नेटवर्क कनेक्टिविटी के मामले में झारखंड काफी पीछे, सिर्फ धनबाद और देवघर के गांवों में सौ प्रतिशत नेटवर्क
देश में एक तरफ 5जी लांचिंग की तैयारी चल रही है वहीं अब भी झारखंड के कई गांव ऐसे हैं जहां मोबाइल कनेक्टिविटी अब तक शत प्रतिशत नहीं है। झारखंड में धनबाद और देवघर को छोड़कर तीसरा कोई ऐसा जिला नहीं है जहां सौ प्रतिशत गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: देश में एक तरफ जहां 5जी लांचिंग की तैयारी चल रही है, वहीं अब भी झारखंड के कई गांव ऐसे हैं, जहां मोबाइल कनेक्टिविटी अब तक शत प्रतिशत नहीं है। झारखंड में धनबाद और देवघर को छोड़कर तीसरा कोई ऐसा जिला नहीं है, जहां सौ प्रतिशत गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी है।
यह जानकारी बीते दिनों संसद में खुद संचार राज्य मंत्री देवुसिंह जेसिंग भाई चौहान ने दी है। झारखंड के चतरा से लोकसभा सदस्य सुनील कुमार सिंह के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में धनबाद ही एक ऐसा जिला है, जहां सौ प्रतिशत गांवों में सौ प्रतिशत मोबाइल व 4जी कनेक्टिविटी है। पूरे राज्य की बात करें तो कुल 29,492 गांव हैं, जिनमें से 28,348 गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी है। वहीं 27,391 गांवों में ही 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी है। यानी राज्य के 92.88 प्रतिशत गांवों तक ही अबतक 4जी कनेक्टिविटी पहुंची है।
पश्चिमी सिंहभूम जिले के सबसे कम गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी
मोबाइल व 4जी कनेक्टिविटी के मामले में झारखंड में पश्चिमी सिंहभूम जिला सबसे पिछड़ा हुआ है। यहां के 85.57 प्रतिशत गांवों में ही मोबाइल कनेक्टिविटी है। जिले में कुल 1,642 गांव हैं, जिनमें से 1,405 गांवों में ही मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी है। इसमें से 1,193 गांवों में 4जी कनेक्टिविटी है। दूसरी तरफ राजधानी रांची के अलावा संताल परगना क्षेत्र के जामताड़ा व दुमका ही ऐसे जिले हैं, जहां 99 प्रतिशत से ज्यादा गांवों में मोबाइल नेटवर्क की कनेक्टिविटी है।
धनबाद के 1075 गांवों में मोबाइल व 4जी कनेक्टिविटी
केंद्रीय संचार राज्य मंत्री के अनुसार, धनबाद जिले में कुल 1,075 गांव हैं, जहां अबतक मोबाइल व 4जी कनेक्टिविटी पहुंची है। वहीं देवघर जिले के 2,354 गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जा सकी है। इनमें से 2,352 गांवों में 4जी कनेक्टिविटी है। कुल मिलाकर 5जी नेटवर्क कनेक्टिविटी या गांवों के शत प्रतिशत विकास की परिकल्पना तभी साकार हो सकती है, जब गांवों तक नेटवर्क की उपलब्धता संभव हो। मोबाइल नेटवर्क की कमी ही एक बड़ी वजह रही कि लॉकडाउन के समय में गांवों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे ऑनलाइन क्लासेस से शत प्रतिशत नहीं जुड़ सके। आने वाले दिनों में अगर दोबारा ऐसी जरूरत होती है तो उससे पहले गांवों तक नेटवर्क पहुंचाना अनिवार्य होगा।