65 खनिकों की जान बचाने वाले कैप्सूल गिल के नाम हुआ अमृतसर का चौक
आशीष सिंह धनबाद कैप्सूल गिल के नाम से शोहरत बटोरने वाले जसवंत सिंह गिल का नाम अब हमेशा
आशीष सिंह, धनबाद
कैप्सूल गिल के नाम से शोहरत बटोरने वाले जसवंत सिंह गिल का नाम अब हमेशा लिया जाता रहेगा। पंजाब के अमृतसर शहर के मजीठा रोड के एक चौक का नाम जसवंत सिंह गिल के नाम पर रखा गया है। अमृतसर नगर निगम ने अपनी आम सभा की बैठक में मजीठा रोड पर एक चौक का नाम इंजीनियर जसवंत सिंह गिल के नाम पर रखा है। जसवंत सिंह गिल 1989 में रानीगंज (पश्चिम बंगाल) में एक बाढ़ के दौरान कोयला खदान में फंसे 65 खनिकों को बचाने के लिए जाने जाते हैं। आइआइटी आइएसएम धनबाद के 1965 बैच के छात्र रहे जसवंत सिंह गिल की इस उपलब्धि को आइआइटी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर साझा किया है। यह भी लिखा है कि रियल लाइफ हीरो और आइआइटी के एल्युमनी पर हमें गर्व है। जसवंत सिंह गिल ने 13 नवंबर 1989 में ईसीएल की महावीर कोलियरी में 65 कोयलाकर्मियों की जान स्टील का कैप्सूल बनाकर बचाई थी। उस समय वे एडिशनल चीफ माइनिग इंजीनियर थे। उन्हें भारत सरकार ने वर्ष 1991 में सर्वोत्तम जीवन रक्षक पदक से सम्मानित किया था। इस ऑपरेशन का उल्लेख सबसे बड़ा कोयला खदान बचाव अभियान में किया जाता है। इस कारण उन्हें कैप्सूल गिल भी कहा गया।
जसवंत सिंह गिल का 26 नवंबर 2019 को निधन हो गया हो गया था। 33 वर्षों से अधिक के शानदार करियर के बाद वर्ष 1998 में कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी बीसीसीएल (भारत कोकिग कोल लिमिटेड) धनबाद से कार्यकारी निदेशक (सुरक्षा और बचाव) के रूप में सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद अपने परिवार के साथ अमृतसर पंजाब में बस गए। अमृतसर में रह रहे गिल के बेटे सर्वप्रीत सिंह की पहल पर चौक का नाम गिल के नाम पर पड़ा।
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आइआइटी पहले ही घोषित कर चुका है पुरस्कार
आइआइटी आइएसएम पिछले वर्ष ही अपने होनहार पूर्व छात्र जसवंत सिंह गिल के नाम पर औद्योगिक सुरक्षा उत्कृष्टता पुरस्कार देने की घोषणा कर चुका है। आइआइटी की ओर से भारतीय नागरिकों के लिए इंडस्ट्रियल सेफ्टी एक्सीलेंस अवार्ड दिया जाएगा। अपने पूर्ववर्ती छात्र जसवंत सिंह गिल के नाम से यह इंडस्ट्रियल सेफ्टी अवार्ड होगा। -------------------------
यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है। पहले आइआइटी के पूर्ववर्ती छात्र जसवंत सिंह गिल ने 65 खनिकों की जान बचाई और अब पंजाब में यह सम्मान मिलना वाकई आइआइटी आइएसएम के लिए गर्व की बात है।
- प्रो राजीव शेखर, आइआइटी आइएसएम