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झारखंड में जीवन ज्योति देता यह चलता-फिरता चिकित्सालय

ग्रामीणों के जीवन में उजाला ला रही टाटा ट्रस्ट और शंकर नेत्र अस्पताल की पहल, दो चिकित्सकों समेत 22 पैरामेडिकल कर्मियों की टीम चलती है साथ

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 12 May 2018 08:53 AM (IST)Updated: Sat, 12 May 2018 11:09 AM (IST)
झारखंड में जीवन ज्योति देता यह चलता-फिरता चिकित्सालय
झारखंड में जीवन ज्योति देता यह चलता-फिरता चिकित्सालय

धनबाद [राजीव शुक्ला]। अत्याधुनिक उपकरणों से लैस यह चलताफिरता ऑपरेशन थिएटर गरीबों के लिए किसी देवालय से कम नहीं है। झारखंड के सुदूर गांवों तक यह गरीबों के जीवन में उजाला ला रहा है। टाटा ट्रस्ट की ओर से इसे चेन्नई स्थित देश के प्रख्यात शंकर नेत्र अस्पताल को प्रदत्त किया गया है। ट्रस्ट और अस्पताल के बीच हुए एमओयू के तहत ग्रामीणों का निशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन और नेत्र उपचार होता है। अब तक यहां 2800 मरीजों के ऑपरेशन इस मोबाइल सर्जिकल यूनिट में हो चुके हैं। दो विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ 22 पैरामेडिकल कर्मियों की टीम पूरी शिद्दत से लोगों की सेवा में लगी है।

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मोबाइल सर्जिकल यूनिट के इंचार्ज डॉ. विभूति नारायण ने बताया कि 31 जुलाई 2016 को यह यूनिट शुरू हुई। इसकी लागत लगभग सात करोड़ रुपये है। आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) मद्रास की तकनीकी सहायता से इसे बनाया गया है।

मोबाइल सर्जिकल यूनिट में आए मरीजों की आंखों के मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, कॉर्निया समेत अन्य परेशानियों की जांच कर नि:शुल्क उपचार किया जाता है। ऑपरेशन भी इसी मोबाइल यूनिट में किए जाते हैं। लेंस से लेकर चश्मा और दवाइयां भी नि:शुल्क ही उपलब्ध कराए जाते हैं। फिलहाल यह मोबाइल यूनिट धनबाद के डिगवाडीह इलाके में मौजूद है। यहां मोतियाबिंद के 500 ऑपरेशन किए जाएंगे। डॉ. विभूति के अलावा डॉ. विमल हरसोरा भी यहां अपनी टीम सहित उपचार में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि हमारा एकमात्र उद्देश्य हम तक आने वाले सभी मरीजों को राहत प्रदान करना है।

यूनिट को सूक्ष्मजीवों के संक्रमण से बचाव के लिए अभेद्य सुरक्षा कवच से लैस किया गया है। दो बसों को एक कॉरिडोर से जोड़कर पूरी यूनिट बनाई गई है। एक बस में मरीज की जांच होती है। फिर उसे अंदर ही अंदर ऑपरेशन के लिए दूसरी बस में ले जाया जाता है। बसों के अंदर विशेष रसायनों का प्रयोग कर हवा में मौजूद सूक्ष्मजीवों को खत्म कर दिया जाता है। मरीज व चिकित्सक डिस्पोजेबल गाउन का प्रयोग करते हैं। जिन्हें ऑपरेशन के बाद नष्ट कर दिया जाता है। ऑपरेशन चैंबर में बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित है।

नेत्र ज्योति देने से बड़ा काम और क्या हो सकता है। टाटा स्टील ग्रामीणों की आंखों में उजाला लाने को हर प्रयास कर रहा है। शंकर नेत्र चिकित्सालय की टीम की इसमें सराहनीय भूमिका है।

-संजय कुमार सिंह, जीएम (कोल), टाटा स्टील

हम मजदूरी करते हैं। हमारे लिए आंख का ऑपरेशन कराना कठिन था। यहां नि:शुल्क ऑपरेशन हो गया। बड़ी राहत मिली। इस चलते-फिरते अस्पताल ने हम पर रहमत बरसाई।

-मु. सलीम, भिखराजपुर, धनबाद

हमारा बेटा मजदूरी करता है। खाने के भी लाले हैं। यहां आंखों की जांच कराई। ऑपरेशन भी नि:शुल्क होगा। आंखों को रोशनी मिलेगी। अपनी खुशी बयां नहीं कर सकते।

-कविता देवी, बूढ़ीबांध, धनबाद  


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