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KM Cariappa Death Anniversary 2021: पुण्यतिथि पर देश के पहले ऑर्मी चीफ किए जा रहे याद, जानिए झारखंड से उनका नाता

KM Cariappa Death Anniversary 2021 साल 1953 में सेना से रिटायर होने के बाद भारत सरकार ने साल 1956 में सबसे पहले उन्हें फील्ड मार्शल का सर्वोच्च पद दिया जो पांच-सितारा जनरल ऑफिसर रैंक है। ये पद सम्मान स्वरूप दिया जाता है।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 09:38 AM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 09:38 AM (IST)
KM Cariappa Death Anniversary 2021: पुण्यतिथि पर देश के पहले ऑर्मी चीफ किए जा रहे याद, जानिए झारखंड से उनका नाता
देश के पहले सेना प्रमुख केएम करिअप्पा ( फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। KM Cariappa Death Anniversary 2021 देश के पहले आर्मी चीफ कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा की आज ( 15 मई) पुण्यतिथि है। उनका जन्म 28 जनवरी, 1899 को कर्नाटक में हुआ था। 94 वर्ष की उम्र में 15 मई, 1993 को बेंगलुरू में उनका निधन हुआ। पुण्यतिथि पर देश उन्हें याद कर रहा है। इंटरनेट मीडिया में राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक लोग उनके योगदान को याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं। झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने भी ट्वीट कर KM Cariappa को श्रद्धांजलि दी है। बहुत कम लोग जानते हैं कि झारखंड की राजधानी रांची में भी करिअप्पा अपनी सेवा दे चुके हैं। देश की आजादी के तुरंत बाद नवंबर 1947 में सेना के पूर्वी कमान का प्रमुख बनाकर करिअप्पा को रांची में तैनात किया। इसके दो महीने के अंदर ही जैसे ही कश्मीर में हालत खराब हुई, उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल डडली रसेल के स्थान पर दिल्ली और पूर्वी पंजाब का जीओसी इन चीफ बनाकर रांची से भेज दिया गया। उन्होंने ही इस कमान नाम पश्चिमी कमान रखा।

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1956 में मिला फील्ड मार्शल का अवार्ड

साल 1953 में सेना से रिटायर होने के बाद भारत सरकार ने साल 1956 में सबसे पहले उन्हें फील्ड मार्शल का सर्वोच्च पद दिया, जो पांच-सितारा जनरल ऑफिसर रैंक है। ये पद सम्मान स्वरूप दिया जाता है। भारतीय इतिहास में अभी तक यह रैंक मात्र दो अधिकारियों को प्रदान किया गया है। इसमें करियप्‍पा के बाद सैम मानेकशॉ का नाम आता है। करिअप्पा को ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर, मेन्शंड इन डिस्पैचेस और लीजियन ऑफ मेरिट जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी मिले थे।

प्रधानमंत्री नेहरू भी डरते थे करिअप्पा से

ऐसा कहा जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को उनसे डर था कि वह उनका तख्ता पलट कर सकते हैं। दरअसल, राजनीतिक हलकों में भी करिअप्पा का अच्छा दखल था और लोग उन्हें पसंद करते थे। हालांकि, जनरल करियप्पा के नेहरू और इंदिरा के साथ काफी अच्छे संबंध थे। मगर, इसके बावजदू तख्ता पलट की आशंका को दूर करने के लिए साल 1953 में रिटायर होने के बाद करियप्पा को न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में बतौर हाई कमिश्नर बनाकर भेज दिया गया था।

इस तरह बने महान सैनिक

फील्ड मार्शल करिअप्पा बंटवारे से पहले पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के भी सीनियर अधिकारी रह चुके थे। साल 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनके बेटे केसी नंदा करिअप्पा को पाकिस्तानी सैनिकों ने बंदी बना लिया था। दरअसल, वह भारतीय वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे, जो युद्ध के दौरान पाकिस्तान सीमा में विमान लेकर घुस गए थे। पाक सैनिकों ने उनके विमान को मार गिराया था, लेकिन नंदा ने विमान से कूदकर अपनी जान बचा ली थी। हालांकि, इस दौरान वह पाकिस्तान में गिरफ्तार हो गए थे। यह जानकारी जैसे ही तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान को मिली, उन्होंने तत्काल केएम करिअप्पा को फोन कर कहा कि वह नंदा को रिहा कर रहे हैं। इस पर करिअप्पा ने कहा कि वह केवल मेरा बेटा नहीं, भारत मां का लाल है। उसे रिहा करना तो दूर कोई सुविधा भी मत देना। उसके साथ आम युद्धबंदियों जैसा बर्ताव किया जाए। आपसे गुजारिश है कि या तो सभी युद्धबंदियों को रिहा कर दीजिए या फिर किसी को नहीं। हालांकि, युद्ध समाप्त होने पर पाकिस्तान ने नंदा को रिहा कर दिया था। इस घटना ने उन्हें महान सैनिक बना दिया था।


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