4जी के बाद अब 5जी की धूम, भारत में 2019-20 तक मिलेगी सुविधा
भारत में 2019-20 तक 5जी लाने की तैयारी चल रही है। जिन देशों में 5जी सेवा शुरू की गई है, वहां 4जी नेटवर्क बेहद मजबूत है।
अशोक कुमार, धनबाद। भारत में अभी जहां 4जी धूम मचा रहा है, वहीं अब यहां बहुत ही शीघ्र 5जी आ रहा है। 5जी आने के साथ ही मेगाबाइट की जगह गीगाबाइट और टेराबाइट की बात होने लगेगी। पश्चिमी यूरोप, फिनलैंड, जापान में इस सेवा के ट्रायल की शुरुआत हो चुकी है। चीन भी अपने 100 शहरों में इसका ट्रायल शुरू कर रहा है। जहां तक अपने देश की बात है, यहां संचार क्रांति काफी देर से शुरू हुई। यहां 4 जी सेवा प्रारंभ हो चुकी है और अब 5जी की तैयारी चल रही है। विश्व के गिने-चुने वायरलेस कम्युनिकेशन वैज्ञानिकों में से एक 72 वर्षीय प्रो. रामजी प्रसाद बताते हैं कि संचार क्रांति में आपके हैंडसेट पर मिलने वाली नेट स्पीड ही सबकुछ है।
यही वजह है कि 2जी के बाद 3जी, इसके बाद 4जी और अब 5जी की चर्चा हो रही है। आने वाले समय में यहीं विराम नहीं लगने जा रहा है। चूंकि मोदी सरकार आधुनिक तकनीक को बढ़ावा दे रही है। इसी का नतीजा है कि 5जी सेवा शुरू करने में हम अन्य विकसित देशों से अधिक पीछे नहीं हैं। भारत में भी कुछ जगहों पर ट्रायल शुरू हो गया है। कुछ 5जी लैब तैयार किए जा चुके हैं। भारत में 2019-20 तक 5जी लाने की तैयारी चल रही है।
रामजी प्रसाद अभी डेनमार्क के आरहुस यूनिवर्सिटी में बिजनेस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के डीन हैं। इनके नाम हैं वायरलेस कम्युनिकेशन के क्षेत्र में दो दर्जन पेटेंट, 200 से अधिक पब्लिकेशन। इन्हें दुनिया भर में संचार क्रांति के अग्रदूतों में गिना जाता है। उन्होंने डेनमार्क में 5जी की ट्रायल शुरू कराने में सबसे अहम भूमिका निभाई है। वे झारखंड के बीआइटी सिंदरी में आयोजित पूर्ववर्ती छात्रों के सम्मेलन में इसी रविवार को भाग लेने पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने दैनिक जागरण से संचार क्रांति की रफ्तार के बारे विस्तार से बातचीत की।
उन्होंने बताया कि 2जी सेवा अन्य विकसित देशों के मुकाबले भारत में 25 साल बाद शुरू हुई थी। इसी तरह यहां 3जी शुरू होने से 10 साल पहले इसका अमेरिका और यूरोप में डंका बज चुका था। 4जी के मामले में उन सबसे पांच साल पीछे हैं। इसलिए 5जी में तकनीकी रूप से उन्नत देशों के साथ कदमताल करना बड़ी चुनौती है। जिन देशों में 5जी सेवा शुरू की गई है वहां 4जी नेटवर्क बेहद मजबूत है।
प्रो. रामजी प्रसाद।
उच्च क्षमता का स्पैक्ट्रम जरूरी
5जी में पांच जीबीपीएस की तेज गति से फाइल डाउनलोड करने के लिए 800 मेगाहर्ट्ज बैंडविथ के साथ मिलीमीटर वेव्स स्पैक्ट्रम की जरूरत होगी। इसमें मल्टीपल इनपुट व आउटपुट एंटीना को उपयोग किया जायेगा। इसमें बड़ी बाधा यह है कि मिलीमीटर वेव्स लंबी दूरी तक ट्रांसमिट नहीं किए जा सकते हैं। यही कारण है 5जी सेवा को पूरी तरह जमीन पर उतारने के लिए काफी टावर लगाने पड़ेंगे। साथ ही इस नई तकनीक के लिए बड़े पैमाने पर आधुनिक मोबाइल भी बनाने पड़ेंगे। इस पर अभी बहुत अधिक काम करने की जरूरत है। भारत सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति से 5जी की राह आसान होगी।
जानें, क्यों पिछड़े हैं भारतीय संस्थान
प्रो. रामजी प्रसाद बताते हैं कि भारतीय संस्थानों में अधिकतर शिक्षक शोध कार्यों के नाम पर अपना बायोडाटा मजूबत कर रहे हैं। अगर इन्हें विश्व के 100 श्रेष्ठ संस्थानों की सूची में शामिल होना है तो शिक्षकों को तकनीक और व्यापार के बीच सेतु बनना होगा। इसके लिए उन्हें उद्योगों के लिए शोध करना होगा। शिक्षण संस्थानों को तकनीक के मामले में उन्हें उद्योग से आगे चलना है। तभी उद्योग भी उनसे जुड़ेंगे। यहां के छात्रों को रोजगार मिलेगा।
स्पीड के बारे में खास
- 2जी तकनीक में अपलोडिंग और डाउनलोडिंग स्पीड 236 केबीपीएस (किलोबाइट प्रति सेकेंड) होती है। मसलन एक सेकेंड में 236 केबी की फाइल डाउनलोड या अपलोड कर सकते है।
- 3जी में अपलोडिंग और डाउनलोडिंग स्पीड 5-20 एमबीपीएस (मेगाबाइट प्रति सेकेंड)होती है।
- 4जी में यही स्पीड 100 एमबीपीएस से 450 एमबीपीएस मिल रही है। यह 3जी के मुकाबले 20 से 40 गुना अधिक है।
-वहीं 5जी में यह स्पीड 5 जीबीपीएस (गीगाबाइटस पर सेकेंड) से 20 जीबीपीएस हो जाएगी। यह 4जी के मुकाबले 10 से 40 गुना अधिक तेज होगी। इसकी मतलब है कि आप एक सेकेंड से भी कम समय में दो जीबी की पूरी फिल्म डाउनलोड कर सकेंगे।
जानिए, कौन हैं प्रो.रामजी प्रसाद
मूल रूप से बिहार के गया निवासी प्रो.रामजी प्रसाद अभी डेनमार्क की दूसरी सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी आरहुस यूनिवर्सिटी में बिजनेस डेवलपमेंट टेक्नोलॉजी विभाग के डीन हैं। इनके अधीन रह कर दुनिया भर के देशों के शिक्षक व वैज्ञानिक शोध करते हैं। इनमें अच्छी खासी संख्या में भारतीय भी शामिल हैं।
प्रो रामजी प्रसाद ने बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआइटी) सिंदरी से 1967 में इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन में बीटेक किया था। इसके बाद उन्होंने रांची स्थित बीआइटी मेसरा से एमटेक और पीएचडी की थी। साथ ही, दुनिया भर के कई यूनिवर्सिटी में फेलो हैं। इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग अमेरिका, इंस्टीट्यूशंस ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकॉम्युनिकेशन इंजीनियरिंग भारत, इंस्टीट्यूशंस ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग यूके, इलेक्ट्रानिक्स एंड रेडियो सोसाइटी नीदरलैंड और डैनिश इंजीनियरिंग सोसाइटी इनमें प्रमुख हैं।
डेनमार्क को बनाया अपना दूसरा घर
हाल में बीआइटी सिंदरी के दौरे पर आए प्रो. प्रसाद ने बताया कि डेनमार्क दुनिया में सबसे अधिक इनोवेटिव व खुशमिजाज देश है। इसलिए उन्होंने भारत के बाहर डेनमार्क को अपना दूसरा घर बनाया।
मगर भारत को नहीं भूले
प्रो. प्रसाद अपनी तमाम व्यस्तता के बाद भी हर तीन महीने में भारत आते हैं। हर बार उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों में घूम-घूम कर वहां हो रहे शोध की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
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