में 200 ग्राम छेना निकलता है तो नई दर 230 रुपये प्रति किलो के अनुसार एक लीटर दूध के लिए 23 रुपये का भुगतान करते हैं।
हीरापुर में 30 क्विंटल दूध की खपत प्रतिदिन : मिठाई दुकानदारों की मानें तो हीरापुर जैसे बाजार के मिठाई दुकानों में 30 क्विंटल प्रतिदिन दूध की खपत है। यह खपत बरमसिया, भीस्तीपाड़ा, धैया, बरामुड़ी, खोदन तालाब स्थित खटालों से पूरी होती है। इसके अलावा डेयरी का भी दूध सप्लाई होता है।
सप्लाई दूध की जांच करने की उठी मांग : मिठाई दुकानदार उमेश ने कहा कि धनबाद के दूध की आवश्यकता यहां के खटालों से पूरी नहीं होती। इसका साफ मतलब है कि गाय-भैंस के दूध में पाउडर दूध की मिलावट की जाती है। धनबाद के बाजार में पाउडर दूध की कीमत ज्यादा बढ़ी है। उमेश ने कहा कि जिस प्रकार से मिठाइयों की गुणवत्ता की जांच सरकारी स्तर से की जाती है, उसी प्रकार से खटालों में भी दूध की जांच होनी चाहिए।