महालया पर विशेष हवन पूजन, एक माह तक नहीं होंगे शुभ कार्य
प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाता है लेकिन इस साल ऐसा नहीं होगा। इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अधिक मास लग जाएगा। अधिकमास लगने से नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ गया है।
जागरण संवाददाता, दुमका: पितृपक्ष के समापन के साथ महालया के शुभ अवसर पर गुरुवार को धधकिया स्थित सतन आश्रम में चार बटुक के साथ आश्रम के सचिव स्वामी आत्मानंदा ने विशेष हवन पूजन किया। विश्व महामारी से मुक्ति पाने और गिरी वनवासी कल्याण परिषद के विशेष आग्रह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी के जन्मदिन पर दीर्घ आयु की कामना की गई। 165 साल बाद अधिक मास का संयोग: स्वामी आत्मानंदा ने बताया कि हर साल पितृपक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्र आरंभ हो जाता है और घट स्थापना के साथ 9 दिनों तक नवरात्र की पूजा होती है। प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाता है, लेकिन इस साल ऐसा नहीं होगा। इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अधिक मास लग जाएगा। अधिकमास लगने से नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ गया है। आश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ होना ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद आया है। लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है। चातुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्णछेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ, व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखे जाएंगे। इसके बाद 25 नवंबर को देव उत्थान एकादशी होगा। चातुर्मास समाप्त होने के बाद ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि शुरू होंगे।