सत्ता में बैठ हैं झारखंड विरोधी मानसिकता वाले लोग
निरसा : मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का दो दिवसीय छठा केंद्रीय महाधिवेशन शहीद गुरदास भवन नि
निरसा : मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का दो दिवसीय छठा केंद्रीय महाधिवेशन शहीद गुरदास भवन निरसा में रविवार से शुरू हुआ। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद महतो ने पार्टी का झंडोत्तोलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। शहीद वेदी पर माल्यार्पण कर शहीद साथियों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष आनंद महतो ने कहा कि देश में उत्पादक वर्ग संकट में है। वर्ग संघर्ष के साथ-साथ सामाजिक और क्षेत्रीय विकास के असंतुलन को जोड़ने की बात पर ही मार्क्सवादी समन्वय समिति का गठन किया गया था। रूसी क्रांति से प्रेरणा लेकर वर्ग संघर्ष के आंदोलन को तेज करने के लिए मार्क्सवादियों में समन्वय स्थापित कर व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई को धारदार बनाने का प्रयास हमारे संगठन में निर्माण के साथ शुरू किया था। जो आज तक जारी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश में जो बजट तथा कानून बनाया जा रहा है। वह देश के एक प्रतिशत कॉरपोरेट घरानों व पूंजीपतियों के हित को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। आम जनता के हितों को नजरअंदाज किया जा रहा है। भाजपा के शासन में दलितों व आदिवासियों पर दमन बढ़ रहे हैं। झारखंड विरोधी मानसिकता और उसे लूटने वाले लोग ही आज सत्ता में बैठे हैं। आम जनता को गोलबंद कर साम्राज्यवाद और पूंजीवाद के खिलाफ संघर्ष का रास्ता बनाना होगा।
सम्मेलन को वामदल सीपीएम के गणेश धर, एसयूसीआइ के केपी ¨सह, सीपीआई के राजेंद्र प्रसाद यादव, ज्ञान विज्ञान समिति के काशीनाथ चटर्जी, भाकपा माले के शुभेंदु सेन, कृष्णा ¨सह, मासस के आगम राम, मिथिलेश ¨सह, निताई महतो, काíतक चंद्र दत्ता, गोपाल दास, बादल बाउरी, टूटून मुखर्जी आदि ने विचार रखे। सम्मेलन की अध्यक्ष मंडली में देवचंद महतो, केशव प्रसाद यादव, हरिप्रसाद पप्पू, बसंत कुमार को शामिल किया गया। वहीं संचालन दिल मोहम्मद, आरडी मांझी और राजेंद्र गोप ने किया। बेटी बचाओ का नारा लगानेवालों के राज्य में बेटियां असुरक्षित
सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हलधर महतो ने कहा कि समर्पित कार्यकर्ताओं के बलिदान की कीमत पर हमारा संगठन इस मुकाम तक पहुंचा है तथा आज भी संघर्ष जारी है। धर्म आधारित राजनीति से देश का विकास नहीं हो सकता। कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका में समन्वय समाप्त हो रहा है। नौकरी के तमाम स्त्रोत बंद हो रहे हैं। महिलाएं और बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। देश का जीडीपी लगातार घट रहा है। पूंजीपतियों को लूट की पूरी छूट है। गरीबों का बैंक जमा पैसा लेकर विदेशों में मौज कर रहे हैं। वर्तमान केंद्र व राज्य सरकार बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, उग्रवाद, आतंकवाद व सांप्रदायिकता से ध्यान हटाने के लिए ¨हदू, मुस्लिम, गो हत्या, सीमा विवाद के मुद्दों को बेवजह तूल दे रही है। शिक्षित बेरोजगार दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा लगानेवालों के ही राज्य में सबसे ज्यादा बेटियां असुरक्षित हैं। राज्य में अस्पताल है मगर डॉक्टर नहीं, स्कूल है मगर शिक्षक नहीं, विश्वविद्यालय है मगर प्रोफेसर नहीं, शिक्षा और स्वास्थ्य झारखंड में सबसे महंगा हो गया है। पूरे देश में आंदोलन चल रहा है। मगर सही दिशा और नेतृत्व नहीं होने के कारण जन आंदोलन का रूप नहीं ले पा रहा।