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जंग खा रहे करोड़ों के वाहन, मालिकाना हक रहने के बावजूद बीमा कंपनी उन वाहनों को हासिल करने में विफल Dhanbad News

बीमा कंपनियों व पुलिस की लापरवाही से धनबाद के विभिन्न थानों में जब्त करोड़ों की गाड़ियां सालों से जंग खा रही हैं। इन वाहनों को बीमा कंपनियां चाहे तो आसानी से प्राप्त कर सकती हैं।

By Sagar SinghEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 11:35 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 11:35 AM (IST)
जंग खा रहे करोड़ों के वाहन, मालिकाना हक रहने के बावजूद बीमा कंपनी उन वाहनों को हासिल करने में विफल Dhanbad News
जंग खा रहे करोड़ों के वाहन, मालिकाना हक रहने के बावजूद बीमा कंपनी उन वाहनों को हासिल करने में विफल Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। विभिन्न बीमा कंपनी व पुलिस की लापरवाही से धनबाद के विभिन्न थानों में जब्त करोड़ों की गाड़ियां वर्षो से सड़ रही हैं। बीमा कंपनी चाहे तो इन्हें आसानी से प्राप्त कर सकती है, लेकिन पुलिस व बीमा कंपनी के बीच आपसी समन्वय का घोर अभाव है।

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पिछले कुछ महीनों में धनबाद से सैकड़ों वाहन चोरी हुए। जिन वाहनों की बीमा पॉलिसी थी, उसके मालिक ने तो बीमा कंपनी में क्लेम कर दूसरी गाड़ी या निर्धारित मुआवजा ले लिया। बाद में जब चोरी गई गाड़ी बरामद हुई तब तक उसका मुआवजा बीमा कंपनी बीमा धारक को दे चुकी थी। लिहाजा बरामद गाड़ी का मालिकाना हक बीमा कंपनी को मिलना चाहिए, पर ऐसा नहीं हो पाता है।

वाहन मालिक को मिल जाता है क्लेम, पर पुलिस-बीमा कंपनी में समन्वय का अभाव

गौरतलब है कि गाड़ी बरामद होने की जानकारी पुलिस बीमा कंपनी को नहीं देती है। साथ ही बीमा कंपनी भी इस संबंध में कोई जानकारी हासिल करने का प्रयास नहीं करती है। यह समस्या पूरे राज्य में है। चोरी हुए वाहन का क्लेम देने के दौरान बीमा कंपनी ऑनर से वाहन के कागजात वापस जमा ले लेती है, इसके बाद ही ऑनर को क्लेम मिलता है।

क्लेम देने के बाद बीमा कंपनी ही वाहन की मालिक

गाड़ी ऑनर को जब बीमा कंपनी से मुआवजा मिल जाता है, तो उसका उस गाड़ी से मालिकाना हक समाप्त हो जाता है। गाड़ी का पेपर भी उसके पास नहीं रहता है, जिससे बरामद गाड़ी को वापस हासिल करने के लिए वह दोबारा दावेदारी पेश नहीं कर सकता है। ऐसे में अगर बरामद गाड़ी कोई हासिल कर सकता है, तो वह बीमा कंपनी की है, पर वह भी दिलचस्पी नहीं दिखाती है। नतीजन इसका लाभ वाहन मालिक को मिल जाता है।

सैकड़ों वाहनों का क्लेम ले चुके हैं वाहन मालिक

आमतौर पर वाहन चोरी के मामले में पुलिस पहले कुछ दिनों तक चोर का सुराग तलाशने की कोशिश करती है, लेकिन जब सुराग नहीं मिल पाता है तो वैसे मामले का पुलिस (एफआरटी) यानी घटना सत्य परंतु सूत्रहीन दर्शाते हुए फाइल क्लोज कर देती है। इसके बाद वाहन मालिक को बीमा कंपनी से मुआवजा मिलता है। पिछले कुछ महीनों में जिले के विभिन्न थानों में दर्ज सैकड़ों वाहन चोरी के मामले का एफआरटी हो चुका है।


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