भत्ते की इस पंजीरी से किया सेनानियों का सम्मान सस्ता
झारखंड में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके आश्रितों के साथ चिकित्सा भत्ता के नाम पर मजाक हो रहा है। हर माह सिर्फ 50 रुपये इस मद में दिए जा रहे हैं। इससे कफ सिरप की एक शीशी भी नहीं खरीदी जा सकती है।
मृत्युंजय पाठक, धनबाद। झारखंड में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके आश्रितों के साथ चिकित्सा भत्ता के नाम पर मजाक हो रहा है। हर माह सिर्फ 50 रुपये इस मद में दिए जा रहे हैं। इससे कफ सिरप की एक शीशी भी नहीं खरीदी जा सकती है। यह चिकित्सा भत्ता राज्य सरकार के फोर्थ ग्रेड के कर्मचारियों के भत्ते से भी बहुत कम है। हर कर्मचारी को इस मद में हजार रुपये मिलते हैं।
सत्ता और विपक्ष में बैठे लोग यूं तो स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान को याद करते हुए खूब कसीदे पढ़ते हैं। लेकिन, उनके और आश्रितों के सम्मान और सुविधा की बात कम ही करते हैं। यह स्थिति तब है जब हर जिले में स्वतंत्रता सेनानियों और उनके आश्रितों की संख्या अंगुलियों पर ही गिनने लायक बची है।
विधायकों के लिए 5 हजार का प्रावधान : झारखंड में विधायकों को प्रत्येक महीने 5 हजार रुपये चिकित्सा भत्ता के रूप में मिलते हैं। इनकी तुलना में स्वतंत्रता सेनानियों और उनके आश्रितों को मिलने वाला 50 रुपये का भत्ता तो मजाक ही कहा जाएगा। झारखंड सरकार हर माह सेनानी को 5000 रुपये पेंशन मद में देती है। स्वतंत्रता सेनानी या उनके आश्रित (पत्नी) उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं। अमूमन उनकी उम्र 90 वर्ष के पार है। उम्र के इस पड़ाव में उनको चिकित्सा की ज्यादा आवश्यकता होती है। इस पहलू पर सरकार ने संवेदना कभी नहीं दिखाई। जो भत्ता मिल रहा है उससे चिकित्सक की फीस तो दूर दवा भी नहीं खरीद सकते।
8 के बीच बांटे जाएंगे 400 रुपये: धनबाद जिला प्रशासन ने प्रधान सचिव, गृह विभाग, झारखंड के संकल्प के आलोक में स्वतंत्रा सेनानियों का जुलाई 18 की सम्मान पेंशन (विशेष भत्ता) एवं चिकित्सा भत्ता संबंधी विपत्र तैयार किया है। यहां अब कोई जीवित स्वतंत्रता सेनानी नहीं है। 8 आश्रित ही बचे हैं। इनमें रामेश्वरी प्रसाद, बिहसा देवी, सरस्वती देवी, वीरा देवी, माया दत्ता, सुमित्रा देवी, प्रतिमा देवी, प्रतिमा गांगुली, कनक लत्ता दां हैं। इनको 50 रुपये के हिसाब से 400 रुपये बंटेंगे। झारखंड विकास मोर्चा के केंद्रीय महासचिव रमेश कुमार राही ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए तय इस राशि को शर्मनाक और चिंतनीय करार दिया है। वह कहते हैं, सरकार का यह क्रूर मजाक है। जिन्होंने देश के लिए त्याग किया उनको तो हर सम्मान देना चाहिए। जीवित बचे स्वतंत्रता सेनानी और उनके आश्रित के इलाज का पूरा खर्च सरकार को उठना चाहिए। पर, ऐसा नहीं हो रहा है।
अब समारोह के गवाह नहीं बनेंगे स्वतंत्रता सेनानी : बुधवार को स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन रणधीर वर्मा स्टेडियम में किया जाएगा। आजादी के बाद पहली बार इस समारोह के गवाह स्वतंत्रता सेनानी नहीं बनेंगे। क्योकि अब धनबाद में एक भी स्वतंत्रता सेनानी जीवित नहीं हैं। मास्टरपाड़ा हीरापुर निवासी गौर किशोर गांगुली का निधन 23 अक्टूबर 2017 को हो गया था। 7 फरवरी 2018 को अंतिम बचे बरबाड़ी, लेदाहरिया, निरसा निवासी स्वतंत्रता सेनानी फकीर चंद्र दां की मृत्यु हो गई। समारोह में जिला प्रशासन स्वतंत्रता सेनानियों को आमंत्रित कर सम्मानित करता था। अब सम्मान प्राप्त करने के लिए धनबाद में कोई भी स्वतंत्रता सेनानी नहीं बचा है। हालांकि जिला प्रशासन सेनानियों के आश्रित को सम्मानित करेगा। एडीएम विधि व्यवस्था राकेश दुबे ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस पर सम्मानित करने के लिए आश्रितों को आमंत्रित किया गया है।