'झामुमो किसी को भगाने की बात नहीं करता, यह भाजपा की भाषा'
सरकार बनी थी तो जनता के बीच जाकर योजना बनाओ अभियान चला था। जनता ने जो योजना बनाई थी, उसका क्या हुआ। पांच बजट पेश हो चुके हैं। कहां गई वे योजनाएं।
धनबाद, अश्विनी रघुवंशी। झामुमो के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व कैबिनेट मंत्री मथुरा प्रसाद महतो। बड़े कुड़मी लीडर। मथुरा महतो कहते हैं, चुनाव आता है तो भाजपा के लोग अफवाह उड़ाते हैं कि झामुमो सत्ता में आया तो लोगों को भगा देगा। झामुमो किसी को भगाने की बात नहीं करता। यह भाजपा की भाषा है। झामुमो सिर्फ यही चाहता है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ या उड़ीसा में पैतृक निवास है तो दोहरा लाभ नहीं ले। मथुरा प्रसाद महतो से बातचीत के मुख्य अंश-
महा गठबंधन बना तो धनबाद लोकसभा सीट पर झामुमो दावा करेगा? आप लोकसभा चुनाव लडऩा चाहते हैं या नहीं?
झामुमो आगे बढ़ कर दावा नहीं करेगा। मेरा लोकसभा चुनाव लडऩे का इरादा भी नहीं है।
झारखंड में महा गठबंधन पर संशय बना हुआ है?
राजनीति में कुछ भी अंतिम नहीं होता। मगर यकीन मानिए, इस बार महा गठबंधन होगा, लोकसभा चुनाव में भाजपा एक भी सीट नहीं जीतेगी। विधानसभा चुनाव में महा गठबंधन के आगे एक दर्जन सीट जीतने में भी भाजपा को छींकें आ जाएंगी।
यह धारणा क्यों है कि झामुमो आदिवासी-मूलवासी की पार्टी है, और लोगों की नहीं?
मां के चार बेटे होते हैं तो कमजोर या बीमार पर अधिक ध्यान देती है। आदिवासी और मूलवासी कमजोर वर्ग है। इस नाते उनका ख्याल रखने की बात करते हैं। मूल भावना यही है। जो भी लोग खुद को झारखंडी मानते हैं, हम उन्हें गले लगाएंगे।
सरकार का दावा है कि धनबाद समेत पूरे झारखंड के लिए जितना काम हुआ है, उतना कभी नहीं हुआ?
धनबाद की जनता के नुकसान के लिए इस सरकार ने जितना काम किया, उतना कभी नहीं हुआ। डीसी लाइन बंद हो गई, झरिया का आरएसपी कॉलेज बंद हो गया। ठंड में भी लोग पीने के पानी के लिए सड़क पर उतर कर आंदोलन कर रहे हैं। और कितना नुकसान करेगी यह सरकार।
कोयलांचल के बिजली संकट पर झामुमो सिर्फ हो हल्ला करने तक सीमित रहेगा या कुछ होगा भी?
यहां के कोयला से पूरा देश रोशन है। यहां पिछले छह माह से लोग घोर बिजली संकट झेल रहे हैं। यह शर्मनाक है। यही हाल रहा तो आर्थिक नाकेबंदी कर कोयला की सप्लाई रोकने पर विचार होगा। सरकार के मुखिया कहते थे कि 2017 से जीरो कट बिजली नहीं मिली तो वोट मांगने नहीं जाएंगे। देखते हैं कि वोट मांगने निकलते हैं या नहीं।
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रहते सीएनटी एक्ट के तहत आपने कुड़मी की जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगाई थी। क्या इसी कारण चुनाव हारे थे?
सीएनटी एक्ट के मुताबिक कुड़मी की जमीन की खरीद बिक्री नहीं हो सकती थी। सो, रुकवा दिया। विधानसभा चुनाव में दुष्प्रचार किया गया। तात्कालिक नुकसान जरूर हुआ। जब दुनिया में नहीं रहेंगे तो कुड़मी जरुर याद करेंगे कि उनकी जमीन बच गई। बहुसंख्यक कुड़मी चाहेंगे कि जमीन की खरीद बिक्री होनी चाहिए तो भविष्य में पुनर्विचार होगा।
सीएम बार बार कहते हैं कि झामुमो के लोग चोर और बेईमान है, जमीन के लुटेरे हैं। ऐसा क्यों?
अरे हम लोग चोर हैं तो जेल में डालिए ना। रोका कौन है।
विरोधी आरोप लगाते हैं कि मथुरा महतो की सादगी दिखावे की है। धनबाद में छह शोरूम समेत कई मॉल में निवेश है। कितना सच है?
इस जमाने में व्यवस्था ऐसी है कि किसी का निवेश नहीं छिप सकता। जनता को सब दिखता है।
जमशेदपुर की 86 बस्ती समेत पूरे झारखंड में शहरों में अवैध रुप से रहने वालों को जमीन का मालिकाना हक देने का सरकार ने ऑफर दिया। फिर भी लोग मालिकाना नहीं ले रहे हैं। क्यों?
राजस्व मंत्री रहते अवैध रूप से बसे लोगों को जमीन का स्वामित्व देने पर अध्ययन किया था। कुछ दिन और मंत्री रहता तो सर्वमान्य निर्णय लेता। इस सरकार ने मालिकाना हक देने का जो तरीका निकाला है, वह जनता को स्वीकार नहीं है। अगर स्वीकार होता तो सीएम के निर्वाचन क्षेत्र की 86 बस्ती के कम से कम एक हजार लोग तो आवेदन देते। उन बस्तियों में तो 20 हजार से अधिक मकान हैं। वर्तमान राजस्व मंत्री अमर बाउरी बोकारो जिला से है। बोकारो में भी हजारों लोग अवैध रूप से सरकारी जमीन पर रह रहे हैं। 100 आवेदन भी नहीं पड़े हैं। जनता जानती है कि मालिकाना हक के नाम पर सरकार फंसा रही है।
आपने खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रहते दाल भात योजना और धोती साड़ी योजना शुरू की थी। अभी उन योजनाओं का क्या हाल है?
5 रुपए में गरीबों को दाल भात खिलाने की योजना का पूरे झारखंड में स्वागत हुआ था। देखादेखी बिहार समेत कई प्रदेशों में लागू किया गया। इस सरकार में दाल भात योजना की बुरी हालत है। 10 रुपए में धोती साड़ी देने का काम बंद हो गया। विधवा सम्मान योजना के तहत विधवा को चार बकरी देने की योजना रुक गई। मथुरा महतो दाल भात योजना नामकरण नहीं किया था। बढिय़ा से योजना चलती तो भाजपा सरकार का ही नाम होता।
ढुलू महतो और रवींद्र पांडे पर यौन शोषण का आरोप है। इस बाबत आपका क्या दृष्टिकोण है?
ढुलू महतो और रवींद्र पांडे पर उन्हीं की पार्टी की महिलाओं ने यौन शोषण का प्रयास करने की प्राथमिकी दर्ज करने का लिखित आवेदन दिया है। झामुमो से जुड़ी महिला होती तो अभी तक हो हल्ला करते कि राजनीति हो रही है। भाजपा सरकार सोचे कि क्या करना है।
ढुलू महतो के खिलाफ उद्योगपतियों ने हेमंत सोरेन से शिकायत की है। क्या होना चाहिए?
ढुलू महतो के खिलाफ उद्योगपतियों ने पीएमओ, सीएमओ से लेकर जिला प्रशासन से भी शिकायत की है। सूबे के मुखिया बोलते हैं कि कानून का राज है। देखते हैं, क्या करते हैं। यह सच है कि न कोयला की चोरी रुकी है, न लोहा की।
सुदेश महतो अकेले विधानसभा चुनाव लडऩे की बात कर रहे हैं। सूबे की सियासत पर क्या असर पड़ेगा?
सुदेश महतो जैसा अवसरवादी कोई नहीं है। सरकार को गाली देते हैं, सरकारी सुविधा का मजा भी लेते हैं। सुदेश ने न कुड़मी के लिए कुछ किया, न आदिवासी के लिए। सुदेश गृह मंत्री थे। न कोई कुड़मी पुलिस का जवान बना, न होमगार्ड का। यह उपलब्धि जरूर है कि उनके भाई डीएसपी बन गए। सुदेश की सोच है कि झारखंड में उनके सिवाय कोई कुड़मी लीडर नहीं उभरे। अभी घोषणा कर देते हैं कि अगले विधानसभा चुनाव में सिल्ली से फिर सुदेश हारेंगे।
झारखंड सरकार का बजट कैसा है?
सरकार बनी थी तो जनता के बीच जाकर योजना बनाओ अभियान चला था। जनता ने जो योजना बनाई थी, उसका क्या हुआ। पांच बजट पेश हो चुके हैं। कहां गई वे योजनाएं।
संक्षिप्त परिचयः झारखंड आंदोलन में जेल यात्रा की। झामुमो के धनबाद प्रखंड अध्यक्ष का पद संभाला। फिर जिला सचिव रहे। 2000 में टुंडी विधानसभा क्षेत्र से पहला झामुमो के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़े। 153 वोट से हार गए। फिर 2005 और 2009 में विधायक चुने गए। भाजपा और झामुमो की साझा सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार, खाद्य आपूर्ति समेत कई विभागों के मंत्री रहे। 2014 के विधानसभा चुनाव में आजसू के टिकट पर राज किशोर महतो ने उन्हें महज 1126 वोट से हरा दिया। अभी झामुमो के केंद्रीय उपाध्यक्ष हैं।