Father's Day : हमारी वजूद की पहली पहचान हैं पापा, दैनिक जागरण के जरिए झलका पिता के लिए प्यार
बेमतलब सी इस दुनिया में वो हमारी शान हैं। किसी शख्स के वजूद की पिता ही पहली पहचान हैं। मेरे पापा मेरे दोस्त भी हैं। उन्होंने हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया और मेरा हौसला बढ़ाया।
By Sagar SinghEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 10:18 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 10:18 PM (IST)
धनबाद, जेएनएन। रविवार को फादर्स डे है। कोरोना वायरस के कारण इसे भी आप बाहर सेलीब्रेट नहीं कर सकते। इस दिन को खास बनाने के लिए दैनिक जागरण ने अनूठा आयोजन किया। जैसे मां को परिभाषित करने के लिए शब्द कम हैं। वैसे ही पिता की अहमियत समझने के लिए भी भाव ही हैं। एक वाक्य 'पापा हैं ना' से सारी समस्याएं आने से पहले ही लौट जाती हैं। दिल हल्का हो जाता है और चेहरे पर मुस्कराहट लौट आती है। जागरण ने अपने पाठकों को मौका दिया कि अपना प्यार शब्दों के जरिए बयां कर सकें। ऐसे ही कुछ लोगों की मन की बात हम आपसे साझा कर रहे हैं।
- किसी भी बेटी के लिए उसके पापा प्रेरणा : शुक्रिया पापा, किसी भी बेटी के लिए उसके पापा प्रेरणा होते हैं। मैंने आपमें सब को पाया है। चाहे वो एक टीचर हो, शुभचिंतक हो या एक अच्छे दोस्त हों। मुझे माफ कर दीजिए मैं कभी-कभी आपकी आशाओं पर खरी नहीं उतरती हूं, पर फिर भी आप मेरा हौसला बढ़ाते हैं मुझे हार नहीं मानने देते हैं। आपके जैसा निस्वार्थ कोई भी नहीं है, आप मेरी इच्छाओं के लिए अपनी इच्छाओं को त्याग देते हैं। मेरी खुशी में खुद भी खुश हो जाते हैं। आपके बारे में लिखने में अगर मैं इस दुनिया को एक कागज बना दूं और इस सृष्टि के सारे जल को स्याही में बदल दूं तो भी आपकी अच्छाइयां लिखने के लिए पर्याप्त नहीं। बस ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूं कि वो आपको सदैव खुश रखे। हैप्पी फादर्स डे पापा (राजेंद्र राज)। - रितिका राज, भूली।
- माथे पे आपके हाथों का स्पर्श नहीं हो सकता निष्प्राण : पूज्य पिताजी (स्व.जनार्दन दूबे), आपके स्थूल शरीर को निष्प्राण हुए आज 22 वर्ष हो गए। शीत ऋतु की रजाई में भी जब ठंड से मैं ठिठुर रहा होता था तो मेरे माथे पे आपके हाथों के एक स्पर्श से जो उष्णता मिलती वो अहसास तो कभी निष्प्राण नहीं हो सकती न पापा। आपके ऑफिस से आने के बाद आपके साथ बैठकर आपके हाथों से मुख में गए उस निवाले का अमृत जैसा स्वाद कभी निष्प्राण नहीं हो सकता। मेरे एक छोटे से प्रश्न पे मुझे जीवन की सारी व्यवहारिकता समझाने में शाम का यूं ही गुजर जाना, वो यादें निष्प्राण नहीं हो सकती। आज भले हीं आपका विराट स्वरूप एक फोटो फ्रेम में कैद हो पर मेरे लिए आप उस पवित्र ग्रंथ की तरह हैं, जिसका हर पन्ना हर शब्द हर अक्षर अनुकरणीय है। मेरे जीवन के हर दिन हर पल हर क्षण हर हिस्से में आप कल भी थे, आज भी हैं और हमेशा रहेंगे पापा। - पंकज कुमार दुबे, सुदामडीह धनबाद।
- पापा ने सिखाया बाइक और कार चलाना : पिता, हम बेटियों के लिए बहुत खास होते हैं। एक पिता ही होते हैं, जो अपनी बेटियों के परों को काट भी सकते हैं या उन्हेंं ऊंचा बहुत ऊंचा उड़ना सिखा सकते हैं। मैं इस मामले में लकी हूं कि मेरे पापा ने हमेशा मुझे आगे बढ़ने और कभी न रुकने की सीख दी। मेरे पापा (घनश्याम मिस्त्री) एक बीसीसीएल वर्कर हैं, वो कहते हैं कि कुछ भी तुम्हारे लिए नामुमकिन नहीं है। बस पूरे मन से संघर्ष करो और कभी हार मत मानो। पापा की हर छोटी से छोटी बातों में भी कुछ न कुछ सीख छिपी होती है। उन्होंने बचपन से ही हमें अपने बाहरी काम स्वयं करने की सीख दी थी और इसने हमें आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने मुझे कार और बाइक चलाना सिखाया। उनके भरोसे ने मेरे सीखने के उत्साह को दोगुना कर दिया था। हर बेटी को ऐसे पिता और भाई मिलने चाहिए जो उन्हेंं स्वावलंबी बनना सिखाएं। पापा, हम सभी आपसे बेहद प्यार करते हैं। - अपर्णा, मुनीडीह।
- फादर्स डे के दिन मनाते हैं पापा का जन्मदिन : पितृ दिवस का यह शुभ अवसर मेरे घर में हर साल बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल इस दिन मेरे पापा (आलोक बागची) का जन्मदिन भी रहता है। पापा हमेशा इस दिन मुझसे कोई उपहार न लेकर मुझे ही अपना आशीर्वाद उपहार के तौर पर देते हैं। -गार्गी बागची, हीरापुर।
- पिता से ही मेरी पहचान : पिता से पहचान है मेरी, पिता से ही शान है मेरी। नहीं चाहिए मुझे कुछ भी पिता का, हर सपने को पूरा कर सकूं। बस यही जिद है मेरी। हर जन्म में आप जैसा पिता पाऊं यही आखिरी ख्वाहिश है। ईश्वर आपको जीवन की सारी खुशियां दें और आप हमेशा मेरे साथ रहें आप मेरी ताकत हो पापा। आई लव यू पापा (रामकृष्ण सिंह)। - श्वेता सिंह, धैया।
- मेरे पापा मेरे दोस्त भी : बेमतलब सी इस दुनिया में, वो ही हमारी शान हैं। किसी शख्स के वजूद की पिता ही पहली पहचान हैं। मेरे पापा (रामकृष्ण सिंह) मेरे दोस्त भी हैं। उन्होंने हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया और हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते रहे हैं। पुलिस विभाग में कार्य करने की वजह से हमेशा हम सब से दूर ही रहे। इसके बावजूद भी कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया। आज जो कुछ भी हूं, उनकी प्रेरणा की वजह से ही हूं। - जय सिंह, धैया।
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