Coal India: ईसीएल की 58 भूमिगत खदानों में 56 घाटे में, फायदे के लिए आदमी की जगह मशीन लगाने की तैयारी
Coal India ईसीएल प्रबंधन को 56 भूमिगत खदान से हर साल 35 सौ करोड़ का घाटा हो रहा है। इसलिए मैनुअल कोयला उत्पादन से हटकर मशीनों के जरिए बड़े स्तर पर उत्पादन करने की तैयारी की गई है। कं
आशीष अंबष्ठ, धनबाद। ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) में 58 भूमिगत खदानें हैं। इनमें से 56 घाटे में हैं। इनको घाटे से उबारने के लिए प्रबंधन मास प्रोडक्शन टेक्नोलाजी का उपयोग करेगा। 33 खदानों को इसके लिए चयनित भी किया गया है। बंगाल के रानीगंज की आठ खदानों तिलाबोनी, खांदरा, बंककोला, परसिया, बनरसा, नव कोजोरा, माधवपुर व बेलबेहाड़ में पहले चरण में ये मशीनें लगाई जा रही हैं। धनबाद स्थित श्यामपुर व लखीमाता कोलियरी भी इस तकनीक से जल्द सुसज्जित होंगी। ईसीएल प्रबंधन ने दूसरे चरण के लिए 17 अन्य खदानों की भी इस प्ररिप्रेक्ष्य में जल्द प्रोजेक्ट रिपोर्ट सीएमपीडीआइएल से मांगी है। प्रबंधन का मकसद है कि 2025-26 तक सभी भूमिगत खदानों से बेहतर तरीके से कोयला उत्पादन होने लगे। कंपनी लगभग 13 हजार करोड़ रकम इस मद में खर्च करेगी।
35 सौ करोड़ का हर साल घाटा
ईसीएल प्रबंधन को 56 भूमिगत खदान से हर साल 35 सौ करोड़ का घाटा हो रहा है। इसलिए मैनुअल कोयला उत्पादन से हटकर मशीनों के जरिए बड़े स्तर पर उत्पादन करने की तैयारी की गई है। कंपनी सूत्रों का कहना है कि हर साल से करीब पांच हजार करोड़ का मुनाफा इससे होने लगेगा। यदि सब कुछ ठीक रहा। मशीन के उपयोग से 15 मिलियन टन कोयला उत्पादन में भी बढ़त होगी। नतीजा कंपनी की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। आसपास के युवकों को यहां रोजगार भी मिलेगा। भूमिगत खदानों का संचालन का जिम्मा आउटसोर्सिंग कंपनी के हाथ होगा।
ईसीएल की 33 भूमिगत खदानों में तकनीक के सहारे अधिक से अधिक कोयला उत्पादन की तैयारी हो गई है। आठ खदानों में मशीनें लगाने का आदेश जारी हो गया है। 2025-26 तक हर खदान इससे सुसज्जित होगी।
-बी वीरा रेड्डी, तकनीकी निदेशक संचालन, ईसीएल
खदानों को उच्च तकनीक से लैस करने से कोयला उत्पादन बढ़ेगा। देश को आवश्यकता के अनुरूप कोयला मिलेगा तो आयात में कमी आएगी। 25 साल तक खनन हो सके, इस दिशा में प्लान तैयार कर काम हो रहा है।
- जेपी गुप्ता, तकनीकी निदेशक, प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग ईसीएल